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आमतौर पर हम लोग यही जानते हैं कि एंटीबायोटिक का कोर्स हमेशा पूरा करना चाहिए. लेकिन वैज्ञानिक इस दावे को चुनौती देते हुए कह चुके हैं कि एक बार अगर आप अच्छा महसूस करने लगें, तो आप एंटीबायोटिक लेना छोड़ सकते हैं.
कई बार हम किसी बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, तो डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि अगर आपको किसी बीमारी की लिए एंटीबायोटिक दी गई है, तो उसका कोर्स पूरा जरूर करें, नहीं तो आपकी बीमारी दोबारा उभर जाएगी.
स्टडी के मुताबिक जब इलाज जरूरत से ज्यादा लंबा हो जाता है, तो एंटीबायोटिक प्रतिरोधक के प्रति मरीजों को अनावश्यक रिस्क में डाला जाता है.
ज्यादातर डॉक्टर और विशेषज्ञ हमेशा यही सलाह देते हैं कि एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा करना एक नैतिक दायित्व है. WHO मरीजों को यही सलाह देता है कि- भले ही आप बेहतर महसूस करें, लेकिन अपना कोर्स जरूर पूरा करें क्योंकि इलाज रोकना दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देता है.
ये स्टडी सभी एक्सपर्ट और डॉक्टरों को प्रोत्साहित करती है कि अब मरीजों को एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा करने की वकालत ना करें.
तो आपको क्या करना चाहिए? भारत में मरीजों के लिए क्या सलाह है?
सेंटर ऑफ डिजीज डायनेमिक्स इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के सुमंथ गैंड्रा कहते हैं- एंटीबायोटिक दवाएं कब तक दी जानी चाहिए, इस बारे में अभी तक पर्याप्त स्टडी नहीं हुई है. खासतौर पर गंभीर बीमारियों में दी जाने वाली दवाइयों की समय सीमा के बारे में कोई खास स्टडी हुई ही नहीं है.
सुमंथ बताते हैं कि लगभग 75 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवाइयां बाहरी रोगियों के लिए निर्धारित हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों को डॉक्टर रोजाना एंटीबायोटिक दवाओं को जारी रखने या बंद करने का फैसला करते हैं. बाहरी रोगियों के लिए, यह संभव नहीं है.
अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी कहते हैं- इस स्टडी पर रिपोर्टिंग गलत और भ्रामक है. अगर आप एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत से ज्यादा लंबी अवधि के लिए लेते हैं, तो प्रतिरोध विकसित होता है. लेकिन आपको दवाइयों का कोर्स कब खत्म करना है, यह पूरी तरह से डॉक्टर की कॉल के आधार पर होना चाहिए.
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Published: 28 Jul 2017,08:47 AM IST