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महाराष्ट्र में इन दिनों सियासत गरमाई हुई है. 22 हजार करोड़ रुपये की टाटा-एयरबस परियोजना को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार पर हमले हो रहे हैं. ये लगातार दूसरी परियोजना है जो महाराष्ट्र से गुजरात चली गई है. इसलिए विपक्ष शिंदे पर हमलावर है. इसले पहले 1.5 लाख करोड़ रुपये की वेदांत-फॉक्सकॉन परियोजना भी गुजरात जा चुकी है. लगातार उद्योगों के गुजरात शिफ्ट होने पर विपक्ष शिंदे सरकार में उद्योग मंत्री से इस्तीफा मांगने लगा है.
टाटा-एयरबस एक यूरोपीय कंपनी एयरबस (Airbus) और भारतीय समूह टाटा (Tata) का एक ज्वाइंट वेंचर है, जो गुजरात के वडोदरा में भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगा. इस परियोजना के तहत पहली बार निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमान का निर्माण भारत में किया जाएगा. परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है.
सितंबर में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि टाटा-एयरबस परियोजना नागपुर में लगेगी. इससे पहले वेदांता और फॉक्सकॉन के भी पुणे में आने की बात हुई थी. लेकिन ये कंपनियां अब गुजरात चली गई हैं. इसके अलावा बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क भी गुजरात चला गया है.
महाराष्ट्र से कंपनियां ऐसे वक्त में गुजरात जा रही हैं जब गुजरात में चुनाव होने वाले हैं. खुद पीएम मोदी वडोदरा में रविवार को टाटा-एयरबस परियोजना की शुरुआत करेंगे. तो इसे विपक्ष महाराष्ट्र की कीमत पर गुजरात में सियासी फायदा लेने की कोशिश के तौर पर देख रहा है.
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने सवाल किया कि क्या राज्य सरकार जवाब देगी कि ये परियोजनाएं बाहर क्यों जा रही हैं? उन्होंने कहा है कि-'' टाटा-एअरबस चौथी परियोजना है जो महाराष्ट्र में गद्दार सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्य से दूर चली गई है. वे हमेशा दावा करते हैं कि उनकी डबल-इंजन की सरकार है लेकिन केवल केंद्र सरकार का इंजन काम कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी महाराष्ट्र के लोगों का हक मार रही है. आदित्य ठाकरे ने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र ने उद्योग मंत्री उदय सामंत से इस्तीफा देने की मांक की है.
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