मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019AAP के मोहल्ला क्लिनिक पॉपुलर हैं, ये साबित करने में वक्‍त लगेगा

AAP के मोहल्ला क्लिनिक पॉपुलर हैं, ये साबित करने में वक्‍त लगेगा

क्लिनिक में आने वाले मरीजों की बीमारियों का प्रोफाइल ऐप्स के जरिये स्मार्ट डिवाइस पर अपलोड किया जाता है.

विवियन फर्नांडिज
फिट
Published:
 पश्चिमी दिल्ली में तोड़ापुर मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टर आर पाल मरीजों का इलाज करते हुए
i
पश्चिमी दिल्ली में तोड़ापुर मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टर आर पाल मरीजों का इलाज करते हुए
(फोटो: Vivian Fernandes)

advertisement

आम आदमी पार्टी के मोहल्ला क्लिनिक काफी लोकप्रिय हैं. यहां सारे टेस्ट मुफ्त में होते हैं और दवाएं भी बिना पैसे दिए मिलती हैं.

मैं जिन मोहल्ला क्लिनिक में गया, वहां मरीज डॉक्टर को दिखाने के लिए बिना खींझ के आधे से एक घंटे तक इंतजार कर रहे थे.

बीमारियों से दिल्ली की जंग

क्लिनिक में आने वाले मरीजों की बीमारियों का प्रोफाइल ऐप्स के जरिये स्मार्ट डिवाइस पर अपलोड किया जाता है. इससे सरकार को इनकी रोकथाम की योजना बनाने में मदद मिल सकती है. सरकार डेटा एनालिटिक्स के लिए एनजीओ विश फाउंडेशन की मदद ले रही है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एनालिटिक्स के लिए अभी सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है. हालांकि, जब तक अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के बीच और नगर निगम के साथ तालमेल नहीं होगा, तब तक संक्रमित और लाइफस्टाइल बीमारियां दिल्ली को परेशान करती रहेंगी.

2016 में देश में चिकुनगुनिया के 21 फीसदी मरीज दिल्ली से थे. इस मामले में दिल्ली कर्नाटक के बाद दूसरे नंबर पर थी.

और 2015 में डेंगू के सबसे अधिक केस दिल्ली में पाए गए थे. उस साल यहां डेंगू मरीजों की संख्या 15,867 थी, जो देश में कुल डेंगू पेशेंट का 16 पर्सेंट थी.

स्थानीय निवासियों के लिए वरदान

आप सरकार ने पहला मोहल्ला क्लिनिक जुलाई 2015 में खोला था. आज इनकी संख्या 158 हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि और 470 मोहल्ला क्लिनिक खोलने के लिए जगह की पहचान की जा चुकी है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
दिल्ली सरकार शहरी क्षेत्र में आने वाले 380 गांवों में से हरेक में मोहल्ला क्लिनिक खोलना चाहती है. इसके साथ हर विधानसभा क्षेत्र में उसने ऐसे 15 क्लिनिक खोलने की योजना बनाई है. दवाओं के ऐसे गोदाम भी बनाए जा रहे हैं, जहां से क्लिनिक की दूरी 15 किलोमीटर से अधिक न हो.

70 साल की सुशीला देवी पूर्वी दिल्ली के सरस्वती कुंज मोहल्ला क्लिनिक में साइटिका के दर्द की दवा लेने आई थीं. उन्होंने बताया कि विधानसभा और नगर निगम चुनाव में उन्होंने झाड़ू को वोट दिया था, जो आम आदमी पार्टी का चुनाव चिह्न है. उन्होंने कहा कि वह अलीगढ़ से दिल्ली आई थीं और पहले बीजेपी की कट्टर समर्थक थीं.

यहां सोफिया की मां अंजू कुमार अपने पति विकास के साथ आई थीं, जो पास के पटपड़गंज इलाके में एक होटल में हाउसकीपिंग का काम करते हैं.

बेबी सोफिया अपने माता-पिता के साथ पूर्वी दिल्ली के सरस्वती कुंज मोहल्ला क्लिनिक में(फोटो: Vivian Fernandes)

उन्होंने बताया, ‘बहुत सुकून है.’ मोहल्ला क्लिनिक खुलने के बाद उन्हें निजी अस्पतालों के चक्कर काटने से छुटकारा मिल गया है, जहां अनापशनाप फीस ली जाती थी.

विकास ने बताया कि यहां अच्छा इलाज होता है और दवाएं भी मुफ्त में मिलती हैं. मुफ्त दवाएं क्लिनिक का बड़ा आकर्षण हैं.

पूर्वी दिल्ली के सरस्वती कुंज मोहल्ला क्लिनिक में मरीज अपनी बारी का इंतजार करते हुए(फोटो: Vivian Fernandes)

भारत में 70 फीसदी लोगों को इलाज का खर्च खुद उठाना पड़ता है और इसमें से 70 फीसदी खर्च दवाओं पर होता है. मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं होने पर गरीब लोग शुरू में बीमारियों की अनदेखी करते हैं. इससे आगे चलकर बीमारी के गंभीर रूप लेने का खतरा रहता है.

बिहार से आईं किरण त्रिवेदी डोमेस्टिक हेल्प के तौर पर काम करती हैं. उन्होंने बताया कि सरकारी डिस्पेंसरी के बजाय उन्हें गणेश नगर मोहल्ला क्लिनिक पसंद है, क्योंकि वहां डॉक्टर मौजूद रहते हैं. वह डॉक्टर प्रीति सक्सेना को दिखाने के लिए घंटे भर से इंतजार कर रही थीं.

मरीजों की लंबी लाइन

डॉक्टर प्रीति ने बताया कि पहले वह सरकार की मदद से चलने वाले एक एनजीओ के फैमिली वेलफेयर सेंटर पर इलाज करने जाती थीं. मोहल्ला क्लिनिक पर 6 घंटे तक मरीजों को देखने के बाद दोपहर 3 बजे वह घर के लिए निकलती हैं, जबकि इसके बंद होने का समय दोपहर 1 बजे है. वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करतीं.

उन्होंने बताया कि रोज 102 से 160 मरीज को देखने के बाद वह थक जाती हैं. इस क्लिनिक में 212 फ्री टेस्ट होते हैं.

डॉक्टर प्रीति मोहल्ला क्लिनिक पर रोजाना 6 घंटे तक मरीजों को देखती हैं.(फोटो: Vivian Fernandes)

वहीं, पश्चिमी दिल्ली के तोड़ापुर मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टर आर पाल ने बताया कि यहां मरीजों की सेवा करके संतुष्टि होती है. वह नई दिल्ली एरिया के एक म्यूनिसिपल हॉस्पिटल से चीफ मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हो चुके हैं.

उन्होंने बताया कि उस नौकरी में उतनी संतुष्टि नहीं मिलती थी, जितना मोहल्ला क्लिनिक में मरीजों को देखकर मिलती है. इस क्लिनिक में एक ऑटोमेटेड वेंडिंग मशीन से दवाएं मिलती हैं. डॉक्टर पाल हर मरीज को पर्याप्त समय देते हैं. उन्हें एक दिन में 80-90 मरीज से अधिक को देखना पसंद नहीं है. उन्हें एक मरीज को देखने के बदले 30 रुपये की फीस मिलती है.

(ये स्‍टोरी पहली बार TheQuint पर छापी गई थी. विवियन फर्नांडिज www.smartindianagriculture.in के कंसल्टिंग एडिटर हैं.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT