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NSEL घोटाले के आरोपी की पेशी आज, जानिए कैसे हुआ था घोटाला

अगर सख्ती से जांच हो और जवाबदेही तय की जाए, तो निवेशकों का पैसा रिकवर होने की उम्मीद है.

वैभव पलनीटकर
कुंजी
Published:
NSEL यानी नेशनल स्पॉट कमोडिटी एक्चेंज लिमिटेड में 2013 में बड़ा घोटाला उजागर हुआ था.
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NSEL यानी नेशनल स्पॉट कमोडिटी एक्चेंज लिमिटेड में 2013 में बड़ा घोटाला उजागर हुआ था.
(फोटो: iStock)

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2013 में हुए NSEL घोटाले की जांच में मुंबई पुलिस की इकनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) के हाथ लगा है घोटाले का कथित आरोपी जोसेफ मैसी. 25 जनवरी को EOW ने मैसी को मुंबई से विदेश भागते वक्त पकड़ा और गिरफ्तार कर लिया. जोसेफ की गिरफ्तारी से अब NSEL घोटाला फिर से फोकस में है. अब इसे PMLA कोर्ट में पेश किया जाना है. मुंबई पुलिस को उम्मीद है कि मैसी से इस घोटाले से जुड़ी काफी सारी जानकारी मिल सकती है.

कैसे हुआ था घोटाला?

NSEL यानी नेशनल स्पॉट कमोडिटी एक्चेंज लिमिटेड में 2013 में बड़ा घोटाला उजागर हुआ था. कई सारे बड़े निवेशकों, कंपनियों, ब्रोकर्स और रिटेल निवेशकों ने एक कॉम्‍प्‍लेक्स फाइनेंशियल प्रोडक्ट में निवेश किया. इस एक्सचेंज पर कमोडिटी की खरीदी-बिक्री की जाती थी.

NSEL के प्लेटफॉर्म पर निवेशकों और कर्जदारों के ऑर्डर मैच किए जाते थे. इसमें 15% के आस पास रिटर्न मिलता था. इसमें दो कॉन्ट्रैक्ट हुआ करते थे, T+2 और T+25. निवेशक के पैसा लगाने के दो दिन बाद कर्जदार के पास पैसा जाता था और निवेशक को एक्सचेंज की तरफ से एक लेटर मिलता था. इस लेटर में कमोडिटी वेयर हाउस में रखे होने का वादा होता था.

25 दिन बाद कर्जदार उधारी चुकाता था और अपनी रिसीट वापस ले जाता था. लेकिन रिटर्न अच्छा मिल रहा था, तो निवेशक पोजि‍शन को रोलओवर करते रहते थे और ये सिलसिला लंबा चला.

2013 में अचानक कैसे फूटा भांड़ा?

सरकार ने जुलाई 2013 को अचानक NSEL को नया कॉन्ट्रैक्ट जारी करने से मना कर दिया. इसके चलते पोजि‍शन आगे रोलओवर नहीं हो सकी. निवेशकों को तब लगा कि सरकार कोई न कोई रास्ता निकालेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. सरकार ने एक्चेंज को बंद करा दिया. सारे घोटाले की जड़ में थी फर्जी रिसीट.

दरअसल, वेयरहाउस में कोई माल न होते हुए भी रिसीट दे दी गई और कर्जदारों ने उधार लिया पैसा अलग-अलग जगह निवेश कर दिया.

एक्सचेंज की जवाबदेही

(फोटो: रॉयटर्स)

पूरे मामले में एक्सचेंज की भूमिका सबसे संदिग्ध नजर आती है. निवेशकों ने एक्सचेंज पर भरोसा करके निवेश किया. एक्सचेंज की जवाबदेही थी कि वो ट्रेड को सही तरीके से अंजाम दें. घोटाला उजागर होने के बाद अब एक्सचेंज के प्रोमोटरों पर पैसा चुकाने का दबाव है.

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जिग्नेश शाह और उसकी नई कंपनी 63 मून्स का क्या होगा?

जिग्नेश शाह NSEL कंपनी में वाइस चेयरमैन था(फोटो: PTI)

भारत में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री का जाना-माना नाम है जिग्नेश शाह. जिग्नेश शाह NSEL कंपनी में वाइस चेयरमैन था. कई लोग इस पूरे घोटाले में उसका हाथ होने का दावा करते हैं.

कई निवेशकों का मानना है कि जिग्नेश शाह की संपत्ति जब्त होनी चाहिए और उससे निवेशकों का पैसा वापस होना चाहिए. जिग्नेश शाह की नई कंपनी 63 मून्स में NSEL के मर्जर की भी बात चल रही है. अगर NSEL का मर्जर 63 मून्स में हो जाता है, तो NSEL की सारी देनदारी 63 मून्स पर आ जाएगी और निवेशकों को पैसे लौटाने में कंपनी को भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है.

क्या निवेशकों का पैसा रिकवर हो पाएगा?

अगर सख्ती से जांच हो और जवाबदेही तय की जाए, तो निवेशकों का पैसा रिकवर होने की उम्मीद है. सारे निवेशकों का पैसा रिकवर होगा या नहीं, ये कहना मुश्किल है, क्योंकि एक्सचेंज से कई लोगों ने पैसे उधार लेकर अगल-अलग जगहों पर निवेश कर दिया, कई लोग पैसा विदेश ले गए. लेकिन अगर अभी भी इस मामले में ठीक से जांच हो, तो उम्मीद अभी बाकी है.

पैसे वापस दिलाने में ब्रोकर की भूमिका

इस पूरे घोटाले में ब्रोकर अहम कड़ी हैं. कई लोगों का मानना है कि घोटाला ब्रोकर और एक्सचेंज की मिलीभगत से हुआ. ब्रोकरों ने निवेशकों को गारंटेड रिटर्न का वादा किया, बदले में निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया. ब्रोकरों ने निवेशकों को ब्याज पर पैसा भी दिलाया और ज्यादा से ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया. अगर घोटाले की जांच अंजाम तक पहुंचती है, तो कई नामी गिरामी ब्रोकर घेरे में आ सकते हैं.

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