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Sudan: लंबा खिंचा संघर्ष तो पड़ोसी देशों पर असर, विदेशी ताकतें भी आजमाएंगी हाथ !

Sudan conflict Explained: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक इस संघर्ष में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

मोहन कुमार
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>Sudan: लंबा खिंचा संघर्ष तो पड़ोसी देशों पर असर, विदेशी ताकतें भी आजमाएंगी हाथ !</p></div>
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Sudan: लंबा खिंचा संघर्ष तो पड़ोसी देशों पर असर, विदेशी ताकतें भी आजमाएंगी हाथ !

(फोटो: क्विंट)

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सूडान (Sudan) पिछले कुछ दिनों से युद्ध की आग में झुलस रहा है. यहां की सेना (Army) और अर्धसैनिक बलों (Rapid Support Force) के बीच संघर्ष जारी है. बताया जा रहा कि अभी इस संघर्ष में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. सूडान में दो शीर्ष जनरलों के प्रति वफादार बलों के बीच लड़ाई ने देश को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है और इसके परिणाम उसकी सीमाओं से परे हो सकते हैं.

दोनों पक्षों के पास हजारों लड़ाके, विदेशी समर्थक, खनिज संपदा और अन्य संसाधन हैं जो उन्हें प्रतिबंधों से बचा सकते हैं. यह उस तरह के लंबे संघर्ष के लिए एक नुस्खा है जिसने मध्य पूर्व और अफ्रीका में लेबनान और सीरिया से लेकर लीबिया और इथियोपिया तक को तबाह कर दिया है.

चलिए जानते हैं कि फिलहाल सूडान में क्या चल रहा है और इसका पड़ोसी देशों पर क्या असर हो सकता है?

सूडान में कौन लड़ रहे हैं?

सूडान पर नियंत्रण के लिए सेना प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह बुरहान और अर्धसैनिक बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दागलो, जिसे रैपिड सपोर्ट फोर्स के रूप में जाना जाता है, आमने-सामने हैं.

अप्रैल 2019 में ओमर अल बशीर की सरकार गिरने के बाद से सूडान में अस्थिरता का माहौल है. 2021 में तख्तापलट के बाद ये संघर्ष और बढ़ गया. बीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा के ताजा दौर के पीछे दो मुख्य सैन्य नेताओं के बीच संवाद की कमी है, जिन पर देश में नागरिक सरकार की बहाली की जिम्मेदारी है. इसके साथ ही इस संघर्ष के कई कारणों में सबसे बड़ा कारण 'सोना' है. पूरे अफ्रीका महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है.

देश के सबसे मुनाफे वाली सोने की खदानों पर हेमेदती और RSF मिलीशिया का कब्जा है, जो अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए इस कीमती धातु को केवल खार्तूम सरकार को ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्कों को भी बेचते हैं.

ताजा संघर्ष के विजेता के सूडान के अगले राष्ट्रपति बनने की संभावना है. वहीं हारने वाले को निर्वासन, गिरफ्तारी या मौत का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही लंबे समय तक चलने वाले गृहयुद्ध की आशंका जताई जा रही है. जिसमें अरब और अफ्रीकी देश भी कूद सकते हैं.

AP की रिपोर्ट के मुताबिक, टफ्ट्स विश्वविद्यालय (Tufts University) में सूडान मामलों के जानकार एलेक्स डी वाल ने अपने सहयोगियों को एक मेमो में लिखा कि इस संघर्ष को "गृहयुद्ध के पहले दौर" के रूप में देखा जाना चाहिए.

"अगर यह संघर्ष तेजी से खत्म नहीं होता तो क्षेत्रीय और कुछ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ एक बहु-स्तरीय खेल बन जाएगा. जो अपने हितों को साधने के लिए धन, बल और संभवत: अपने सैनिकों या प्रॉक्सी का उपयोग कर सकते हैं."
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सूडान के पड़ोसियों के लिए इस संघर्ष के क्या मायने हैं?

