Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Explainers Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019प्लाज्मा थेरेपी से जगी आस,जानिए ये क्या है? कैसे होता है ट्रीटमेंट

प्लाज्मा थेरेपी से जगी आस,जानिए ये क्या है? कैसे होता है ट्रीटमेंट

COVID-19 के इलाज का ये नया तरीका कैसे लोगों की मदद कर सकता है?

क्विंट हिंदी
कुंजी
Updated:
COVID-19 के इलाज का ये नया तरीका कैसे लोगों की मदद कर सकता है?
i
COVID-19 के इलाज का ये नया तरीका कैसे लोगों की मदद कर सकता है?
(प्रतीकात्मक फोटो: istock)

advertisement

दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों की तादाद 30 लाख से ऊपर जा चुकी है. संक्रमण से मरने वालों की संख्या 2 लाख पार कर चुकी है. पूरी दुनिया के मेडिकल एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिक इस वायरस की वैक्सीन और इलाज ढूंढने में लगे हैं. ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी ने भरोसेमंद नतीजे दिखाए हैं. इस थेरेपी की शुरुआती रिपोर्ट्स अच्छे संकेत दे रही है.

हाल ही में दिल्ली के मैक्स अस्पताल ने ICMR से इस थेरेपी के ट्रायल की मंजूरी ली थी. अस्पताल ने थेरेपी का इस्तेमाल ICU में भर्ती कोरोना वायरस के दो मरीजों पर किया. अस्पताल के मुताबिक, इन दोनों मरीजों में अच्छे और भरोसेमंद नतीजे देखने को मिले हैं.

COVID-19 के इलाज का ये नया तरीका कैसे लोगों की मदद कर सकता है? ये थेरेपी कैसे काम करती है? ये सब इस एक्सप्लेनेर में समझिए.

प्लाज्मा ट्रीटमेंट क्या है?

प्लाज्मा ट्रीटमेंट एक एक्सपेरिमेंटल प्रक्रिया है, जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों की एंटीबॉडी से ज्यादा संक्रमित लोगों का इलाज किया जाता है.

डॉक्टर इस ट्रीटमेंट का एक्सपेरिमेंट कर ये जानना चाहते हैं कि कोरोना वायरस के मरीजों में ये कितना प्रभावी है. डॉक्टर देखना चाहते हैं कि एक इंसान की इम्युनिटी उसका प्लाज्मा ट्रांसफर कर दूसरे संक्रमित शख्स को दी जा सकती है या नहीं.

(फोटो: क्विंट)
65 साल से ज्यादा उम्र और पहले से डायबिटीज और उच्च-रक्तचाप की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए कोरोना वायरस ज्यादा खतरनाक है. इस ट्रीटमेंट के एक्सपेरिमेंट में ये भी देखा जाएगा कि क्या प्लाज्मा ट्रांसफर से इन लोगों के लिए खतरा कम हो सकता है या नहीं.  
पीले रंग का लिक्विड प्लाज्मा है(फोटो: istock)

मैक्स अस्पताल के मरीज के केस में उसे कोरोना वायरस के हलके लक्षण थे लेकिन उसे सांस लेने संबंधी दिक्कत थी. कुछ दिनों में मरीज की हालत बिगड़ गई और उसे वेंटीलेटर पर रखा गया. उसके परिवार ने प्लाज्मा ट्रीटमेंट के लिए कहा और संक्रमण से ठीक हो चुके एक डोनर का भी इंतजाम किया. इस शख्स ने 14 अप्रैल को प्लाज्मा डोनेट किया.

मरीज में जब प्लाज्मा ट्रांसफर किया गया तो उसमें प्रोग्रेस दिखाई दी और 18 अप्रैल तक उसे वेंटीलेटर की जरूरत नहीं रही. उसका कोरोना वायरस टेस्ट नेगेटिव आया और वो 26 अप्रैल को डिस्चार्ज हो गया.  

कैसे होती है प्लाज्मा थेरेपी?

पहले समझते हैं कि प्लाज्मा होता क्या है. खून में लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं (RBC, WBC) और प्लेटलेट के अलावा जो बचता है, वो प्लाज्मा होता है. असल में ये खून का सबसे बड़ा (करीब 55%) हिस्सा होता है. प्लाज्मा एंजाइम, पानी, नमक, एंटीबॉडी और कई बहुत जरूरी प्रोटीन से मिलकर बना होता है.

(फोटो: क्विंट)

प्लाज्मा डोनेट करना ब्लड डोनेशन जैसा ही होता है. प्लाज्मा देने वाला शख्स और जिसे जरूरत है, उनका ब्लड टाइप एक ही होना चाहिए.

  • डोनर को कनेक्टर से जोड़ा जाता है.
  • ब्लड लिया जाता है और एंटीबॉडी से अलग किया जाता है.
  • जिस पार्ट में एंटीबॉडी है, उसे सीरम कहते हैं. वो संक्रमित शख्स में ट्रांसफर किया जाता है.

ये ट्रीटमेंट सिर्फ रिकवरी बूस्ट करने का तरीका है. वैक्सीन एक परमानेंट इलाज है. लेकिन ये थेरेपी तब तक काम करती है, जब तक संक्रमित शख्स के खून में ट्रांसफर की गई एंटीबॉडी रहती हैं

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ये तरीका कितना प्रभावी है?

प्लाज्मा ट्रीटमेंट काफी पुराना तरीका है. नई टेक्नोलॉजी आने से ये और बेहतर हो गया है. लेकिन कोरोना वायरस नई बीमारी है और इसके एक्सपेरिमेंट के लिए लोग कम हैं. डॉक्टरों को पता नहीं है कि ट्रांसफर की गई एंटीबॉडी कितने दिन तक शरीर में रह पाएंगी.

हालांकि द लांसेट में 27 फरवरी को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इसका 'कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है'.

(फोटो: क्विंट)

इसके बाद चीन की एक स्टडी में 10 गंभीर रूप से संक्रमित लोगों में इस ट्रीटमेंट का प्रभाव देखा गया. इनमें से सात लोग बिना किसी साइड इफेक्ट के ठीक हो गए थे. इस स्टडी के नतीजे प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकडेमी ऑफ साइंसेज ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में छपे थे.

(फोटो: क्विंट)

ICMR की है क्या राय?

अप्रैल की शुरुआत में PTI की खबर के मुताबिक, ICMR ने लोगों से प्लाज्मा ट्रीटमेंट से जुड़ी एक रैंडम और कंट्रोल्ड स्टडी में हिस्सा लेने की अपील की थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ICMR ने केरल को इस ट्रीटमेंट की इजाजत भी दे दी.

गुजरात से अहमदाबाद सिविल अस्पताल और SVP अस्पताल ने ICMR से कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में इस थेरेपी के इस्तेमाल की इजाजत मांगी.

(फोटो: क्विंट)

अमेरिका में FDA ने इसकी मंजूरी संक्रमण की गंभीरता कम करने के लिए दी है. वहीं, भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को इस ट्रीटमेंट के इस्तेमाल की मंजूरी दी है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 27 Apr 2020,06:15 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT