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क्या वायु प्रदूषण आपकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकता है? इस बात की लगातार जांच की जा रही है कि प्रदूषण प्रजनन क्षमता पर कैसे असर डालता है. एक अध्ययन के मुताबिक, औद्योगिक देशों में बांझपन की घटनाएं 1960 के 7-8 फीसद से बढ़कर आज 20-35 फीसद हो गई हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का आकलन है कि दुनिया की लगभग 15 फीसद आबादी को प्रजनन क्षमता में समस्या का सामना करना पड़ रहा है और इनमें आधी आबादी पुरुषों की है, जो इंफर्टिलिटी की समस्याओं से जूझ रहे हैं.
2017 का एक अध्ययन बताता है कि सिर्फ चार दशकों में कई देशों में स्पर्म काउंट में 60 फीसद की गिरावट के लिए “आधुनिक जीवनशैली” जिम्मेदार है!
बेहद बारीक प्रदूषक पर्टिकुलेट मैटर के सेहत पर दुष्प्रभाव को लेकर की गई एक बड़ी स्टडी का फोकस सीमन की क्वालिटी पर केंद्रित था. इस स्टडी के नतीजे बताते हैं कि वायु प्रदूषण के चलते प्रभावी संख्या में कपल्स बांझपन का शिकार हो सकते हैं.
इसकी पड़ताल के लिए, शोधकर्ताओं ने ताइवान में 15- 49 साल के 6,500 पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता के आंकड़े जमा किए और इसका उनके घर पर पर्टिकुलेट मैटर के लेवल से मिलान किया. उन्होंने हाई एयर पॉल्यूशन लेवल और स्पर्म के असामान्य आकार के बीच सीधा संबंध पाया. असर अपेक्षाकृत कम था, लेकिन वायु प्रदूषण की व्यापकता को देखते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे होने वाले छोटे बदलाव भी एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या पेश कर सकते हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड में एंड्रोलॉजिस्ट प्रोफेसर एलन पेसी कहते हैं,
पर्यावरण और जीवन शैली फैक्टर से पुरुषों की रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर असर पड़ता है, खासकर अगर नुकसानदायक रसायनों के निरंतर संपर्क में रहा जाए. चंडीगढ़ के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ हिमांशु चड्ढा का कहना है,
जिस तरीके से प्रदूषणकारी तत्व पुरुषों की प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करते हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी भले ही ना हो, लेकिन विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि प्रदूषक तत्व शरीर के तरल पदार्थों जैसे खून, मूत्र और सीमन में जमा होने में सक्षम हैं.
प्रदूषित हवा का संपर्क स्पर्म पैरामीटर में बदलाव से जोड़ा गया है. उदाहरण के लिए, ताइवान की स्टडी में स्पर्म की गुणवत्ता का आकलन किया गया और बारीक पर्टिकुलेट पॉल्यूशन लेवल को मापा गया, जो प्रतिभागियों के घरों के आसपास कारों, कंस्ट्रक्शन की धूल और लकड़ी जलाने की वजह से होता है.
इसके संभावित फैक्टर्स जैसे स्मोकिंग और ड्रिंकिंग, उम्र और वजन वगैरह को शामिल करने के बाद स्पर्म के आकार और बनावट में सामान्य से कम के कम 10 फीसद की कमी होने का जोखिम है.
ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरनमेंटल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि यह असर “चिकित्सीय दृष्टि से अपेक्षाकृत कम है”, फिर भी यह दुनिया भर के शहरों में वायु प्रदूषण को देखते हुए “प्रभावी संख्या में कपल्स” के लिए बांझपन का कारण बन सकता है.
अध्ययन का निष्कर्ष था कि “प्रजनन की उम्र के पुरुषों के वायु प्रदूषण पीएम 2.5 के संपर्क में रहने और स्पर्म की सामान्य आकृति के कम प्रतिशत के बीच सीधा संबंध था.”
आसान शब्दों में कहें तो, खराब हवा स्पर्म की बनावट, आकार और इसकी क्वालिटी को प्रभावित कर सकती है.
शेफील्ड में रहने वाले पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ रिचर्ड शॉ कहते हैं,
वह कहते हैं कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ स्पर्म की डीएनए इंटीग्रेटी को बदल देते हैं. “युवा और अधेड़ उम्र के पुरुष वायु प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होते हैं और इस उम्र में स्पर्म को नुकसान पहुंचने की आशंका अधिक होती है.”
ये नाटकीय परिवर्तन प्रजनन क्षमता में बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनका बहुत सावधानी से इलाज किया जाना चाहिए.
वायु प्रदूषण और पुरुष प्रजनन क्षमता के बीच इस लिंक पर हो सकता है कि वैज्ञानिक सहमत ना हों, लेकिन जागरुकता और ज्यादा शोध के नतीजे बांझ पुरुषों के प्रति नजरिये को बदल सकते हैं, जो ज्यादा वायु प्रदूषण वाले शहरों में रहते हैं.
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Published: 27 Sep 2019,12:34 PM IST