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"हिट एंड रन" कानून के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और यूपी समेत आठ राज्यों में बस और ट्रक डाईवर हड़ताल पर चले गये हैं. हड़ताल के कारण कई जगहों में सप्लाई, स्कूलों, पेट्रोल पंप आदि पर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
हड़ताल का नेतृत्व कर रही ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AITMC) का कहना है कि नए कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है लेकिन कानून में कई खामियां हैं जिनपर दोबारा सोचे जाने की जरूरत है. ऐसे में यहां समझते हैं कि "हिट एंड रन" कानून क्या है और हड़ताल क्यों हो रही है?
हाल ही संसद से पास किए गए और भारतीय दंड संहित की जगह आये, भारतीय न्याय संहिता (BNS) कानून के तहत, ऐसे ड्राइवर जो लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनते हैं और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भाग जाते हैं, उन्हें 10 साल तक की सजा या ₹7 लाख का जुर्माना हो सकता है. पहले आईपीसी में ऐसे मामलों में दो साल की सजा थी.
संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 पारित किया. इस कानून ने हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किए और आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित कर दिया.
देश भर के ड्राइवरों ने नए भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023 के तहत 'हिट-एंड-रन' मामलों में जेल की सजा में वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ड्राइवरों ने दावा किया है कि कोई भी जानबूझकर दुर्घटना नहीं करता है और उन्हें मजबूर किया जाता है, और जब गुस्साई भीड़ ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी तो वे मौके से भाग गए
किसी दुर्घटना के आसपास की स्थितियों को समझाते हुए, ड्राइवरों ने कहा कि इसमें बहुत सारे कारक शामिल होते हैं और उनमें से कुछ ड्राइवर के नियंत्रण से परे होते हैं. यदि कोहरे के दौरान खराब विजिबिलिटी के कारण कोई दुर्घटना होती है, तो ड्राइवरों को "बिना किसी गलती के जेल में सड़ना" पड़ेगा.
बिहार के अरवल निवासी ट्रक चालक शंटो कुमार ने कहा, " नये कानून में सजा और जुर्माने का प्रावधान बहुत ज्यादा. हम अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं.तीन बच्चे और पत्नी है, अगर हमको सजा हो गई तो हम खेत बेचकर भी जुर्माना नहीं दे पाएंगे.
केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने कहा, "यात्रियों को परेशानी नहीं होनी चाहिए. नया कानून यात्रियों की मदद के लिए है. पहले ड्राइवर भाग जाता था, अब एक नया कानून बना जिसमें ड्राइवर सजग रहे."
वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "बिना प्रभावित वर्ग से चर्चा और बिना विपक्ष से संवाद के कानून बनाने की ज़िद लोकतंत्र की आत्मा पर निरंतर प्रहार है. जब 150 से अधिक सांसद निलंबित थे, तब संसद में शहंशाह ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, ड्राइवर्स के विरुद्ध एक ऐसा कानून बनाया जिसके परिणाम घातक हो सकते हैं. सीमित कमाई वाले इस मेहनती वर्ग को कठोर कानूनी भट्टी में झोंकना उनकी जीवनी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. और साथ ही, इस कानून का दुरुपयोग संगठित भ्रष्टाचार के साथ ‘वसूली तंत्र’ को बढ़ावा दे सकता है. लोकतंत्र को चाबुक से चलाने वाली सरकार ‘शहंशाह के फरमान’ और ‘न्याय’ के बीच का फर्क भूल चुकी."
लोग ईंधन की कमी के डर से अपने वाहन के टैंक भरवाने के लिए पेट्रोल पंपों पर भीड़ लगा रहे हैं क्योंकि ट्रक चालक हिट-एंड-रन कानून का विरोध कर रहे हैं.
नए दंड कानून में प्रावधान को वापस लेने की मांग को लेकर महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के अलावा, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी ड्राइवरों ने काम करना बंद कर दिया.
विरोध प्रदर्शन के बीच, लोग इस डर से विभिन्न शहरों में पेट्रोल पंपों पर पहुंचे कि आंदोलन से ईंधन आपूर्ति प्रभावित होगी. मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने आंदोलनरत ड्राइवरों से इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करने की अपील की है.
उन्होंने कहा कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर लोगों और वाहनों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करेगी.
पिछले तीन दिनों से जारी हड़ताल मुख्यता बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड, गुजरात और पंजाब में है. लेकिन महाराष्ट्र में इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है.
इस बीच, महाराष्ट्र सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने सोमवार को पुलिस से भारतीय न्याय संहिता में सख्त जेल और जुर्माना मानदंडों के खिलाफ ट्रक चालकों के आंदोलन के बीच बाजार में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की सुचारू और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया.
विभाग ने सभी पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर आंदोलन और पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.
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