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दिल्ली के दिल में बसा राष्ट्रपति भवन महज एक इमारत नहीं है, ये गवाह है आजादी की लड़ाई का, ये गवाह है हिंदुस्तान की आजादी का और भारत के गणतंत्र का. वायसराय के महल तौर पर बनी ये इमारत कभी ब्रिटिश साम्राज्य का प्रतीक थी, लेकिन बाद में ये बन गया महामहिम का महल.
इस इमारत की एक-एक दीवार पर लिखी है भारत की गौरव गाथा. इस इमारत में ब्रिटिश हुकूमत के आगमन के साथ ही हिंदुस्तान में उनके सूरज के अस्त होने का काउंटडाउन शुरू हो गया था. हम आपको बताते रहे हैं राष्ट्रपति भवन के इतिहास और इसकी भव्यता के बारे में.
राष्ट्रपति भवन यानी उस समय के वायसराय हाउस को बनाने के लिए 1911 से 1916 के बीच रायसीना और मालचा गांवों के 300 लोगों की करीब 4 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया. लुटियंस की यही तमन्ना थी कि ये इमारत दुनिया भर में मशहूर हो और भारत में अंग्रेजी राज्य का गौरव बढ़ाए.
इस इमारत को कुछ इस तरह से बनाने का फैसला किया गया कि दूर से ही पहाड़ी पर ये महल की तरह नजर आए. राष्ट्रपति भवन को बनने में 17 साल लग गए. 1912 में शुरू हुआ निर्माण का काम 1929 में खत्म हुआ. इमारत बनाने में करीब 70 करोड़ ईंटों और 30 लाख पत्थरों का इस्तेमाल किया गया.
उस वक्त इसके निर्माण में 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च हुए थे. राष्ट्रपति भवन में प्राचीन भारतीय शैली, मुगल शैली और पश्चिमी शैली की झलक देखने को मिलती है. राष्ट्रपति भवन का गुंबद इस तरह से बनाया गया कि ये दूर से ही नजर आता है.
चार मंजिला राष्ट्रपति भवन में करीब 340 कमरे बनाए गए हैं. राष्ट्रपति भवन के स्तंभों पर उकेरी गई घंटियां, जैन और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की तरह है. राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियां और जालियां भारतीय स्थापत्य कला की याद दिलाते हैं.
भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन जब अपनी पत्नी के साथ वायसराय हाउस पहुंचे, तो इसकी भव्यता देखते ही रह गए. माउंटबेटन दूसरे नेताओं और अधिकारियों से यहीं मुलाकात करते थे.
इसी राष्ट्रपति भवन में भारत की आजादी की इबारत लिखी गई. 15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी के साथ ही वायसराय हाउस भी नए युग में पहुंच गया. आजादी के बाद 2 सालों तक ये इमारत गर्वमेंट हाउस के नाम से जानी जाती रही.
दरबार हॉल की खूबसूरती देखते ही बनती है, इसे तरह-तरह के रंगीन पत्थरों से सजाया गया है. इस हॉल में 2 टन का झूमर लगा है. इसके ठीक ऊपर राष्ट्रपति भवन का मुख्य गुंबद है.
दरबार हॉल की दीवारें ब्रिटिश हुकूमत से लेकर आजाद भारत के बदलाव की गवाह रही हैं. ये हॉल महामहिम के महल की सबसे खास जगह है.
इसी ऐतिहासिक हॉल में इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक ने अपने पद की शपथ ली थी. ये दरबार हॉल देश के हर बड़े बदलाव का गवाह रहा है.
दरबार हॉल के बगल में मौजूद अशोक हॉल ब्रिटिश हुकूमत के वक्त में शाही नृत्य कक्ष हुआ करता था. इसकी दीवारें और छत की खूबसूरती देखते ही बनती है. हॉल की एक-एक चीज को इतनी बारीकी से तराशा गया है कि यहां से नजर ही नहीं हटती है. इसी कक्ष में राष्ट्रपति ऑफिशियल मीटिंग करते हैं.
राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में कई फीट लंबी डाइनिंग टेबल लगी है, जिस पर एक साथ 104 लोग बैठकर खाना खा सकते हैं. खास बात ये है कि इस हॉल के बाईं ओर एक खास तरह की लाइट लगी है, जो यहां मौजूद बटलर को सिग्नल देता है कि खाना कब सर्व करना है, कब प्लेटें हटानी और लगानी हैं.
इतने सारे लोगों के बीच कौन शाकाहारी है और कौन मांसाहारी, ये जानने के लिए हर शाकाहारी के सामने एक गुलाब रखा होता है.
राष्ट्रपति भवन की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है मुगल गार्डन. 15 एकड़ में फैले इस गार्डन में दुनियाभर के फूल आपको देखने को मिल जाएंगे. ये फरवरी से मार्च तक आम लोगों के लिए खुलता है.
पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणब मुखर्जी तक 13 राष्ट्रपति यहां रह चुके हैं. हर राष्ट्रपति की अपनी यादें इस महल से जुड़ी हुई हैं. राजेंद्र प्रसाद चाहते थे कि हर राष्ट्रपति के हाथ से बनी तस्वीरें यहां लगाई जाएं, तब से इस परंपरा को निभाया जा रहा है. बैंक्वेट हॉल में सभी पूर्व राष्ट्रपति की पेंटिंग देखी जा सकती है.
दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन टीचर थे. उन्होंने यहां की लाइब्रेरी में कई अच्छी किताबों का कलेक्शन किया. जाकिर हुसैन को गुलाब के फूलों से बहुत प्यार था. उन्हीं की देन है कि आज राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में गुलाब की 100 से ज्यादा किस्में हैं.
पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन ने राष्ट्रपति भवन में एक संग्रहालय बनवाया. इस म्यूजियम में चांदी का 640 किलो को वो सिंघासन भी रखा है, जिस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम बैठा करते थे. म्यूजियम में सूरजमुखी का एक फूल भी रखा है, जो महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर पर चढ़ाया गया था.
पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन ने अपने कार्यकाल में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का प्लांट लगवाया. नारायणन के बाद राष्ट्रपति बने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति भवन का एक कोना बच्चों के नाम करके गए थे. इसे चिल्ड्रेन गैलरी कहा जाता है, जिसमें बच्चों की बनाई कलाकृतियां हैं.
देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं प्रतिभा पाटिल ने रोशनी परियोजना शुरू की थी.
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