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देश में बिटकॉइन समेत तमाम वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी सेवाएं 5 जुलाई के बाद बंद हो जाएंगी. ऐसा रिजर्व बैंक के उस आदेश की वजह से होगा, जिस पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. आइए जानते हैं क्या है ये पूरा मामला.
सुप्रीम कोर्ट ने बिटकॉइन समेत तमाम वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी से जुड़े रिजर्व बैंक के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. रिजर्व बैंक के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में 5 याचिकाएं दायर की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने पहले इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर 20 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया था. लेकिन याचिका दायर करने वालों ने कहा कि रिजर्व बैंक के आदेश में 5 जुलाई तक की दी गई डेडलाइन दी गई है, लिहाजा उससे पहले अंतरिम सुनवाई की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को मानते हुए 3 जुलाई को मामले की सुनवाई की, लेकिन आखिरकार रिजर्व बैंक के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 5 अप्रैल, 2018 को जारी आदेश में सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बिटकॉइन समेत तमाम वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन या उससे जुड़ी किसी भी तरह की वित्तीय सेवाएं बंद करने को कहा था. इनमें क्रिप्टो करेंसी के ट्रांसफर, खरीद-बिक्री या सेटलमेंट से जुड़ी हर तरह की सेवाएं शामिल हैं.
रिजर्व बैंक ने इन सेवाओं को बंद करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को 5 जुलाई 2018 तक का वक्त दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से मना करके रिजर्व बैंक का आदेश लागू होने का रास्ता पूरी तरह साफ कर दिया है. इसका मतलब ये हुआ कि रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी बैंक और वित्तीय संस्थान 6 जुलाई 2018 से बिटकॉइन समेत किसी भी क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी सेवाएं मुहैया नहीं कराएंगे.
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में करीब 30 लाख लोग क्रिप्टो करेंसी में डील करते हैं. इन सब पर इस रोक का असर पड़ेगा. इस आदेश का असर क्रिप्टोकरेंसी रखने वाले निवेशकों के साथ-साथ उनमें ट्रेडिंग की सुविधा मुहैया कराने वाले क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर भी पड़ेगा.
अप्रैल में रिजर्व बैंक का आदेश आने के बाद से बहुत से लोग क्रिप्टो करेंसी में निवेश और लेन-देन बंद कर चुके हैं. लेकिन जिन लोगों के पास अब भी क्रिप्टो करेंसी है, वो 5 जुलाई या उससे पहले अपनी रकम निकाल सकते हैं. 6 जुलाई से क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन बंद हो जाएगा और तब वो क्रिप्टो करेंसी में लगी रकम निकाल नहीं पाएंगे. कई क्रिप्टो एक्सचेंज अपने ग्राहकों को इस बारे में जरूरी जानकारी मुहैया भी करा रहे हैं. जाहिर है, नए निवेशकों को तो इन हालात में क्रिप्टो करेंसी से दूर ही रहना चाहिए.
रिजर्व बैंक ने 5 अप्रैल, 2018 को क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने का आदेश जारी करते समय ये भी बताया था कि ये कदम क्यों उठाया जा रहा है. आदेश में कहा गया था कि वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल, निवेश या ट्रेडिंग में जोखिम हो सकते हैं, जिनके बारे में रिजर्व बैंक बार-बार आगाह करता रहा है.
इनमें कंज्यूमर प्रोटेक्शन की कमी, मनी लॉन्ड्रिंग और बाजार में हेराफेरी की आशंका समेत कई तरह के गंभीर जोखिम शामिल हैं. रिजर्व बैंक ने कहा था कि इन आशंकाओं को देखते हुए ही क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी सभी सेवाओं पर रोक लगाई जा रही है.
वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी होती है, जिसे इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी की मदद से जेनरेट और रेगुलेट किया जाता है. इन करेंसी के क्रिएशन, निवेश, लेन-देन या फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक या किसी भी दूसरे देश के बैंकिंग रेगुलेटर की प्रभावी भूमिका नहीं होती है. इन करेंसी पर न तो किसी देश की मुहर होती है और न ही इनके भुगतान के लिए किसी तरह की सॉवरेन यानी सरकारी गारंटी होती है.
दुनियाभर में बहुत सारी क्रिप्टो-करेंसी प्रचलित हैं, जिनमें बिटकॉइन सबसे मशहूर है.
रिजर्व बैंक का आदेश आने से पहले 2018 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कहा था कि भारत सरकार क्रिप्टो करेंसी को लीगल टेंडर यानी कानूनी रूप से वैध करेंसी नहीं मानती. लेकिन वैध नहीं मानने के बावजूद सरकार ने बिटकॉइन समेत तमाम क्रिप्टो करेंसी पर कभी कोई ब्लैंकेट बैन यानी संपूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया.
दिसंबर 2017 में वित्त मंत्रालय ने क्रिप्टो करेंसी के रेगुलेशन पर सुझाव देने के लिए आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक कमेटी का गठन भी किया था. इतना ही नहीं, क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन पर रोक लगाने वाले 5 अप्रैल 2018 के अपने सर्कुलर में भी रिजर्व बैंक ने कहा था कि वर्चुअल करेंसी की नई तकनीक फाइनेंशियल सिस्टम की कुशलता बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसके दायरे में जाने में कारगर साबित हो सकती है.
इसी सोच के तहत रिजर्व बैंक ने खुद अपनी डिजिटल करेंसी लाने की संभावना पर विचार के लिए एक इंटर-डिपार्टमेंटल ग्रुप बनाने की बात भी इसी सर्कुलर में बताई थी. इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए क्रिप्टो करेंसी के कारोबार से जुड़े लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार भविष्य में वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी के रेगुलेशन के लिए विस्तृत नियम बनाकर फिर से इनमें लेन-देन की छूट दे सकती है.
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