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घबराहट या बेचैनी में क्या खाएं, क्या न खाएं, जानिए आयुर्वेदिक उपाय

बेचैनी या घबराहट को आयुर्वेद में चित्तोद्वेग के रूप में जाना जाता है.

नूपुर रूपा
फिट
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बेचैनी या घबराहट को आयुर्वेद में चित्तोद्वेग के रूप में जाना जाता है. यह वात दोष के असंतुलन के कारण होता है. 
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बेचैनी या घबराहट को आयुर्वेद में चित्तोद्वेग के रूप में जाना जाता है. यह वात दोष के असंतुलन के कारण होता है. 
(फोटो: फिट/इरम गौर)

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एक बैंक में अधिकारी मीरा शर्मा ऑफिस के लिए तैयार होने के दौरान अचानक ही कुर्सी पर गिर पड़ीं. उनका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था. वह पसीने से तरबतर थीं और उन्हें डर महसूस हो रहा था. मीरा को यह समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है. डॉक्टर से दिखाने के बाद उन्हें पता लगा कि यह पैनिक अटैक है. इसकी वजह काम का दबाव, व्यस्त कार्यक्रम और नींद की कमी के कारण होने वाली बहुत अधिक घबराहट (acute anxiety) है.

चिंता और घबराहट क्या है?

चिंता एक सामान्य भाव है, जो हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है. संभावित खतरे से खुद को बचाने के लिए हमारे शरीर में F3 या फाइट-फ्लाइट-फ्रीज प्रतिक्रिया खुद ब खुद होती है. ये प्रतिक्रिया वास्तविक खतरे की स्थिति में हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होती है.

प्रागैतिहासिक काल में जंगलों में मुकाबला करने या रहने के लिए मनुष्यों को एड्रीनलिन (एक तरह का हार्मोन) की आवश्यकता होती थी. हालांकि, एक बार जानवर के मारे जाने या सुरक्षित स्थान मिलने के बाद, शरीर सामान्य हो जाता. लेकिक आज, हम न तो हमलावर से लड़ते हैं और न ही शारीरिक श्रम करते हैं. हम सिर्फ झल्लाते और तिलमिला जाते हैं.

जब कोई व्यक्ति रोजमर्रा के जीवन स्थितियों के बारे में बहुत तेजी से और लगातार चिंता करना शुरू कर देता है तो ऐसे में घबराहट या बेचैनी एक समस्या बन जाती है.

भले ही कोई खतरा ना हो लेकिन हमें लगता है कि खतरा है तो ऐसी स्थिति में घबराहट F3 प्रतिक्रिया को बढ़ा देता है. उदाहरण के लिए हो सकता है कि आप अपने ऑफिस प्रेजेंटेशन के लेकर चिंतित हो और अपने बच्चे पर बिना किसी कारण चिल्ला पड़ें. या जब आप अपने ऑफिस के कैफेटेरिया से निकल रहे हों, उस समय आपकी नजर ऐसे किसी आदमी पर पड़े जिसके साथ आप सहज न हों. वह व्यक्ति आपके ग्रुप में शामिल (Flight ) हो जाए. या फिर लेक्चर देते समय आपका दिमाग बिल्कुल खाली सा लगने लगे (Freeze). यह स्थितियां भले ही खतरनाक न हों, लेकिन आपका सिस्टम हाई अलर्ट पर हो जाता है.

बहुत अधिक चिंता से घबराहट होती है. पैनिक अटैक और एंग्जाइटी अटैक एक ही कारण से होते हैं, लेकिन अलग तरीके से प्रकट होते हैं. इनके लक्षणों में धड़कन तेज होना, सांस फूलना, सीने में दर्द, सिरदर्द, थकान, कांपना और अनिद्रा शामिल हैं.

पैनिक अटैक कुछ समय बाद अचानक और कम हो जाते हैं, लेकिन एक एंग्जाइटी अटैक के बाद, घबराहट वाली भावना पूरी तरह से नहीं छूटती है और कभी भी बढ़ सकती है.

एंग्जाइटी डिसऑर्डर मानसिक विकारों का एक समूह है, जिसमें डर की भावना, सामान्य चिंता, पैनिक डिसऑर्डर, फोबिया विशेषकर सोशल फोबिया, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और ऑब्सेसिव-कंपलसिव डिसऑर्डर शामिल है.

डॉक्टरों का मानना है कि इसके संभावित कारणों में जेनेटिक, हार्मोन से जुड़े असंतुलन, अंतःस्रावी (Endocrine) विकार, पर्सनैलिटी टाइप, सामाजिक कारण और ड्रग्स की लत शामिल है.

