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दुनिया का सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश इंडोनेशिया ने स्थानीय कमी को देखते हुए 28 अप्रैल से इसके निर्यात पर बैन (Indonesia ban palm oil exports) लगाने का निर्णय लिया है. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने शुक्रवार, 22 अप्रैल को घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कुकिंग ऑयल और इसके कच्चे माल के शिपमेंट को रोकने की घोषणा की.
भारत में जब खाने के तेल (Cooking Oil) के दाम पहले से ही आसमान छू रहे हैं, इंडोनेशिया से आई यह खबर आने वाले दिनों में भारतीय उपभोक्तओं की जेब पर और भारी पड़ सकती है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर दुनिया भर के कुल पाम ऑयल का आधे से अधिक उत्पादन करने वाले इंडोनेशिया को ऐसा फैसला क्यों लेना पड़ा. इसका भारत और उसके उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इंडोनेशिया में इन दिनों महंगाई चरम पर है. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में गुरुवार, 21 अप्रैल को ही सैकड़ों लोगों ने खाने की चीजों की महंगाई के विरोध में जमकर प्रदर्शन किया था.
पाम ऑयल के निर्यात पर बैन लगाने की घोषणा करते हुए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने एक वीडियो ब्रॉडकास्ट में कहा कि प्रमुख फसल उत्पादक देश यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद वैश्विक स्तर पर खाद्य महंगाई के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गयी है और वे इस स्थिति में इंडोनेशिया के अंदर खाद्य उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहते हैं.
मालूम हो कि पाम ऑयल मलेशिया के कुल निर्यात का केवल 4.5% हिस्सा है लेकिन इससे होने वाली कमाई का उसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है.
इंडोनेशिया की सरकार ने इससे पहले पाम ऑयल के अपने उत्पादकों को घरेलू उपयोग के लिए स्टॉक तैयार करने को कहा था लेकिन यह पॉलिसी देश से अंदर इसकी कीमत किफायती स्तर तक लाने में सफल नहीं हुई.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशियाई की वित्त मंत्री मुल्यानी इंद्रावती ने बताया कि खाना पकाने के इन तेलों को खरीदना आम घरों के लिए अभी भी बहुत महंगा है.
चीन और भारत इंडोनेशियाई पाम ऑयल के बड़े आयातक देश हैं. यह फैक्ट महत्वपूर्ण है कि इंडोनेशिया दुनिया भर में पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है और दुनिया की आपूर्ति के आधे से अधिक का यह उत्पादन करता है. इसके बाद इसका पड़ोसी देश मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.
यहां तक कि यह फेरेरो रोचर चॉकलेट और नुटेला स्प्रेड का भी मेन इंग्रेडिएंट है,इससे उन्हें चिकनाहट और लंबी लाइफ मिलती है. पेट्रोल-डीजल में पाम ऑयल को बायो-फ्यूल के रूप में मिलाया जाता है.
मालूम हो कि पाम ऑयल अन्य खाद्य तेलों की अपेक्षा बेहद सस्ता होता है और इसको कई तरह के खाने के तेलों में मिलाया जाता है. इसमें कोई महक नहीं होती जिसके कारण इसे खाने के अन्य तेल के साथ मिलाया जा सकता है और वह कुछ हद तक सस्ते हो जाते हैं.
भारत अभी करीब 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करता है जिसमें से 70% पाम ऑयल इंडोनेशिया से आता है, वहीं 30% मलेशिया से आता है. मिंट रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया के निर्यात बैन का मतलब यह होगा कि भारत को हर महीने लगभग 40 लाख टन पाम ऑयल का नुकसान होगा.
भारत में खाद्य तेल की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि खराब समय पर आई है. देश थोक मुद्रास्फीति से जूझ रहा है, फरवरी में 13.11 प्रतिशत से जो मार्च में बढ़कर 14.55 प्रतिशत हो गई.
भारत में बेहद लोकप्रिय सूरजमुखी तेल की आपूर्ति यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद निचले स्तर पर है और अभी भी ठीक नहीं हुई है. यूरोप के काला सागर क्षेत्र में दुनिया के सूरजमुखी के निर्यात का 75 प्रतिशत से अधिक का उत्पादन होता है, जिसमें भारत का लगभग प्रति माह 100,000 टन आयात शामिल है.
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