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अनहेल्दी फूड, कॉस्मेटिक्स, तनाव, प्रदूषण- शरीर में टॉक्सिन पहुंचने और इकट्ठा होने के कई वजह हैं. इंसान के शरीर में खास सिस्टम हैं, जो विषाक्त पदार्थों को मैनेज और बाहर करने का काम करते हैं, लेकिन इनकी भी एक सीमा है.
खाने-पीने की गलत आदतें, तनाव और अनहेल्दी लाइफस्टाइल शरीर से टॉक्सिन बाहर करने वाले उत्सर्जन तंत्र का काम और मुश्किल बनाती है. नतीजतन, टॉक्सिन शरीर में जमा होते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं. किडनी स्टोन, रीनल फेलर, पेशाब में खून, यूरिन में प्रोटीन, यूरिया का हाई लेवल और दूसरी कई तरह की दिक्कतें किडनी में टॉक्सिन इकट्ठा होने का परिणाम हैं.
इन मामलों में आयुर्वेद मदद कर सकता है. ऐसी बहुत सी प्रभावी जड़ी बूटियां हैं, जो न सिर्फ रीनल सिस्टम को मजबूत कर सकती हैं, बल्कि किडनी की समस्याओं का इलाज भी कर सकती हैं.
नोट: जड़ी बूटियों का इस्तेमाल खुद से इलाज के तौर पर बिल्कुल न करें. किडनी से जुड़ी दिक्कतों की इलाज के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
पुनर्नवा नैचुरल डाइयूरेटिक है, आयुर्वेद में बार-बार पेशाब की इच्छा और दूसरे यूरिनरी दिक्कतों के लिए पुनर्नवा के बारे में बताया गया है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कायाकल्प करने के भी गुण हैं. हेल्दी किडनी फंक्शन के लिए पुनर्नवा का रोजाना इस्तेमाल किया जा सकता है.
पलाश एक पेड़ है, जिस पर लाल या नारंगी रंग के फूल होते हैं. ये फूल ठंडक देने वाले होते हैं और यूरिन के फ्लो को नियमित करने में मदद करते हैं. इसके साथ ही पेशाब करने के दौरान होने वाली जलन से भी आराम देने में मददगार होते हैं.
गोक्षुर के वृक्ष की छाल यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) के इलाज, पेशाब के दौरान होने वाली जलन के लिए अद्भुत जड़ी बूटी है. बार-बार पेशाब होने की इच्छा के दौरान गोक्षुर की छाल ठीक तरीके से फ्लो को नियंत्रित करता है. किडनी की पथरी को खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है.
चरक ने गुदुची के एस्ट्रिन्जेंट गुण के बारे में विस्तार से बताया है. इस वजह से यूरिनरी दिक्कतों के इलाज के लिए ये एक बेहतरीन जड़ी बूटी है. जिन लोगों को पेशाब करने में कठिनाई होती है, वो डॉक्टर की निगरानी में गुदुची ले सकते हैं.
वरुण नैचुरल डाइयूरेटिक है. ये किडनी स्टोन (पथरी) और किडनी की दूसरी बीमारियों के इलाज में बेहद प्रभावी है. ये खून को भी साफ करता है और शरीर में यूरिन चैनल के फंक्शन को मजबूत करता है.
चंदन एक ओर आपके शरीर को ठंडक देता है और रोगाणुओं से लड़ता है. इसलिए यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) और पेशाब के दौरान होने वाले दर्द से राहत के लिए चंदन का शरबत पीने की सलाह दी जाती है. चंदन में प्राकृतिक एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो किडनी के संक्रमण को दूर करते हैं.
शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए अदरक का सदियों से इस्तेमाल होता आ रहा है. ये किडनी और लिवर से टॉक्सिन्स हटाता है. अदरक का एंटी-इंफ्लेमेटरी असर इंफेक्शन के कारण हुए किडनी में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है.
तीन कायाकल्प कर देने वाली जड़ी बूटियों से तैयार त्रिफला किडनी के सभी फंक्शन के सुधार में मददगार है. त्रिफला उत्सर्जन तंत्र के दो प्रमुख अंग लिवर और किडनी को मजबूती देता है.
धनिया का शरीर पर दर्द से आराम देने वाला प्रभाव पड़ता है. ये पेशाब के दौरान होने वाली जलन को शांत करने में मदद करता है. ये ब्लैडर और यूरीटर का इंफेक्शन ठीक कर सकता है. नैचुरल डाइयूरेटिक होने के नाते ये किडनी को हेल्दी रखता है.
लो यूरिन वॉल्यूम, रीनल फेलर और कुछ सामान्य संक्रमण के इलाज में हल्दी का इस्तेमाल होता है. इसके कई फायदे हैं, जैसे, ये इंफेक्शन के खतरे को घटाता है, सूजन कम करता है, किडनी की पथरी बनने से बचाव करता है और साथ ही किडनी सिस्ट भी ठीक करता है.
(डॉ प्रताप चौहान, जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर, लेखक, पब्लिक स्पीकर, टीवी पर्सनैल्टी और आयुर्वेदाचार्य हैं. )
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Published: 14 Mar 2019,02:28 PM IST