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NMC बिल: लाखों डाॅक्टरों की होगी महाहड़ताल, क्यों है विवाद?

2 अप्रैल से देशभर के करीब 10 लाख डॉक्टर करेंगे हड़ताल

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2 अप्रैल डाॅक्टरों की महाहड़ताल
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2 अप्रैल डाॅक्टरों की महाहड़ताल
(Photo: IANS)

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नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के खिलाफ 2 अप्रैल से देशभर के करीब 10 लाख डॉक्टर हड़ताल करेंगे. राजधानी दिल्ली में मेडिकल स्टूडेंट और डॉक्टर एम्स के बाहर प्रदर्शन करेंगे. इस दौरान इमरजेंसी को छोड़कर ओपीडी सेवाओं का रेजीडेंट डॉक्टर बहिष्कार करेंगे. 25 मार्च को डॉक्टर्स की महापंचायत  में ये फैसला किया गया.

क्या है NMC बिल?

भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से जुड़े काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की जिम्मेदारी थी.

अगर NMC बिल पारित होता है तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और उसकी जगह लेगा नेशनल मेडिकल कमीशन. तब देश में मेडिकल शिक्षा और मेडिकल सेवाओं से जुड़ी पाॅलिसी बनाने की कमान इस कमीशन के हाथ होगी.

NMC बिल की अहम बातें

  • 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करने के बाद देश के आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टर भी एमबीबीएस डॉक्टर की तरह एलोपैथी दवाएं लिख सकेंगे.
  • मेडिकल कोर्स यानी ग्रेजुएशन के बाद भी प्रैक्टिस करने के लिए एक और एग्जाम देना होगा. ये एग्जाम कंप्ल्सरी होगी. इसे पास करने के बाद ही प्रैक्टिस और पोस्ट ग्रेजुएशन की इजाजत मिलेगी.
  • एनएमसी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 40 फीसदी सीटों की फीस भी तय करेगी. बाकी 60 फीसदी सीटों की फीस तय करने का अधिकार कॉलेजों का होगा.
  • मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए सिर्फ एक परीक्षा NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) ली जाएगी.
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क्यों है विवाद?

इंडियन मेडिकल एसोशिएशन बिल में कई बदलाव चाहता है. (IMA) 3 लाख लोगों की संस्था है, लेकिन इस बिल पर संस्था से कोई चर्चा नहीं की गई. अब तक 112 लोगों की टीम फैसला करती थी लेकिन अब 3 लोगों की टीम ही फैसला करेगी. टीम के मेंबर भी सरकार चुनेगी.

इस बिल को 29 दिसंबर 2017 को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में रखा था. लेकिन कुछ प्रावधानों पर विरोध के चलते इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया. इस पर कमेटी ने कई मेडिकल संगठनों से बातचीत करने के बाद विधेयक के लिए सिफारिशें सदन में रखी. लेकिन डॉक्टर इन सिफारिशों पर भी विरोध जता रहे हैं.

विवाद के बाद बिल में बदलाव

एमबीबीएस करने के बाद अलग से एग्जिट टेस्ट और आयुष पद्धति के डॉक्टरों को ब्रिज कोर्स करके एलोपैथी में चिकित्सा की अनुमति देने के प्रावधानों को हटा दिया गया है.

नए विधेयक के मुताबिक एमबीबीएस करने के बाद अलग से एग्जिट टेस्ट नहीं होगा. बल्कि अंतिम साल की परीक्षा को ही नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) का स्वरूप दिया जाएगा. पूरे देश में ये परीक्षा एक समान ली जाएगी. इसके अलावा अभी विदेश से एमबीबीएस करने वालों को अलग से स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना होता है. लेकिन अब वे छात्र भी इसी परीक्षा में बैठ सकेंगे. अगर वे सफल रहते हैं, तो उन्हें डॉक्टरी का लाइसेंस मिल जाएगा.

विधेयक में झोला छाप डाॅक्टरों से निपटने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत 1 साल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

एक अन्य फैसले में निजी कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों पर फीस तय की जाएगी. जबकि पुराने विधेयक में 40 फीसदी का प्रावधान था.

क्या है विरोध करने वाले डाॅक्टर्स की मांगें?

हड़ताल की अगुवाई आईएमए के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर करेंगे.

डॉ. रवि ने एनएमसी बिल 2017 को तुरंत वापस लेने और केंद्रीय कानून (डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए) लागू करने की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सभी डॉक्टर हड़ताल समेत और उग्र आंदोलन के लिए मजबूर हो सकते हैं.

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Published: 29 Mar 2018,11:02 PM IST

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