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माइंडट्री में घबराहट,हॉस्टाइल टेकओवर से कैसे हथियाई जाती है कंपनी

Mindtree का l&t हॉस्टाइल टेकओवर करना चाहती है

दीपक के मंडल
कुंजी
Published:
माइंड ट्री का फ्रंट दफ्तर 
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माइंड ट्री का फ्रंट दफ्तर 
फोटो : ब्लूमबर्ग क्विंट 

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‘’अपनी कंपनी को हॉस्टाइल टेकओवर से बचाने के लिए मैं ओडिशा स्किल डेवलमेंट अथॉरिटी की सरकारी नौकरी छोड़ कर आया हूं. माइंड ट्री को खतरा है. मुझे बुलडोजर और चेन लेकर आए लोगों से अपने ट्री को बचाना है. इसलिए मैं दौड़ा-दौड़ा यहां चला आया.’’ ये मशहूर आईटी कंपनी माइंड ट्री के को-फाउंडर सुब्रतो बागची का ट्वीट है.

बागची के इस ट्वीट से दिग्गज कंपनी एलएंडटी की आईटी आर्म एलएंडटी इन्फोटेक के हॉस्टाइल टेकओवर से बचने की माइंड ट्री की जी-तोड़ कोशिश का पता चलता है. आखिर कंपनी के फाउंडर्स एलएंडटी इन्फोटेक की हॉस्टाइल टेकओवर की कोशिश से परेशान क्यों हैं? हॉस्टाइल टेकओवर है क्या? क्यों माइंड ट्री इससे बचने की कोशिश में है. आइए समझते हैं.

वीजी सिद्धार्थ को मोहरा बना रही एलएंडटी इन्फोटेक?

माइंड ट्री पर कब्जा करने की कोशिश फोटो : रॉयटर्स 

पिछले कई महीनों से माइंड ट्री में मेजॉरिटी शेयरहोल्डर वीजी सिद्धार्थ अपनी 21 फीसदी हिस्सेदारी एलएंडटी इन्फोटेक को बेचना चाहते हैं. वीजी सिद्धार्थ मशहूर कॉफी कैफे डे चेन के फाउंडर है. लेकिन अब उनका बिजनेस एम्पायर कॉफी रिटेलिंग से लेकर रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक्स, और हॉस्पेटिलिटी सेक्टर तक फैल चुका है. आईटी सेक्टर की कंपनी माइंड ट्री में उन्होंने फाउंडर-चेयरमैन अशोक सूटा की हिस्सेदारी खरीद कर एंट्री की थी. बहरहाल एलएंडी इन्फोटेक वीजी सिद्धार्थ की हिस्सेदारी खरीद कर माइंडट्री के हॉस्टाइल टेकओवर की फिराक में है. आइए समझते हैं यह रणनीति क्या है और कैसे इसे अंजाम दिया जाता है.

क्या है हॉस्टाइल टेकओवर ?

किसी एक कंपनी का दूसरी कंपनी का सीधा अधिग्रहण हॉस्टाइल टेकओवर कहलाता है. इसके लिए अधिग्रहण की जाने वाली कंपनी के शेयरहोल्डरों को सीधे टारगेट किया जाता है. इन शेयर होल्डरों को टेंडर ऑफर दिया जाता है. प्रॉक्सी वोटिंग से भी इस मकसद को साधने की कोशिश होती है. हॉस्टाइल टेकओवर में इस ट्रांजेक्शन के लिए टेकओवर की जाने वाली कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से अनुमति नहीं ली जाती है.

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हॉस्टाइल टेकओवर को ऐसे समझें?

मान लीजिये कंपनी A कंपनी B का हॉस्टाइल टेकओवर करना चाहती है. वह कंपनी B को खरीदने के लिए बिड ऑफर देती है. लेकिन कंपनी B का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कहता है कि यह कंपनी के शेयरहोल्डरों के हितों में कतई नहीं है और बिड ऑफर को रिजेक्ट कर देता है. इसके बावजूद कंपनी A कंपनी B के टेकओवर की कोशिश जारी रखती है. यह कोशिश ही हॉस्टाइल टेकओवर सिचुएशन है.

टेंडर ऑफर और प्रॉक्सी वोट क्या हैं?

1. टेंडर ऑफर - टेंडर ऑफर किसी कंपनी के शेयरों को प्रीमियम पर खरीदने का ऑफर है. मान लीजिये किसी कंपनी के शेयर 10 रुपये के हैं तो शेयरहोल्डर को 15 रुपये का ऑफर दिया जाता है. टेंडर ऑफर के जरिये कंपनी में मेजॉरिटी स्टेक (बहुसंख्यक हिस्सेदारी ) खरीदी जाती है.

2. प्रॉक्सी वोट - अगर कंपनी A कंपनी B का हॉस्टाइल टेकओवर करना चाहती है तो प्रॉक्सी वोट स्ट्रेटजी के तहत वह कंपनी B के शेयरधारकों पर कंपनी के मैनेजमेंट को वोट के जरिये बाहर कर दे. जिससे अधिग्रहण आसान हो जाए. इसका सीधा मकसद यह है कि टेकओवर का विरोध कर रहे बोर्ड मेंबर हट जाएं, और उनकी जगह नए बोर्ड मेंबर आ जाएं जो मालिकाना में बदलाव का समर्थन कर दें.

क्या बच पाएगी माइंड ट्री ?

एलएंडटी ने माइंड ट्री के हॉस्टाइल टेकओवर के लिए 10,733 करोड़ रुपये का ऑफर दिया है. जबकि माइंड ट्री की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन ही 15 हजार करोड़ रुपये है.

बहरहाल, माइंड ट्री के फाउंडर्स Baring PE Asia, Chrys Capital और KKR से बात कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि ये सिद्धार्थ की हिस्सेदारी खरीद लें और कंपनी पर फाउंडर्स का ही नियंत्रण बना रहे. बागची की यह कोशिश कितनी कामयाब होगी पता नहीं. लेकिन उन्होंने कहा माइंड ट्री को बेचने और खरीदने के लिए खड़ा नहीं किया गया था. यह राष्ट्रीय संसाधन है.यह एक नायाब विचार है जो कारोबार के मानवीय पहलू का प्रतीक है. कंपनी कॉरपोरेट गवर्नेंस की नजीर है. इसलिए इसे किसी भी कीमत पर बचाने की जरूरत है.

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