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नोएडा,लखनऊ में थी पुलिस कमिश्नर की जरूरत, अपराध घटाने में होगी मदद

उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने लखनऊ और नोएडा के लिए पुलिस कमिश्नर प्रणाली को मंजूरी दे दी है

मानवी
कुंजी
Updated:
लखनऊ और नोएडा को पुलिस कमिश्नर की जरूरत क्यों पड़ी
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लखनऊ और नोएडा को पुलिस कमिश्नर की जरूरत क्यों पड़ी
(फोटोः Altered By Quint)

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कमिश्नर के आने से होगा नोएडा और लखनऊ में अपराध का अंत?

उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने लखनऊ और नोएडा के लिए पुलिस कमिश्नर प्रणाली को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर के अलावा, लखनऊ और नोएडा में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों को देखने के लिए SP-स्तर की महिला अधिकारी भी तैनात होंगी. लखनऊ और नोएडा में क्राइम रेट पर इसका क्या असर होगा? कमिश्नर प्रणाली का मतलब क्या होता है? क्या नोएडा में अभी कोई पुलिस कमिश्नर नहीं है?

लखनऊ और नोएडा को पुलिस कमिश्नर की जरूरत क्यों पड़ी?

बड़े शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी और क्राइम रेट में बेतहाशा वृद्धि के साथ मौजूदा डीएम प्रणाली से अलग पुलिस प्रशासन की जरूरत होती है. द क्विंट से बात करते हुए यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा कि ‘कमिश्नर के पद के जरिए जवाबदेही तय हो जाएगी’ और ‘पुलिस और जिलाधिकारी के बीच खींचतान की समस्या, जब दोनों के तौर-तरीके एक जैसे नहीं होते, का समाधान भी मिल जाएगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ज्यादातर बड़े शहरों में लॉ एंड ऑर्डर बड़ी समस्या है, जिसके लिए पुलिस और मजिस्ट्रेट के बीच तालमेल बहुत जरूरी है. कमिश्नर प्रणाली में इस समस्या का संगठित तरीके से निपटारा हो जाता है.’

यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने भी ऐसी ही राय रखी, उन्होंने कहा कमिश्नर प्रणाली लाकर उत्तर प्रदेश में ‘इतिहास रच दिया’ गया है.

‘कोई वजह नहीं है कि उत्तर प्रदेश में ऐसी शानदार प्रणाली (कमिशनर सिस्टम) नहीं लागू किया जाए क्योंकि आज भी हम पुरानी और सामंती पुलिस कानून 1861 से ही संचालित हो रहे हैं जिसमें जिलाधिकारी अपराधिक प्रशासन का मुखिया होता है. यह एक तरह का कालभ्रम है जिसका दूर होना बहुत जरूरी था.’

क्या लखनऊ और नोएडा में पहले से पुलिस कमिश्नर नहीं थे?

नहीं...यूपी के लिए पुलिस कमिश्नर की मांग आईपीएस कैडर बहुत पहले से कर रहा था, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कमिश्नर की तैनाती में पुलिस कार्रवाई ज्यादा तेज और ज्यादा कारगर होती है. कमिश्नर प्रणाली से पहले कानून-व्यवस्था के सारे फैसले जिलाधिकारी लेता था. जैसे कि किसी शहर में, जहां कमिश्नर प्रणाली ना हो, दंगा या उग्र प्रदर्शन होने पर, पुलिस को किसी भी कार्रवाई से पहले जिलाधिकारी की इजाजत लेनी होती है.

इस सिस्टम को लाने की चर्चा पहले भी हो चुकी है. यूपी के पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने प्रदेश में कमिश्नर सिस्टम लाने की सलाह दी थी, लेकिन बताया जाता है उन्हें आईएएस अधिकारियों का विरोध झेलना पड़ा. राष्ट्रीय पुलिस आयोग की छठी रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि 5 लाख से ऊपर की आबादी वाले शहर - या फिर ऐसे इलाके जहां खास वजहों से तेजी से शहरीकरण और उद्योगीकरण हो रहा हो – में कमिश्नर सिस्टम लागू होनी चाहिए ताकि पुलिस कार्रवाई ज्यादा असरदार हो सके.

