मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Explainers Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019EVM को मोबाइल OTP से अनलॉक किया जा सकता है? जानिए कैसे खड़ा हुआ विवाद | Explained

EVM को मोबाइल OTP से अनलॉक किया जा सकता है? जानिए कैसे खड़ा हुआ विवाद | Explained

मुंबई उत्तर पश्चिम सीट का क्या मामला है? पुलिस ने इस मामले में क्या केस दर्ज किया है?

क्विंट हिंदी
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>EXPLAINED: 'OTP का EVM से लेना देना नहीं'  मोबाइल के इस्तेमाल पर पुलिस केस दर्ज, क्या है विवाद?</p></div>
i

EXPLAINED: 'OTP का EVM से लेना देना नहीं' मोबाइल के इस्तेमाल पर पुलिस केस दर्ज, क्या है विवाद?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

देशभर में ईवीएम को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि ईवीएम हैक हो सकती है या नहीं. इन आरोपों के बीच ईवीएम के ओटीपी से अनलॉक होने के नए आरोप लगे. साथ ही मुंबई उत्तर पश्चिम (Mumbai North West) सीट पर चुनावी नतीजों को लेकर घमासान मच गया. हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से अधिकारी ने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया है.

लेकिन क्या वाकई में EVM को OTP से अनलॉक किया जाता है? मुंबई उत्तर पश्चिम सीट का क्या मामला है? पुलिस ने इस मामले में क्या केस दर्ज किया है? और चुनाव आयोग के अधिकारियों ने क्या कहा?

क्या है विवाद?

मसला ये है कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से हारने वाले उद्धव गुट की शिव सेना के अमोल कीर्तिकर ने चुनाव आयोग से शिकायत की. उन्होंने वोटों की गिनती और एजेंट की काउंटिंग में अंतर होने का आरोप लगाया.

अमोल कीर्तिकर मुंबई की उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर शिंदे गुट की शिव सेना के उम्मीदवार रवींद्र वायकर से हार गए.

विवाद ये भी है कि मतगणना केंद्र पर रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार के पास मोबाइल होने की जानकारी सामने आई है. इस मामले पुलिस केस भी दर्ज हुआ है.

मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर क्या परिणाम रहे?

उद्धव गुट की शिव सेना के अमोल कीर्तिकर शिंदे गुट की (शिव सेना) के उम्मीदवार रवींद्र वायकर से महज 48 वोटों के अंतर से हारे हैं. वोटों की गिनती के दिन अमोल शुरुआत से ही आगे चल रहे थे. वे लगातार कई राउंड में आगे थे और लगभग ये तय था कि जीत उन्हीं की होगी. लेकिन आखिरी में जब चुनाव आयोग ने नतीजे घोषित किए तो अमोल 48 वोटों के अंतर से हार गए.

EVM ओटीपी से अनलॉक होने की खबरें?

कुछ अखबारों ने खबर चलाई कि ईवीएम को ओटीपी के जरिए अनलॉक किया जाता है. इसी के बाद कई नेताओं ने आरोप लगाए. मुंबई पुलिस ने कहा है कि इस बात की जांच हो रही है लेकिन पुलिस ने अपनी तरफ से ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है.

मुंबई पुलिस ने एक्स पर लिखा कि, "मतगणना स्थल पर मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध के बावजूद एक व्यक्ति को अवैध रूप से मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति देने के आरोप में वनराई पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है.

मामले की अभी भी जांच चल रही है, कुछ अंग्रेजी और मराठी समाचार मीडिया ने यह कहते हुए समाचार प्रकाशित किया कि 'ईवीएम को अनलॉक करने के लिए, ओटीपी के लिए एक मोबाइल फोन का उपयोग किया गया था.' मुंबई पुलिस की ओर से ऐसी कोई सूचना किसी अखबार को जारी नहीं की गई है. इसलिए ऐसे समाचार लेख झूठे और भ्रामक हैं."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

तो क्या EVM OTP से अनलॉक हो सकता है?

चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि ईवीएम का किसी बाहरी डिवाइस या सिग्नल से कोई लेना देना ही नहीं है और इसीलिए ईवीएम ओटीपी से अनलॉक नहीं हो सकता.

एक प्रेस वार्ता में मुंबई उत्तर पश्चिम की रिटर्निंग अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने कहा कि, “ईवीएम एक स्टैंडअलोन सिस्टम है यानी किसी से कनेक्ट नहीं होता. यह किसी भी डिवाइस से स्वतंत्र है. इसे प्रोग्राम करने या अनलॉक करने के लिए किसी वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) की जरूरत नहीं है और इसे हैक नहीं किया जा सकता है."

फिर मतगणना केंद्र पर मोबाइल दिखने का क्या मामला है?

मतगणना केंद्र पर कोई मोबाइल फोन नहीं ले जा सकता है. हालांकि केवल वे चुनाव अधिकारी ही मोबाइल ले जा सकते हैं जिन्हें उसकी मतगणना प्रक्रिया में जरूरत होती है. यहां थोड़ी उलझन है. चलिए विस्तार में आपको बताते हैं.

