Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Explainers Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इस मशहूर जर्नलिस्ट के गायब होने पर तूफान क्यों? समझें 6 कार्ड में

इस मशहूर जर्नलिस्ट के गायब होने पर तूफान क्यों? समझें 6 कार्ड में

पत्रकार खशोगी की हत्या की आशंका जताई जा रही है

दीपक के मंडल
कुंजी
Updated:
(फोटो: Reuters)
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(फोटो: Reuters)

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अमेरिका में रहने वाले सऊदी अरब के जर्नलिस्ट जमाल खशोगी के लापता होने का मामला पूरी दुनिया के मीडिया की सुर्खियों में है. ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लिए लिखने वाले पत्रकार खशोगी की हत्या की आशंका जताई जा रही है और इस वजह से सऊदी अरब औैर अमेरिका के अच्छे रिश्तों में कड़वाहट की नौबत आ गई है. सऊदी अरब यूरोप और अमेरिका के निशाने पर है.

खबर है कि अमेरिकी दबाव में सऊदी अरब एक बयान जारी करेगा, जिसमें स्वीकार किया जाएगा कि खशोगी की मौत तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल में सऊदी दूतावास में पूछताछ के दौरान हुई थी. इस मामले से तुर्की से खराब हो रहे सऊदी के रिश्ते और खराब होने की ओर बढ़ गए हैं. यहां समझते हैं क्या है यह पूरा मामला और क्यों यह मामला इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियों में है.

क्या है मामला?

2 अक्टूबर को सऊदी अरब मूल के अमेरिकी नागरिक और वाशिंगटन पोस्ट के कॉलमनिस्ट-जर्नलिस्ट जमाल खशोगी इंस्ताबुल के वाणिज्य दूतावास में घुसे और फिर उनका पता नहीं चला. खशोगी तुर्की के कानून के मुताबिक वहां से कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट लेने गए थे, जो उनकी शादी के लिए जरूरी थे. जमाल खशोगी कभी ओसामा बिन लादेन के दोस्त रहे थे हालांकि बाद में वह रेडिकल इस्लाम से दूर चले गए.

इधर वह सऊदी अरब के नौजवान प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नीतियों के आलोचक बन गए थे. उनका कहना था कि देश पर एक ही शख्स का कब्जा इसे उल्टी दिशा में ले जाएगा. इस बात का शक जाहिर किया जा रहा है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के इशारे पर ही खुफिया अफसरों ने खशोगी को मार डाला है.

क्यों हैं सऊदी के क्राउन प्रिंस शक के दायरे में?

(फोटो: Reuters)

खशोगी सऊदी अरब के नौजवान प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आलोचक रहे हैं. खशोगी 'वाशिंगटन पोस्ट' के अपने प्रभावशाली कॉलम में उनकी नीतियों की जबरदस्त आलोचना करते रहे हैं. उनका मानना है कि प्रिंस की नीतियां सऊदी अरब के हित में नहीं है. उनकी नजर में प्रिंस निरकुंश हैं और अपनी नीतियों से असहमत लोगों को बरदाश्त नहीं करते. हालांकि प्रिंस की इमेज एक सुधारवादी और सऊदी अरब को एक मॉर्डन देश बनाने की कोशिश करने वाले शासक की बन रही है. लेकिन यह भी सच है कि अपनी नीतियों के खिलाफ बोलने वाले के प्रति वह उतने ही क्रूर हैं.

खशोगी की हत्या के क्या हैं सुबूत?

दरअसल खशोगी जिस दिन इस्तांबुल में सऊदी के वाणिज्य दूतावास में कागजात लेने घुसे. उसके कुछ देर पहले सऊदी खुफिया एजेंटों की टीम वहां के एक हवाईअड्डे पर उतरी थी. टीम के लोग भी वाणिज्य दूतावास पहुंचे थे. कहा जा रहा है इन्हीं लोगों ने खशोगी की हत्या कर दी. वाणिज्य दूतावास के बाहर उनका इंतजार कर रही खशोगी की मंगेतर का कहना है उनका आईफोन उसके पास था. फोन का वाईवॉच इससे सिंक था. इसमें खशोगी को अंदर यातना देने की आवाजें रिकार्ड हैं. पहले सऊदी अरब इससे इनकार करता रहा कि खशोगी की हत्या की गई है. जबकि तुर्की लगातार इस ओर इशारा करता रहा था. अब अमेरिका के दबाव में सऊदी अरब एक बयान जारी करेगा, जिसमें कहा जाएगा कि खशोगी की मौत सऊदी अरब में पूछताछ के दौरान हुई.