सूडान क्षेत्रफल के हिसाब से अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा देश है और नील नदी से घिरा है. यह क्षेत्रीय दिग्गज मिस्र और इथियोपिया के साथ अपना जल साझा करता है.100 मिलियन से अधिक आबादी वाला मिस्र नील नदी पर निर्भर है. वहीं इथियोपिया बड़े पैमाने पर नदी के ऊपर बांध बनाने पर काम कर रहा है, जिसने काहिरा और खार्तूम दोनों के काने खड़े कर दिए हैं.

मिस्र के सूडान की सेना से घनिष्ठ संबंध हैं, जिसे वह इथियोपिया के खिलाफ सहयोगी के रूप में देखता है. काहिरा संघर्ष विराम के लिए दबाव डालने के लिए सूडान में दोनों पक्षों के पास पहुंचा है, लेकिन अगर सेना को हार का सामना करना पड़ा तो उसके खड़े होने की संभावना नहीं है.

सूडान की सीमा पांच अन्य देशों से भी लगती है- लीबिया, चाड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इरिट्रिया और दक्षिण सूडान, जो 2011 में अलग हुआ और खार्तूम के 75% तेल संसाधनों को अपने साथ ले गया. विभिन्न विद्रोही समूहों के साथ लगभग सभी देश आंतरिक संघर्षों में फंस हुए हैं.

AP की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के एलन बोसवेल का कहना है कि,

"सूडान में जो होगा, वह सिर्फ सूडान तक सीमित नहीं नहीं रहेगा. चाड और दक्षिण सूडान पर इसका संभावित जोखिम सबसे अधिक हैं. हालांकि, लड़ाई जितनी लंबी खिचेगी, बाहरी हस्तक्षेप की संभावना उतनी ही अधिक है."

सूडान में कौन सी बाहरी शक्तियां रुचि रखती हैं?

पिछले कुछ सालों से अरब खाड़ी देशों की नजर 'हॉर्न ऑफ अफ्रीका' पर है और उन्होंने पूरे क्षेत्र में अपना दबदबा दिखाने की कोशिश की है.

एक उभरती हुई सैन्य शक्ति के रूप में संयुक्त अरब अमीरात ने मध्य पूर्व और पूर्वी अफ्रीका में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है. UAE के रैपिड सपोर्ट फोर्स के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसने यमन में ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध में UAE और सऊदी अरब की सहायता के लिए हजारों लड़ाकों को भेजा था.

इस बीच रूस लंबे समय से सूडान में 300 सैनियों और चार जहाजों की क्षमता वाला नौसेना बेस बनाने की गुप्त प्लानिंग कर रहा है. यूरोप में ऊर्जा शिपमेंट के लिए लाल सागर व्यापार मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है, जिसपर रूस की नजर है.

क्रेमलिन की करीबी वैगनर ग्रुप ने हाल के वर्षों में पूरे अफ्रीका में अपनी पैठ बनाई है और 2017 से सूडान में काम कर रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने तस्करी के आरोप में सूडान में वैगनर से जुड़ी दो सोने की खनन फर्मों पर प्रतिबंध लगाए हैं.

अन्य देशों की क्या भूमिका है?

सूडान में जारी संघर्ष के बीच अब नजर पश्चिमी देशों पर टिकी है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को सूडान में दोनों पक्षों से कम से कम तीन दिनों के लिए संघर्ष विराम की अपील की ताकि प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों तक चिकित्सा, भोजन और अन्य आवश्यक मदद भेजी जा सके. अफ्रीकी संघ (AU) की बैठक के बाद उन्होंने ये अपील की.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात की. दोनों के बीच सूडान संकट को लेकर भी चर्चा हुई.

वहीं इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सूडान के दोनों जनरलों से फोन पर अलग-अलग बात की थी और सीजफायर की अपील की थी. वहीं ब्रिटेन, यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों ने भी इस समस्या को हल करने के लिए संघर्ष विराम लागू करने और बातचीत करने की अपील की है.

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