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Neuralink: माइंड से कंप्यूटर कैसे होता है 'कंट्रोल'? एलन मस्क की कंपनी को सफलता| Explained

what is Brain computer interface Technology: एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक की टेक्नोलॉजी से पैरालाइज्ड शख्स ने खेला चेस

आशुतोष कुमार सिंह
कुंजी
Updated:
<div class="paragraphs"><p>what is Brain computer interface Technology</p></div>
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what is Brain computer interface Technology

(Photo- Quint Hindi)

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Neuralink Explained: क्या कोई इंसान माइंड कंट्रोल से कंप्यूटर पर शतरंज खेल सकता है? जवाब होगा हां. अरबपति एलन मस्क के ब्रेन-चिप स्टार्ट-अप, न्यूरालिंक ने एक ऐसे लकवाग्रस्त मरीज को लाइवस्ट्रीम किया है जो केवल अपने दिमाग का उपयोग करके ऑनलाइन शतरंज खेलता हुआ दिखाई दे रहा है. बुधवार, 20 मार्च को Neuralink ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें 29 साल का नौलैंड आरबौग इस ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (Brain–computer interface) टेक्नोलॉजी की मदद से ऐसा कर पा रहा है. उसके दिमाग में एक चिप लगाया गया है.

वीडियो में नोलैंड बताता है कि लगभग आठ साल पहले एक दुर्घटना के बाद उसके हाथ और पैरों ने काम करना बंद कर दिया और उसे अपने दोनों अंग में कुछ महसूस नहीं होता.

चलिए आपको एकदम आसान भाषा में बताते हैं कि Neuralink क्या है? ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है? और कौन-कौन सी कंपनी इस फील्ड में काम कर रही है?

Neuralink क्या है?

न्यूरालिंक एक स्टार्टअप है जो ब्रेन-चिप बनाता है. यानी ऐसा चिप जिसे इंसानी दिमाग में इम्प्लांट किया जा सके. एलन मस्क इस स्टार्टअप के को-फाउंडर हैं और इसे 2016 में शुरू किया गया था.

Neuralink के इस वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए एलन मस्क ने लिखा है कि उनकी कंपनी ने एक व्यक्ति को सिर्फ दिमाग में सोचने से कंप्यूटर को कंट्रोल करने की अनुमति देकर "टेलीपैथी" का प्रदर्शन किया है.

आज से लगभग तीन साल पहले न्यूरालिंक ने ऐसा ही वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें एक बंदर अपने दिमाग से कंप्यूटर गेम- पोंग खेलते हुए दिख रहा था.

न्यूरालिंक की वेबसाइट के अनुसार इस स्टार्टअप का लक्ष्य ऐसा ब्रेन इंटरफेस बनाना है ताकि आज जिन लोगों की चिकित्सीय जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं उन्हें किसी और पर निर्भर न रहना पड़े और आने वाले टाइम में मानव क्षमता को अनलॉक किया जा सके. यानी उसे और आगे ऐसी जगह पर पहुंचाया जा सके, जहां वो आज नहीं है.

न्यूरालिंक का कहना है कि

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस में जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है. हम इस टेक्नोलॉजी को लैब से लोगों के घरों तक पहुंचाना चाहते हैं.

न्यूरालिंक को अपने पहले ह्यूमन-क्लिनिकल ट्रायल के लिए मई 2023 में अनुमति मिली थी.

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Neuralink की चिप कैसे काम करती है?

इसे मूल रूप से लकवाग्रस्त मरीजों के लिए बनाया गया है जो शारीरिक रूप से कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस को कंट्रोल करने में सक्षम नहीं होते हैं. इस टेक्नोलॉजी की मदद से वे दिमाग से सीधे कंप्यूटर को सिग्नल दे सकते हैं.

न्यूरालिंक का ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस एक चिप के रूप में मौजूद होता है जिसे मरीज के दिमाग में लगाया जाता है. कंपनी के अनुसार इसका ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस यानी कि चिप को पूरी तरह से दिमाग के अंदर प्रत्यारोपित/ इम्प्लांट किया जा सकता है. यह कॉस्मेटिक रूप से अदृश्य है यानी कोई मरीज को देखकर नहीं बता सकता है कि उसके दिमाग में ऐसा कोई चिप लगाया गया है.

कंपनी के अनुसार इसे ऐसे डिजाइन किया गया है मरीज के कहीं भी जाने पर वह कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस को कंट्रोल कर सके.

Neuralink ऐसा करने वाली अकेली कंपनी नहीं है

न्यूरालिंक ऐसी पहली कंपनी नहीं है जिसने किसी मरीज को अपने दिमाग से कंप्यूटर को कंट्रोल करने की अनुमति देने के लिए इम्प्लांट का उपयोग किया है.

ऑस्ट्रेलिया स्थित सिंक्रोन कम आक्रामक तकनीक का उपयोग करती है. उसमें चिप लगाने के लिए खोपड़ी/ स्कल को काटने की जरूरत नहीं पड़ती. इस कंपनी ने जुलाई 2022 में एक मरीज में अपना डिवाइस लगाया था.

NBC न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों ने 2004 में पहला ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस डिवाइस प्रत्यारोपित किया था. इसे यूटा ऐरे के रूप में जाना जाता था क्योंकि इसका आविष्कार अमेरिका के यूटा में किया गया था. इसका एक वर्जन अब ब्लैकरॉक न्यूरोटेक द्वारा उपयोग किया जाता है. ब्लैकरॉक न्यूरोटेक भी न्यूरालिंक जैसी ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस बनाने वाली कंपनी है.

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Published: 21 Mar 2024,10:40 AM IST

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