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यूनाइटेड किंगडम ने रवांडा के साथ एक समझौते (UK-Rwanda deal) पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके बाद UK में शरणार्थी बनकर रहने की अनुमति चाहने वालों को वापस रवांडा भेज दिया जाएगा.
जहां एक तरफ UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि UK-Rwanda deal "अनगिनत जीवन” को मानव तस्करी से बचाएगा वहीं दूसरी तरफ मानवाधिकारों और शरणार्थी संगठनों ने इसकी जमकर आलोचना की है-जो इसे एक अमानवीय और महंगी कवायद के रूप में देख रहे हैं. यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि यह "कई मानवाधिकारों की चिंताओं" को उठाता है.
UK-Rwanda deal के तहत ट्रकों या नावों में छुपकर ब्रिटेन पहुंचने वाले लोगों को वापस 6,400 किलोमीटर दूर रवांडा भेजा जाएगा. एक बार वहां पहुंचने के बाद उनका इस अफ्रीकी राष्ट्र में अंतिम सेटलमेंट के लिए मूल्यांकन किया जाएगा.
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को कहा, "कोई भी व्यक्ति जो अवैध रूप से ब्रिटेन में प्रवेश कर रहा है अब उसे रवांडा ट्रांसफर किया जा सकता है".
न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के अनुसार UK ने शुरुआती 5 साल के लिए पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में प्रवासियों को आवास देने और उन्हें एकीकृत करने के लिए रवांडा सरकार को 120 मिलियन पाउंड का भुगतान किया है.
यूके की होम सेक्रेटरी प्रीति पटेल ने कहा कि जो लोग अफ्रीकी देश भेजे जायेंगे, उन्हें "पांच साल तक ट्रेनिंग, आवास, स्वास्थ्य देखभाल सहित अन्य सहायता दी जाएगी, ताकि वे फिर से बस सकें और आगे बढ़ सकें."
द टाइम्स ने बताया कि रवांडा भेजे जाने वाले प्रत्येक प्रवासी के लिए संभावित रूप से 20,000-30,000 पौंड के बीच खर्च हो सकता है. हालांकि UK की सरकार ने सटीक आंकड़े का खुलासा करने से इनकार कर दिया है.
यूके की होम सेक्रेटरी पटेल के अनुसार, UK-Rwanda deal का उद्देश्य यूके की असाइलम सिस्टम (शरणार्थी प्रणाली) में सुधार करना है, जो उनके अनुसार "वास्तविक मानवीय संकटों और मानव तस्करों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है”.
मालूम हो कि अभी पिछले साल 2021 में ही 28,000 से अधिक लोगों ने नावों में बैठकर ब्रिटेन में प्रवेश किया जो 2020 के 8,500 से अधिक था. सैलों से हजारों प्रवासी ट्रकों और नावों में छिपकर, उत्तरी फ्रांस को लॉन्चिंग पॉइंट के रूप में इस्तेमाल करते हुए यूके में अवैध रूप से घुसते रहे हैं.
कई एक्टिविस्टों, शरणार्थी और मानवाधिकार संगठनों ने UK-Rwanda के बीच इस नई योजना का कड़ा विरोध किया है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHRC) ने पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना शरणार्थियों और असाइलम चाहने वालों को किसी तीसरे देश में भेजने के खतरों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें "वस्तुओं की तरह व्यापार नहीं किया जाना चाहिए और प्रोसेसिंग के लिए विदेशों में ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए."
एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके ने इस योजना को "आश्चर्यजनक रूप से गलत कल्पना" कहा है. यूके में विपक्षी नेताओं ने भी इस योजना की आलोचना की है. कुछ ने इसे "अव्यवहारिक" कहा है और इसे पीएम जॉनसन के नवीनतम 'पार्टीगेट' विवाद से ध्यान हटाने का प्रयास कहा है.
यहां तक कि यूके ने सीधे तौर पर खुद रवांडा में मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में अपनी चिंताओं को उठाया है. UK रवांडा के उन लोगों को शरण देता रहा है जो देश छोड़कर भाग गए थे. पिछले साल भी चार ऐसे लोगों को UK ने शरण दी थी.
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