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एक बैंक में अधिकारी मीरा शर्मा ऑफिस के लिए तैयार होने के दौरान अचानक ही कुर्सी पर गिर पड़ीं. उनका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था. वह पसीने से तरबतर थीं और उन्हें डर महसूस हो रहा था. मीरा को यह समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है. डॉक्टर से दिखाने के बाद उन्हें पता लगा कि यह पैनिक अटैक है. इसकी वजह काम का दबाव, व्यस्त कार्यक्रम और नींद की कमी के कारण होने वाली बहुत अधिक घबराहट (acute anxiety) है.
चिंता एक सामान्य भाव है, जो हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है. संभावित खतरे से खुद को बचाने के लिए हमारे शरीर में F3 या फाइट-फ्लाइट-फ्रीज प्रतिक्रिया खुद ब खुद होती है. ये प्रतिक्रिया वास्तविक खतरे की स्थिति में हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होती है.
प्रागैतिहासिक काल में जंगलों में मुकाबला करने या रहने के लिए मनुष्यों को एड्रीनलिन (एक तरह का हार्मोन) की आवश्यकता होती थी. हालांकि, एक बार जानवर के मारे जाने या सुरक्षित स्थान मिलने के बाद, शरीर सामान्य हो जाता. लेकिक आज, हम न तो हमलावर से लड़ते हैं और न ही शारीरिक श्रम करते हैं. हम सिर्फ झल्लाते और तिलमिला जाते हैं.
भले ही कोई खतरा ना हो लेकिन हमें लगता है कि खतरा है तो ऐसी स्थिति में घबराहट F3 प्रतिक्रिया को बढ़ा देता है. उदाहरण के लिए हो सकता है कि आप अपने ऑफिस प्रेजेंटेशन के लेकर चिंतित हो और अपने बच्चे पर बिना किसी कारण चिल्ला पड़ें. या जब आप अपने ऑफिस के कैफेटेरिया से निकल रहे हों, उस समय आपकी नजर ऐसे किसी आदमी पर पड़े जिसके साथ आप सहज न हों. वह व्यक्ति आपके ग्रुप में शामिल (Flight ) हो जाए. या फिर लेक्चर देते समय आपका दिमाग बिल्कुल खाली सा लगने लगे (Freeze). यह स्थितियां भले ही खतरनाक न हों, लेकिन आपका सिस्टम हाई अलर्ट पर हो जाता है.
पैनिक अटैक कुछ समय बाद अचानक और कम हो जाते हैं, लेकिन एक एंग्जाइटी अटैक के बाद, घबराहट वाली भावना पूरी तरह से नहीं छूटती है और कभी भी बढ़ सकती है.
एंग्जाइटी डिसऑर्डर मानसिक विकारों का एक समूह है, जिसमें डर की भावना, सामान्य चिंता, पैनिक डिसऑर्डर, फोबिया विशेषकर सोशल फोबिया, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और ऑब्सेसिव-कंपलसिव डिसऑर्डर शामिल है.
डॉक्टरों का मानना है कि इसके संभावित कारणों में जेनेटिक, हार्मोन से जुड़े असंतुलन, अंतःस्रावी (Endocrine) विकार, पर्सनैलिटी टाइप, सामाजिक कारण और ड्रग्स की लत शामिल है.
काम का दबाव, समय सीमा, लगातार पीछे से शोर होना, कृत्रिम रोशनी में अधिक रहने और अनिद्रा की वजह से नर्वस सिस्टम के लगातार अति उत्तेजित होने के कारण कई तरह की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं. तलाक, किसी प्रियजन को खोना, वित्तीय संकट, बड़ी बीमारी या लंबे समय तक वॉर में रहने जैसी कठिन परिस्थितियां भी इन समस्याओं के अन्य कारणों में शामिल हैं.
चरक संहिता में कहा गया है कि शरीर और मन दोनों ही स्वास्थ्य और रोग के लिए जिम्मेदार हैं. मन और शरीर के बीच सामंजस्यपूर्ण मेलजोल से शरीर स्वस्थ होता है.
आयुर्वेद का मानना है कि शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान परस्पर जुड़े हुए. इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है. किसी भी बीमारी के उपचार में इन्हें ठीक करने की आवश्यकता है. हर मरीज अलग है और हर स्तर पर इलाज के लिए एक अलग ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है.
ऐसे में आयुर्वेद इन उपायों की सलाह देता है. हालांकि आपको बता दें कि किसी भी नई स्वास्थ्य पद्धति को शुरू करने से पहले हमेशा मेडिकल एक्सपर्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
आयुर्वेदिक तरीकों का पालन करने से हमारी खुद से ठीक होने की क्षमताओं में वृद्धि होती है. जब तीन दोष संतुलित होते हैं, तो शरीर की सभी प्रणालियां उत्तेजित या अभिभूत हुए बिना तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने के लिए सामंजस्य से काम करती हैं. एक शांत नर्वस सिस्टम पैनिक के खिलाफ आपका सबसे अच्छा बचाव है.
(नूपुर रूपा एक फ्रीलांस राइटर और मदर्स की लाइफ कोच हैं. वो पर्यावरण, भोजन, इतिहास, पालन-पोषण और यात्रा पर आर्टिकल लिखती हैं.)
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