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क्यों अमेरिकी दबाव में बदला है सऊदी अरब का रुख?

(फोटो: Reuters)

खशोगी के लापता होने के बाद अमेरिका में खासा गुस्सा था. सऊदी अरब अमेरिका के सहयोगी के तौर पर देखा जाता है लेकिन इस मामले में अमेरिकी निवेशकों के सऊदी अरब मार्केट से हाथ खींचने की चेतावनी देने के बाद ट्रंप ने भी इसमें दिलचस्पी लेनी शुरू की और कहा कि अगर सऊदी अरब सहयोग नहीं करेगा तो उसे 110 अरब डॉलर के हथियार बेचने का सौदा रद्द कर देंगे.

ट्रंप ने कहा कि अगर खशोगी को कुछ हुआ तो सऊदी अरब को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने भी 22 अक्टूबर से रियाद में शुरू हो रहे फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशटिव नाम के बड़े निवेश सम्मेलन का बहिष्कार का ऐलान किया है, इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो सऊदी के किंग से मुलाकात कर रहे हैं.

क्यों बदनाम हो रहे हैं सऊदी के सुधारवादी क्राउन प्रिंस?

सऊदी अरब के 33 वर्षीय प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सुधारवादी तो माने जाते हैं लेकिन वे उतने ही क्रूर माने जाते हैं. आज की तारीख में वह सऊदी अरब और उसके बाहर खाड़ी देशों में सबसे ताकतवर शख्स हैं. उन्होंने सऊदी अरब को मॉडर्न स्टेट बनाने का बीड़ा उठाया है और रेडिकल इस्लाम की कमर तोड़ने की ठानी है. उनका कहना है कि सऊदी अरब को तेल की लत लग गई है. वह अपने देश को एक आईटी हब बना कर इसकी मॉडर्न छवि बनाने चाहते हैं. हाल में उन्होंने अपने देश में महिलाओं को आजादी देने के कई कदम उठाए हैं.

हालांकि वह विरोधियों के प्रति कदम उठाने में उतने ही क्रूर है और असहमत आवाजों को बरदाश्त नहीं कर पाते. डिफेंस मिनिस्टर बनने के बाद उन्होंने यमन के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था और उसके नागरिकों को बुरी स्थिति झेलनी पड़ी थी. प्रिंस ने कुछ समय पहले लेबनान के प्राइम मिनिस्टर साद हरीरी का कथित तौर का अपहरण करवा लिया था.

रेडिकल इस्लाम से कैसे तर्कवादी बने खशोगी?

(फोटो: Reuters)

59 साल के दिग्गज जर्नलिस्ट रहे खशोगी ने अमेरिका में पढ़ाई की और 1970 के दशक के आखिरी सालों में उनकी दोस्ती ओसामा बिन लादेन से हुई. उस वक्त खशोगी की लादेन से मुलाकात अफगानिस्तान में रिपोर्टिंग के दौरान हुई थी. वह लादेन के साथ घूमे और पहली बार 1988 उसकी प्रोफाइल लिखी. लेकिन वह लादेन के रेडिकल इस्लाम के खिलाफ रहे.  खशोगी लंबे समय तक इस्लामिक ब्रदरहुड के सदस्य भी रहे थे लेकिन बाद में खशोगी का रुझान सेक्लूयरिज्म की ओर हो गया. खशोगी का मानना था कि सऊदी अरब की सत्ता पूरी तरह प्रिंस सलमान के हाथों में केंद्रित हो गई है. इतनी ताकत एक आदमी के हाथ में आने से सऊदी अरब के गलत दिशा में जाने का खतरा पैदा हो गया है. 2017 में वह वाशिंगटन डीसी चले गए और वाशिंगटन पोस्ट में छपने वाले अपने कॉलम के जरिये प्रिंस की नीतियों का विरोध करने लगे.

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Published: 16 Oct 2018,06:32 PM IST

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