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चारा घोटाला केस में सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने सजा के ऐलान के वक्त आरजेडी चीफ लालू प्रसाद की उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें ओपन जेल में भेजने की सिफारिश की थी. लालू को झारखंड के हजारीबाग की ओपन जेल में रखा जाएगा.
जानिए आम जेल से कितनी अलग होती है ओपन जेल, यानी खुली जेल का काॅन्सेप्ट. साथ ही क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी लालू को?
ओपन जेल का काॅन्सेप्ट अपराधियों के पुनर्वास और कम से कम सिक्योरिटी में उनके जीवन में बदलाव लाने के तरीके पर आधारित है.
इन जेलों में कैदियों को पूरी तरह से कैद नहीं रखा जाता. जेल के अंदर उन्हें अपने परिवार को साथ रखने और उनकी आजीविका चलाने के लिए काम करने की सुविधा मुहैया कराई जाती है. अगर परिवार साथ रहता हो, तो कैदी एक निर्धारित दायरे में काम के लिए जाता और फिर काम खत्म होने के बाद लौट आता है.
भारत में सबसे अधिक सेंट्रल जेल और सब जेल हैं. देश के 17 राज्यों में 63 ओपन जेल हैं. सबसे ज्यादा 29 ओपन जेल राजस्थान में है.
संगानेर ओपन जेल राजस्थान में सबसे बड़ी ओपन जेल है. यहां करीब 400 कैदियों का ‘घर’ है.
राजस्थान ओपन जेल में कैदियों को रखने या ट्रांसफर करने के लिए मुख्य नियम ये है कि
लालू प्रसाद हजारीबाग के ओपन जेल में रहेंगे. इस जेल का उद्घाटन 2013 में हुआ था और शुरू में 25 कैदियों को रखा गया था, जिनमें माओवादी और पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के मेंबर शामिल थे.
जेलों में बंद कैदियों की दयनीय दशा के मामले में 12 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो ओपन जेल बनाने को लेकर चर्चा करें.
सरकार से कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी के साथ फरवरी 2018 के पहले हफ्ते में इस मसले पर मीटिंग हो.
अगर कोई कैदी पहली बार किसी अपराध में जेल गया है या फिर ऐसे कैदी जो मामूली अपराधों में जेल गए हैं इनमें से कैसे कैदियों को ओपन जेल में रखना सही होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हमें आपस में मिलकर आगे बढ़ना होगा और सभी की एकराय बने और किसी को कोई आपत्ति न हो. जेल नियमों को लेकर सभी राज्य सरकारों के पास अपनी-अपनी गाइडलाइन है, इसलिए किसी तरह की असमंजस की स्थिति पैदा ना हो.
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