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कमिश्नर सिस्टम से अपराध पर कैसे नकेल कसी जाएगी?

पुलिस प्रशासन में केन्द्रीय पुलिस कमिश्नर प्रभारी रहने से जवाबदेही बढ़ जाती है. विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी, ने बताया कि ‘पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति होने के बाद ढीले-ढाले रवैये के लिए कोई जगह नहीं बच जाती.’ उन्होंने नोएडा के गौरव चंदेल हत्याकांड में पुलिस कार्रवाई का उदाहरण देते हुए कमिश्नर सिस्टम को विस्तार से समझाया.

नोएडा में गौर सिटी के 5th एवेन्यू में रहने वाले चंदेल 7 जनवरी की रात ऑफिस से अपने घर लौटते वक्त गायब हो गए. अगले दिन 8 जनवरी को, करीब 4 बजे सुबह वो सर्विस रोड के पास बेहोशी की हालत में मिले, उनकी SUV, लैपटॉप, वॉलेट और दूसरी चीजें गायब थीं. उन्हें एक अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इस केस में नोएडा पुलिस के रवैये की तीखी आलोचना हुई, चंदेल के परिवारवालों का आरोप है बिसरख पुलिस स्टेशन में उन्होंने चंदेल के फोन को सर्विलांस पर डालने की गुजारिश भी की थी, लेकिन पुलिस ने काफी देर कर दी.

इस केस का विश्लेषण करते हुए, विक्रम सिंह ने बताया कि पुलिस कमिश्नर जैसी केन्द्रीय सत्ता होने से इन खामियों को दूर करना मुमकिन होगा, क्योंकि पुलिस कमिश्नर ना सिर्फ यह तय करेगा कि मामले की FIR समय पर दर्ज हो बल्कि वो तुरंत लुकआउट नोटिस जारी करेगा, शहर में नाके लगवाएगा और तलाशी के लिए सर्च पार्टी को रवाना करेगा.

मतलब इस सिस्टस में पुलिस बल की तैनाती भी बढ़ेगी?

हां... पुलिस बल की तादाद हजार नागरिक की आबादी के हिसाब से बढ़ेगी. यह नोएडा के लिए अच्छी खबर है. यहां 2011 की जनगणना के मुताबिक आबादी 6 लाख थी, जो कि पिछले सालों में काफी बढ़ी है. नए कमिश्नर - जो कि एडीजीपी स्तर के अधिकारी हैं - के प्रभार संभालने से उनके अंदर दो आईजी होंगे और इस तरीके से उनके नीचे आने वाले पुलिस अधिकारियों की तादाद भी बढ़ेगी. ‘कई डीआईजी होने से उनके नीचे काम करने वाले कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल, सब इंस्पेक्टर और दूसरे रैंक के पुलिसकर्मी की तादाद में भी बढ़ोतरी होगी. इसलिए पुलिस कमिश्नर के साथ बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स कानून-व्यवस्था में उनकी मदद के लिए मौजूद होगी.

क्या लखनऊ और नोएडा में कमिश्नर प्रणाली कारगर साबित होगी?

नोएडा और लखनऊ के लोगों की खातिर, हमें उम्मीद करनी चाहिए कि यह सिस्टम कारगर साबित हो. पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह के मुताबिक नोएडा और लखनऊ में कमिश्नर प्रणाली के कामयाब होने के लिए दो चीजों की जरूरत है. ‘पहला यह कि क्या जिस पुलिस अधिकारी को इस पद की जिम्मेदारी दी गई है वो सही आदमी है, और दूसरा यह कि क्या उस अधिकारी को अपने ऊपर की सत्ता से समर्थन और संरक्षण हासिल है?’

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Published: 13 Jan 2020,11:42 PM IST

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