काम का दबाव, समय सीमा, लगातार पीछे से शोर होना, कृत्रिम रोशनी में अधिक रहने और अनिद्रा की वजह से नर्वस सिस्टम के लगातार अति उत्तेजित होने के कारण कई तरह की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं. तलाक, किसी प्रियजन को खोना, वित्तीय संकट, बड़ी बीमारी या लंबे समय तक वॉर में रहने जैसी कठिन परिस्थितियां भी इन समस्याओं के अन्य कारणों में शामिल हैं.

WHO द्वारा 2015 में एक स्टडी के अनुसार, चिंता विकारों (Anxiety Disorders) की वैश्विक व्यापकता 3.6% होने का अनुमान लगाया गया था. स्टडी में यह भी पाया गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एंग्जाइटी डिसऑर्डर अधिक होते हैं.
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आयुर्वेद कहता है...

चरक संहिता में कहा गया है कि शरीर और मन दोनों ही स्वास्थ्य और रोग के लिए जिम्मेदार हैं. मन और शरीर के बीच सामंजस्यपूर्ण मेलजोल से शरीर स्वस्थ होता है.

आयुर्वेद का मानना है कि शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान परस्पर जुड़े हुए. इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है. किसी भी बीमारी के उपचार में इन्हें ठीक करने की आवश्यकता है. हर मरीज अलग है और हर स्तर पर इलाज के लिए एक अलग ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है.

आयुर्वेद में घबराहट या बेचैनी को चित्तोद्वेग के नाम से जाना जाता है. यह वात दोष के असंतुलन के कारण होता है. प्रत्येक दोष मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. उत्तेजित वात घबराहट पैदा करता है. उत्तेजित कफ अवसाद पैदा करता है और उत्तेजित पित्त क्रोध द्वारा पता लगता है. वात का शांत होना घबराहट को कम करने में मदद करता है.

ऐसे में आयुर्वेद इन उपायों की सलाह देता है. हालांकि आपको बता दें कि किसी भी नई स्वास्थ्य पद्धति को शुरू करने से पहले हमेशा मेडिकल एक्सपर्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए.

चिंता से निपटने के लिए आयुर्वेदिक डाइट

  • नियमित रूप से समय पर भोजन करें
  • तेल में पका भोजन गर्म ही खाएं. पॉपकॉर्न और चिप्स जैसे ड्राइ फूड से बचें
  • खाने में चुकंदर, फूलगोभी, शकरकंद, स्वीट कॉर्न, कद्दू और मूली को शामिल करें
  • दाल जैसे मूंग, तूर या अरहर आदि को खाने में शामिल किया जा सकता है, लेकिन इसे ठीक से पकाने की जरूरत है
  • घर का दूध, घी, ताजा मक्खन और छाछ शामिल करें
  • चीनी, कैफीन, आर्टिफिशियल फिज्जी ड्रिंक, कच्चे और फ्रोजन फूड व तली हुई खाने की चीजों से बचें
  • गुनगुना पानी पीएं

एंग्जाइटी दूर करने के आयुर्वेदिक टिप्स

  1. ताजी हवा और धूप लें. प्राकृतिक रोशनी में रहना जरूरी है
  2. अपने माथे और सिर में गर्म तिल के तेल से मालिश करें. नहाने से पहले अभ्यंग या पूरे शरीर की तेल मालिश मददगार होती है
  3. नियमित रूप से तनाव दूर करे के उपायों को अपनाएं
  4. रात में सोने से पहले गर्म पानी से स्नान करें
  5. वात को शांत करने के लिए सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध, शहद और केसर के साथ पीएं.
  6. रात भर भिगोए हुए 2 बादाम का पेस्ट बनाएं. 3 छोटे चम्म्च कद्दूकस किया हुआ ताजा नारियल, 1 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर, 1/4 छोटी चम्मच कालीमिर्च पाउडर और 3-4 छोटी चम्मच रॉक कैंडी (मिश्री) मिलाएं. इन सभी चीजों को मिलाएं और केसर वाले दूध के साथ पीएं.
  7. एक कप उबलते पानी में कुछ ताजा गुलाब की पंखुड़ियों को मिलाएं. उसे ठंडा हो जाने दें. 1/4 छोटा चम्मच चीनी मिलाएं और दिन में दो बार पीएं.

आयुर्वेदिक तरीकों का पालन करने से हमारी खुद से ठीक होने की क्षमताओं में वृद्धि होती है. जब तीन दोष संतुलित होते हैं, तो शरीर की सभी प्रणालियां उत्तेजित या अभिभूत हुए बिना तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने के लिए सामंजस्य से काम करती हैं. एक शांत नर्वस सिस्टम पैनिक के खिलाफ आपका सबसे अच्छा बचाव है.

(नूपुर रूपा एक फ्रीलांस राइटर और मदर्स की लाइफ कोच हैं. वो पर्यावरण, भोजन, इतिहास, पालन-पोषण और यात्रा पर आर्टिकल लिखती हैं.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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