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स्किन केयर प्रोडक्ट्स के एंटी-पॉल्यूशन प्रभाव का प्रचार करना नई बात नहीं है, ऐसा कई वर्षों से हो रहा है.
हालांकि बढ़ते प्रदूषण और लोगों में इसके प्रति बढ़ती जागरुकता के साथ अपनी त्वचा और बालों को प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव से बचाने की ख्वाहिश में भी अचानक बढ़ोतरी हुई है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये सजगता और समझ इतनी बढ़ गई है कि इस दीपावली के तुरंत बाद एंटी-पॉल्यूशन उत्पादों की मांग और डर्मटॉलजिस्ट व स्किन केयर विशेषज्ञों से मिलने वालों की तादाद में 30-40 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है.
इसी तरह, अगर हम कॉस्मेटिक उत्पादों के एक जाने-माने भारतीय एग्रिगेटर की वेबसाइट पर जाते हैं, तो एंटी-पॉल्यूशन उत्पादों की सामान्य खोज उपभोक्ता को ढेर सारे विकल्प मुहैया करा देती है.
जब हम प्रदूषण और स्किन केयर व हेयर केयर की शब्दावली सरल शब्दों में करके देखते हैं, तो दो जरूरी चीजें सामने आती हैं- क्लींजिंग और लेयरिंग.
फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग, नई दिल्ली के डर्मेटॉलजी विभाग में कंसल्टेंट डॉ अनु जैन इस पर जोर देती हैं और इसे दिन में कम से कम दो बार करने की सलाह देती हैं.
ऐसे हालात में, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी त्वचा धूल कणों और अन्य सभी हानिकारक सूक्ष्म कणों से मुक्त हो. डॉ जैन कहती हैं कि टोनिंग कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है. आम गुलाब जल भी शानदार काम कर सकता है. इसका इस्तेमाल मॉइस्चराइजर, जिसमें बड़ी मात्रा में एक्टिव इंग्रीडिएंट्स होते हैं, के साथ करना फायदेमंद है.
डर्मटॉलजिस्ट से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपकी त्वचा की किस्म (शुष्क, तैलीय या मिली-जुली) के हिसाब से आपके लिए किस तरह का उत्पाद सबसे अच्छा काम करेगा.
मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के डर्मेटॉलजी विभाग में कंसल्टेंट डॉ राहुल अरोड़ा का कहना है कि हमारे आसपास हवा में मौजूद केमिकल और धूल कण त्वचा की सबसे बाहरी परत को नुकसान पहुंचाते हैं. यह प्रोटेक्टिव लेयर है और एक बार इसके खराब हो जाने के बाद, प्रदूषण के संपर्क में आने से जलन, त्वचा बदरंग होने और पिगमेंटेशन जिसे अक्सर धोखे से टेनिंग समझ लिया जाता है, जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
इससे स्किन को कितना नुकसान पहुंचा रहा है, ये पूछने पर डॉ अरोड़ा कहते हैं:
डॉ अरोड़ा क्लींजिंग और टोनिंग के महत्व के बारे में डॉ जैन से सहमति रखते हैं और बताते हैं कि यह कदम बाहर निकलने वालों के लिए कितना मददगार है. दोनों डॉक्टर आपकी स्किन केयर की व्यवस्था में मॉइस्चराइजिंग और सनस्क्रीन के इस्तेमाल के साथ-साथ विटामिन सी और ई, और हयालूरोनिक एसिड और फेरुलिक एसिड के फायदों पर भी एकमत हैं.
डॉ अरोड़ा का कहना है कि अब तक इनमें से किसी भी दावे को सही साबित करने वाला कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है. फिर भी अपने अनुभव से उन्होंने एक दिलचस्प निष्कर्ष निकाला है.
डॉ जैन इस संख्या को अधिकतम 50 फीसद पर रखती हैं. जब स्किनकेयर की बात आती है, तो वह मेडिकेटेड उत्पादों पर अपना भरोसा जताते हुए कहती हैं कि मेडिकल कंपनियों में एक प्रोटोकॉल है और डर्मेटॉलजिस्ट की सलाह पर एक तय उत्पाद का इस्तेमाल करने में, आपके गलती करने की संभावना बहुत कम है.
वह ड्राई स्किन के लिए सेरामाइड और ऑयली स्किन के लिए और एलीफेटिक एसिड के उपयोग का जिक्र करती हैं. किसी भी स्किन केयर या हेयर केयर प्रोडक्ट का चुनाव करते समय एक तयशुदा नियम है कि पैराबींस और सल्फेट्स से बचा जाए, जबकि ग्लिसरीन, जोजोबा और जैतून का तेल जैसे तत्व अधिकांश लोगों के लिए काम करते हैं.
एक और अक्सर नजरअंदाज कर दिया गया उत्पाद अंडर आई क्रीम है. वह कहती हैं:
शरीर को भीतर से मजबूत रखना बहुत महत्वपूर्ण है. डॉ जैन बताती हैं कि हाइड्रेशन के साथ ही, विटामिन ए और डी की ज्यादा मात्रा वाली डाइट को शामिल करना अहम है. वह बेरीज और हरी पत्तेदार सब्जियां खाने का सुझाव देती हैं.
वह कहती हैं, खासकर बात जब प्रदूषण के खिलाफ बालों की रक्षा की आती है तो बचाव के उपाय बहुत उपयोगी हो जाते हैं.
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Published: 28 Mar 2019,03:24 PM IST