advertisement
Teesta Water Dispute: भारत दौरे पर आईं बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने 7 सितंबर को कहा कि वो उम्मीद करती हैं कि भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी का मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा. तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मुद्दा दोनों देशों के बीच सालों से लटका हुआ है.
दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का मुद्दा सालों से चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मुद्दे पर कई बैठकें हुईं, लेकिन किसी में भी इसका नतीजा नहीं निकल पाया है. तो आखिर क्या है तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मु्द्दा, जो दोनों देशों के बीच संघर्ष का कारण बना हुआ है?
भारत और बांग्लादेश 54 नदियों को शेयर करते हैं, जिसमें से एक तीस्ता भी है. तीस्ता नदी का उद्गम तीस्ता कांग्सी ग्लेशियर से होता है और ये नदी सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश में दाखिल होती है. 1947 में नदी का जलग्रहण इलाका भारत को आवंटित किया गया था और तभी से ये दोनों देशों के बीच मुद्दा बना हुआ है.
बांग्लादेश ने गंगा जल संधि 1996 की तर्ज पर, तीस्ता नदी के बराबर जल बंटवारे की मांग की थी, लेकिन अलग-अलग कारणों से अभी तक इस समस्या का हल नहीं निकल पाया है.
साल 2011 में, भारत दिसंबर से मार्च के बीच कमजोर मौसम के दौरान, तीस्ता नदी का 42.5 प्रतिशत पानी खुद रखने और 37.5 प्रतिशत पानी बांग्लादेश को देने पर राजी हो गया था. बांग्लादेश की यात्रा पर गए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस समझौते पर हस्ताक्षर करने थे, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के बाद ये समझौता आगे नहीं बढ़ा.
भारत और बांग्लादेश के बीच इस विवाद में चीन का नाम भी आ चुका है. तीस्ता नदी के पानी के मैनेजमेंट और बहाली परियोजना के लिए बांग्लादेश चीन की तरफ देख रहा था. रिपोर्ट्स थीं कि बांग्लादेश इसके लिए चीन से बड़ी रकम उधार लेगा. तीस्ता नदी के मुद्दे पर चीन की एंट्री पर भारत ने विरोध जताया था.
बांग्लादेश में शेख हसीना की छवि भारत के समर्थन वाली है. ऐसे में उनकी भारत यात्रा के बाद एक बार फिर उम्मीद की जा रही है कि तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मुद्दा वो हल कर पाएंगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)