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हाल ही में हुए सीबीआई विवाद को देखते हुए पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में सीबीआई जांच की अनुमती से इंकार कर दिया है. राज्य सरकारों ने कहा है कि सीबीआई के बड़े अधिकारियों पर जो आरोप लगे हैं उसके बाद से अब सीबीआई पर भरोसा नहीं रहा. दोनों राज्यों की सरकारों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार गलत तरीके से विपक्षी पार्टियों के खिलाफ सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है. एक नजर पूरे मामले पर...
राष्ट्रीय जांच एजेंसी का अपना एक अलग कानून है जिसे एनआईए एक्ट कहा जाता है. सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत काम करती है. जिसके कारण उसे किसी भी राज्य में जांच करने से पहले राज्य सरकार की इजाजत लेनी पड़ती है. सीबीआई के न्यायिक दायरे में केवल केंद्र सरकार के विभाग ही आते हैं इसलिए सीबीआई को किसी भी राज्य में जांच से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है.
इसका मतलब यह हुआ कि अब इन दोनोें राज्यों में सीबीआई के पास अब किसी भी तरह का कोई अधिकार नहीं है. अब चाहे केंद्र सरकार का कर्मचारी हो या राज्य सरकार का अधिकारी हो, सीबीआई अब किसी के भी खिलाफ केस रजिस्टर नहीं कर सकती.
दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबलिशमेंट एक्ट के सेक्शन 6 के तहत किसी भी राज्य में किसी भी तरह की जांच से पहले सीबीआई को राज्य सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है. बगैर इजाजत सीबीआई राज्य में किसी के भी खिलाफ कोई केस रजिस्टर नहीं कर सकती. यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई राज्य जैसे नागालैंड, सिक्किम, मिजोरम और छत्तीसगढ़ सीबीआई पर रोक लगा चुके हैं.
राज्य सरकार द्वारा जांच पर रोक के बाद अब सीबीआई केवल उन्हीं मामलों में जांच कर सकती है जो केस इस रोक से पहले रजिस्टर हुए हैं. ऐसे में किसी भी मामले में आरोपी को पूछताछ के लिए सीबीआई राज्य से बाहर बुला सकती है लेकिन अभी ये बात साफ नहीं हो पाई है कि सीबीआई राज्य की इजाजत के बिना सर्च ऑपरेशन कर सकती है या नहीं.
अगर कोई राज्य सीबीआई को इजाजत नहीं देता तो सीबीआई दिल्ली में ही केस दर्ज कर जांच शुरू कर सकती है. सीआरपीसी की धारा 166 के तहत कोई भी पुलिस अधिकारी लोकल कोर्ट से अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर सर्च करने की अनुमति ले सकता है.
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