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एयर पॉल्यूशन खास कर हवा में बारीक धूल कण और जहरीली गैस स्पर्म क्वालिटी पर स्पर्म क्वालिटी पर असर डाल सकती है. इससे पुरुषों में नपुंसकता पैदा हो सकती है. यह चेतावनी एक स्टडी में दी गई है.
स्पर्म क्वालिटी में गिरावट के लिए पर्यावरण में केमिकल्स की मौजूदगी को संभावित रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है, लेकिन अभी यह पक्का नहीं कहा जा सकता क्या इसके लिए हवा की खराब गुणवत्ता भी जिम्मेदार है.
हांगकांग की चाइनीज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ताइवान में 15 से 49 साल की आयु वर्ग के 6,500 पुरुषों पर बारीक कणों (पीएम 2.5) की मौजूदगी में लंबे समय तक और कम समय तक रहने पर स्टडी की है.
स्टडी में पीएम 2.5 के असर और स्पर्म के असामान्य आकार में सीधा संबंध साबित हुआ. दो साल के दौरान बारीक कणों की हर पांच माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर बढ़ोत्तरी से सामान्य स्पर्म आकार/आयाम में 1.29 फीसद की गिरावट आई.
सिगरेट, शराब, उम्र या ओवरवेट जैसे असरदार कारकों के चलते स्पर्म साइज के सामान्य आकार और आयाम में 10 फीसद के बदलाव से नपुंसकता का खतरा 26 फीसद तक बढ़ जाता है.
हालांकि रिसर्च करने वालों का कहना है कि वैसे इससे स्पर्म की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई, जो कि संभवतः नुकसानदायक असर की भरपाई के लिए सप्लीमेंट मैकेनिज्म के कारण हुआ.
ऐसे ही नतीजे पीएम 2.5 के बीच तीन महीने रहने पर भी सामने आए. यह एक स्टडी के नतीजे हैं, इसलिए कारण और प्रभाव के बारे में निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है.
हांगकांग में चाइनीज यूनिवर्सिटी के जियांग क्वैन लाओ का कहना है कि
रिसर्चर्स का कहना है कि यह साफ नहीं है एयर पॉल्यूशन सटीक तरीके से स्पर्म विकास को प्रभावित करता है. बारीक कणों के कौन से कंपोनेंट, जैसे कि हैवी मेटल या पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाईड्रोकार्बन स्पर्म डैमेज से जुड़े हैं, इसका पता लगाया जाना है.
उनका कहना है कि एयर पॉल्यूशन के संपर्क में आने से होने वाला सीधा नुकसान इसका संभावित कारण हो सकता है, क्योंकि यह डीएनए को डैमेज कर सकता है और शरीर में सेल्युलर प्रक्रिया में बदलाव ला सकता है. डॉक्टर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि एयर पॉल्यूशन से स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ सकता है और इनफर्टिलिटी पैदा हो सकती है. जानिये, नोएडा के जेपी हॉस्पिटल की इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहती हैं.
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Published: 12 Dec 2017,05:11 PM IST