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बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा भले ही आजकल अपनी फिल्म सूई-धागा के प्रमोशन में व्यस्त हैं, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी है. दरअसल अनुष्का बल्जिंग डिस्क की समस्या से जूझ रही हैं.
हाल ही में अपनी फिल्म के प्रोमोशन के दौरान दिए गए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने बताया कि उन्हें बल्जिंग डिस्क की समस्या है. उन्होंने बताया कि फिजियोथेरेपी सेशन के जरिए वह अपनी देखभाल कर रही हैं.
बल्जिंग डिस्क को समझने के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि वास्तव में डिस्क क्या है. मायो क्लिनिक के अनुसार यह एक उपास्थि संरचना (कार्टिलेज स्ट्रक्चर) है, जो कि रीढ़ की हड्डी कशेरूका (spinal vertebrae) के लिए गद्दी का काम करती है. यह नरम हड्डी है, जिसके बाहर कठोर कार्टिलेज स्ट्रक्चर होता है. ये गद्दीदार डिस्क रीढ़ की हड्डी को झटकों से बचाव के साथ ही उसे लचीला बनाती है.
बल्जिंग डिस्क की समस्या तब होती है, जब डिस्क का कठोर कार्टिलेज उभर जाता है या उसमें सूजन आ जाती है. ये उभार कार्टिलेज के चारों तरफ बराबर होती है, लेकिन ये सूजन उस घेरे की चौथाई या आधे से कम होती है.
लोग अक्सर बल्जिंग डिस्क और हर्निएटेड या स्लिप्ड डिस्क को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं. हर्निएटेड डिस्क की समस्या उस समय होती है, जब अंदर का नरम कार्टिलेज अपने आवरण की दरार से बाहर निकलना शुरू हो जाता है. इससे पूरी डिस्क नहीं बल्कि दरार ही प्रभावित होती है.
मायो क्लिनिक के अनुसार, हर्निएटेड डिस्क में बल्जिंग डिस्क की तुलना में अधिक दर्द होता है. इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी प्रकार के हर्निएटेड डिस्क दर्दनाक होते हैं. इस बात के प्रमाण हैं कि किस तरह से एमआरआई में हर्निएडेट डिस्क दिखाई देता है, फिर भी रोगी को कोई दर्द नहीं होता है.
यह काफी रोचक है कि कुछ महीनों पहले, इस तरह की अफवाह उड़ी थी कि भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन विराट कोहली को स्लिप्ड डिस्क की समस्या हो गई है. रिपोर्ट में यह बताया गया, डॉक्टरों का मानना है कि भारतीय कैप्टन को अभी सर्जरी की जरूरत नहीं है. 23 मई को विराट ने अपना एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वह प्लैंक्स करते दिख रहे थे. इससे सभी लोगों को हैरानी हुई कि यदि किसी को स्लिप डिस्क की समस्या हो, तो वह इस तरह की कठिन एक्सरसाइज कैसे शुरू कर सकता है. दरअसल विराट को गर्दन में चोट लग गई थी और उसका स्लिप डिस्क से कोई लेना-देना नहीं था.
भले ही भारतीय कैप्टन को पीठ की इस विशेष समस्या से क्लीन चिट मिल चुकी है. लेकिन अभी भी कई भारतीय इस बीमारी से पीड़ित हैं. आइए इसके कुछ लक्षणों के बारे में जान लेते हैं.
स्लिप्ड डिस्क रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में हो सकता है. ये अक्सर पीठ के निचले हिस्से में ही होता है. इसका दर्द कूल्हों, जांघ और यहां तक की पैरों में भी हो सकता है.
डॉ. गुलाटी कहते हैं कि गेंदबाजों के लिए यह काफी आम है कि वह इस स्थिति का शिकार हो सकते हैं.
हर्निएटेड डिस्क से पीड़ित रोगी को आमतौर पर आराम की सलाह दी जाती है. इस स्थिति में शारीरिक गतिविधियां करने से दर्द बढ़ सकता है. छींकने और बैठने से भी दर्द हो सकता है क्योंकि इनसे नर्व्स पर दबाव पड़ता है.
डॉ. गुलाटी कहते हैं, दर्द की तीव्रता के आधार पर हर मामले में अलग-अलग इलाज होता है.
सिंपल स्ट्रेचिंग, एरोबिक एक्सरसाइज, अल्ट्रासाउंड से भी लक्षणों में कुछ राहत मिल सकती है.
अधिकतर मामलों में आराम और फिजियोथेरेपी से कुछ सप्ताह में स्थिति में सुधार हो जाता है. सर्जरी करना सामान्य रूप से अंतिम उपाय होता है.
अधिकतर मामलों में आराम और फिजियोथेरेपी से कुछ सप्ताह में स्थिति में सुधार हो जाता है. सर्जरी करना सामान्य रूप से अंतिम उपाय होता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार एक्यूपंक्चर लेने के लिए पीठ का दर्द सबसे प्रमुख कारण है. इसमें आगे कहा गया है कि एक्यूपंक्चर प्रभावी होने के साथ ही दर्द को दूर करता है.
इसी तरह की एक और तकनीक है, लेकिन यह बिल्कुल एक्यूपंक्चर जैसी नहीं है. ये ड्राई निडलिंग है. इस प्रक्रिया में शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द को दूर करने के लिए नीडल यानी सुइयां चुभाई जाती हैं.
स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट दिव्या शर्मा अपने रोगियों का दर्द दूर करने के लिए ड्राई निडलिंग का प्रयोग करती हैं. दिव्या कहती हैं कि मांसपेशियों को सामान्य करने में यह एक प्रभावी उपाय है. मांसपेशियों के लंबे समय से संकुचन के कारण ही पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है.
स्लिप्ड डिस्क के बारे में विशेष रूप से बात करते हुए वह आगे कहती हैं कि
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