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म्यूचुअल फंड स्कीम को निवेशकों के लिए ज्यादा सस्ता बनाने के लिए सेबी ने टोटल एक्सपेंस रेश्यो यानी TER घटा दिए हैं. कम TER म्यूचुअल फंड में निवेश को आसान बनाने के साथ निवेशकों का रिटर्न भी बढ़ाएगा. 1 अप्रैल से म्यूचुअल फंड के नए TER लागू हो जाएंगे. अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आइए समझते हैं कि सेबी के नए नियमों का आपके लिए क्या मतलब है इससे आपको कितना फायदा होगा.
हर साल अपने फंड को मैनेज करने के एवज में निवेशक अपने निवेश का एक हिस्सा फंड हाउस को देता है इसे ही TER कहते हैं. मान लीजिये कोई निवेशक किसी फंड में सालाना 5000 रुपये निवेश करता है जिसका TER 1 फीसदी है तो उसे 50 रुपये देने होंगे. TER फंड की कुल लागत से फंड के कुल एसेट को भाग देने से TER निकलेगा.
ये फॉर्मूला है - Total Expense Ratio = Total fund costs/Total fund asset
सेबी ने ओपन एंडेड इक्विटी स्कीमों के लिए पहले 500 करोड़ रुपये के एसेट के लिए 2.25 फीसदी TER की सिफारिश की है. जैसे-जैसे एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM ) बढ़ेगा ये रेश्यो कम होता जाएगा. यानी बड़े फंड हाउसों की स्कीमों के लिए TER कम होता जाएगा. सेबी के मुताबिक 500-700 करोड़ के लिए AUM के लिए TER 2 फीसदी और 750 से 2000 करोड़ रुपये के AUM के लिए 1.75 फीसदी TER होगा. 2000 से 5000 करोड़ रुपये के AUM के लिए TER 1.6 फीसदी होगा और 50,000 करोड़ रुपये के AUM के लिए यह TER होगा 1.06 फीसदी.
म्यूचुअल फंड के निवेश में TER हर साल लगाया जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप दस साल तक हर साल 1 लाख रुपये लगाते हैं तो इस रकम पर 15 फीसदी का रिटर्न 4.05 लाख रुपये हो जाता है. अगर इस पर 1.5 फीसदी का TER लगाया जाए तो यह रिटर्न घट कर 3.55 लाख रुपये हो जाता है. आपको जितना पैसा मिलना चाहिए उससे लगभग 14 फीसदी कम.
म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट्स का कहना है निवेशकों की सहूलियत के लिए उठाया गया कदम इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद होगा. अगर लागतें घटती हैं फंड का नेट रिटर्न भी बढ़ता है. यह स्थिति ज्यादा निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स स्कीमों की ओर आकर्षित करेगी. मार्केट रेग्युलेटर सेबी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ऐसेट्स अंडर मैनेजमेंट के कुछ टॉप प्लेयर्स के बीच सिमटने की रफ्तार बढ़ने से चिंतित था. सेबी का मानना है कि इससे छोटे प्लेयर्स की दिक्कतें बढ़ सकती थीं और मार्केट में प्रतिस्पर्धा खत्म हो सकती थी. लिहाजा सेबी ने TER को वाजिब बनाने का कदम उठाया.
यह कदम इंडस्ट्री और म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश करने वाले निवेशकों दोनों के लिए अच्छा माना जा रहा है.
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