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इंडियन सोसाइटी फॉर क्लीनिकल रिसर्च की एक स्टडी में बताया गया कि भारत में लगभग 1.2 करोड़ लोग हेपेटाइटिस C वायरस (HCV) से संक्रमित हैं. दुनिया में यह दूसरी सबसे बड़ी तादाद है.
पिछले एक दशक में गर्भवती महिलाओं में HCV मामलों की संख्या में 8 फीसदी की वृद्धि हुई है.
हर साल एक लाख भारतीय इस बीमारी से जंग हार जाते हैं, जबकि इसका इलाज संभव है. 4 से 6 करोड़ भारतीयों के इससे संक्रमित होने के बावजूद सरकार ने इस बीमारी के खात्मे के लिए कोई राष्ट्रीय नीति नहीं बनाई है.
इससे पहले कि आप सरकार पर उंगली उठाएं, हेपेटाइटिस, इसके कारण और रोकथाम के बारे में जान लीजिए:
द सेंटर्स फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन का आकलन है कि वर्ष 1945 से 1965 के बीच पैदा हुए लोगों में दूसरों की तुलना में हेपेटाइटिस से संक्रमण की आशंका पांच गुना अधिक है. हेपेटाइटिस होने की औसत उम्र 55 साल है. संक्रमण के लक्षण प्रकट होने में 20 से 30 साल लग सकते हैं.
इस दौरान, संक्रमित व्यक्ति अनजाने में यौन संपर्क, रक्तदान या रेज़र, सूई, टूथब्रश आदि के माध्यम से दूसरों को संक्रमण दे सकता है.
हेपेटाइटिस C के कारण लिवर से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. जिससे आगे चलकर लिवर कैंसर या सिरोसिस भी हो सकता है. इसीलिए हर इंसान को 40 और 50 की उम्र तक कुछ साधारण से टेस्ट करा लेने चाहिए. इनसे उनमें इस संक्रमण का पता लगाया जा सकता है.
हेपेटाइटिस A और B के लिए एक किफायती और असरदार टीका उपलब्ध है. इन दोनों टीकों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है. फिर भी विडंबना ये है कि भारत में 40 फीसदी शिशुओं को इसका टीका नहीं लगाया जाता.
यह देखते हुए कि इस बीमारी के खिलाफ कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है, सीमित जागरुकता है और इसके लक्षण भी जल्दी सामने नहीं आते. इसलिए हालात कभी भी विस्फोटक हो सकते हैं.
लेकिन टीकाकरण के साथ ही स्क्रीनिंग (मरीजों की पहचान) भी इतनी ही महत्वपूर्ण है. जिन लोगों का 90 के दशक में या उससे पहले अंग प्रत्यारोपण हुआ है या रक्त चढ़ाया गया है, उन्हें हेपेटाइटिस की जांच जरूर करा लेनी चाहिए क्योंकि इससे पहले रक्त में वायरस की जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी.
हेपेटाइटिस एचआईवी से तीन गुना अधिक संक्रामक है और फिर भी इसके बारे में जागरुकता इतनी कम है कि जब तक हेपेटाइटिस का पता चलता है, लिवर में सिरोसिस या कैंसर हो चुका होता है और इसका इलाज नामुमकिन हो चुका होता है.
इनमें से अधिकतर संक्रमित व्यक्तियों को सिरोसिस या लिवर कैंसर हो सकता है. हर साल हेपेटाइटिस C के कारण करीब 3,99,000 लोगों की मौत हो जाती है, इनमें से ज्यादातर मामलों में मौत की वजह सिरोसिस और हेप्टोसेल्युलर कार्सिनोमा होती है.
यह अक्सर ‘खामोश बीमारी’ के रूप में जानी जाती है, कभी-कभी इसके लक्षण दशकों तक प्रकट नहीं होते हैं.
इस विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर, इसके जोखिम कारकों और लक्षणों के बारे में जानें. अगर आपको लगता है कि आप हेपेटाइटिस से संक्रमित हो सकते हैं, तो तुरंत मेडिकल सहायता प्राप्त करें.
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Published: 26 Jul 2018,07:18 PM IST