पहले आरोप लगा कि मतगणना केंद्र पर शिंदे गुट के उम्मीदवार वायकर के करीबी के पास मोबाइल फोन है. लेकिन रिटर्निंग अधिकारी सूर्यवंशी ने कहा कि, वो फोन एक डेटा ऑपरेटर का था जिसे चुनाव आयोग के ENCORE एप्लिकेशन सिस्टम का एक्सेस दिया गया था.

ENCORE एप्लिकेशन सिस्टम वही सिस्टम है जिससे हमें काउंटिंग डे के दिन किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले, कौन आगे, कौन पीछे होने की जानकारी मिलती है. दरअसल इसी से डेटा ऑपरेटर गिने गए वोटों की जानकारी डालता है, वोटों की गिनती के हर राउंड की जानकारी डालता है और संबंधित रिपोर्ट बनाता है. ENCORE एप्लिकेशन सिस्टम को अनलॉक करने के लिए ओटीपी लगता है.

उन्होंने बताया कि ये फोन दिनेश गुरव का है जो डेटा ऑपरेटर है. उन्होंने यह भी कहा कि “मतगणना प्रक्रिया वैधानिक है, और किसी भी ओटीपी के साथ ईवीएम को अनलॉक करने का कोई तरीका नहीं है. ओटीपी का उपयोग केवल सहायक रिटर्निंग अधिकारी को एनकोर सिस्टम का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए किया जाता है, जो सिर्फ डेटा अपरेशन सॉफ्टवेयर है. वोटों के गिनती की प्रक्रिया पूरी तरह से अलग और स्वतंत्र है. ईवीएम किसी भी स्थिति में किसी भी डिवाइस के साथ संपर्क नहीं बैठा सकता."

हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि गुरव ने अपना फोन मंगेश पांडिलकर (वायकर के रिश्तेदार) को सौंपा था. उन्होंने कहा कि पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और गुरव को निलंबित कर दिया गया है.

उन्होंने आगे बताया, “पुलिस इस बात की जांच करेगी कि गुरव का मोबाइल फोन जीतने वाले उम्मीदवार के सहयोगी के पास क्यों था.”

रिटर्निंग ऑफिस ने और क्या-क्या कहा?

जब उनसे पूछा गया कि इस सीट पर दोबारा वोटों की गिनती की मांग उठ रही है? इस पर उन्होंने कहा कि, "किसी भी उम्मीदवार ने दोबारा गिनती के लिए नहीं कहा है. जिस प्रक्रिया पर चर्चा की जा रही है वह अवैध वोटों की पहचान करने के लिए पोस्टल से आए मतपत्रों के वेरिफिकेशन से संबंधित है.

इस पर उन्होंने कहा, 26वें राउंड तक ईवीएम की गिनती में सेना यूबीटी प्रत्याशी कीर्तिकर 1 वोट से आगे चल रहे थे:

“वायकर पोस्टल बैलेट में 49 वोटों से आगे चल रहे थे. 110 अवैध पोस्टल बैलेट का वेरीफिकेशन किया गया और उसके बाद, उन्हें अवैध घोषित कर दिया गया. नतीजे शाम 7:53:20 बजे घोषित किए गए और कीर्तिकर ने 8:06 बजे आपत्ति जताई. भारत निर्वाचन आयोग ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है."

पुलिस केस दर्ज, जांच में क्या सामने निकल कर आया? 

मुंबई की वनराई पुलिस ने मतगणना केंद्र पर कथित तौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में गुरव और पांडिलकर पर मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू की.

पुलिस ने बताया कि, ये बात साफ है कि मतगणना केंद्रों पर चुनाव आयोग कर्मियों के अलावा कोई फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकता. चुनाव आयोग ने कुछ चुनाव अधिकारियों को मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन ले जाने के लिए अधिकृत किया है और नियमों के अनुसार परिणाम से एक दिन पहले आयोग ऐसे कर्मियों की लिस्ट पुलिस को सौंपता है. इस लिस्ट में गुरव का नाम है.

पुलिस ने मतगणना केंद्र के सीसीटीवी फुटेज में पांडिलकर को मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए देखा है. जब पांडिलकर से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि यह उनका फोन नहीं है. पांडिलकर ने पुलिस को बताया कि शाम करीब 4 बजे उन्होंने अपने ड्राइवर से संपर्क करने के लिए गुरव का फोन लिया था. अब पुलिस पांडिलकर के बयान की पुष्टि कर रही है.

पुलिस ने मतगणना केंद्र से सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित कर लिया है. संबंधित मोबाइल फोन को जब्त कर लिया गया है और जांच के लिए FSL को भेज दिया गया है. पुलिस ने कहा, “एक बार एफएसएल रिपोर्ट आ जाए उसके बाद हमें पता चल जाएगा कि पांडिलकर ने इस फोन के जरिए कॉल किया था या मैसेज भेजा था."

पुलिस ने दोनों के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की संबंधित धाराओं और आईपीसी धारा 188 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT