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ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर का डर है? मददगार हो सकता है जेनेटिक टेस्ट

महिलाओं को होने वाले ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के मामलों में भारत दूसरे स्थान पर है.

डॉ सुरुचि अग्रवाल
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जेनेटिक टेस्टिंग से Mutation का पता चल सकता है, जो महिलाओं को स्तन और ओवेरियन कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है. 
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जेनेटिक टेस्टिंग से Mutation का पता चल सकता है, जो महिलाओं को स्तन और ओवेरियन कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है. 
(फोटो: iStockPhoto)

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दुनिया भर में महिलाओं को होने वाले ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन (अंडाशय या डिम्बग्रंथी) कैंसर के सर्वाधिक मामलों में भारत क्रमशः तीसरे और दूसरे पायदान पर है.

पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में पारिवारिक ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर के तीन गुना अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. ऐसा अनुमान है कि भारतीय महिलाओं में कैंसर की घटनाओं में साल 2025 तक प्रति वर्ष हर एक लाख में से 190-200 मामलों की वृद्धि होगी (ग्लोबोकेन, 2018; आईसीएमआर, 2012).

भारत में स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर के मामलों में मृत्यु दर का अनुपात सबसे खराब है. हर 28 महिलाओं में से एक को अपने जीवनकाल के दौरान स्तन कैंसर या ओवरी का कैंसर होने की आशंका है. हर दो महिलाओं में से एक में बीमारी का पता लगता है और उससे मौत होती है.

माना जाता है कि BRCA1 और BRCA2 जीन में हानिकारक म्यूटेशन (परिवर्तन) (डीएनए सिक्वेंस में कई बदलाव) से वंशानुगत स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर (HBOC) सिंड्रोम होने का रिस्क अधिक होता है. (टेबल 1)

लगभग 20-25 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में BRCA1 और BRCA2 जीन में परिवर्तन ही कारण होता है. जिन महिलाओं में BRCA1 और BRCA2 जीन में परिवर्तन के बाद स्तन कैंसर की शुरुआत होती है, इसके बाद अन्य स्थिति में भी स्तन और ओवेरियन कैंसर के होने का खतरा बढ़ता है.

BRCA1/2 म्यूटेशन कैरियर और नॉन कैरियर में स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर होने का लाइफटाइम रिस्क. (Table Courtesy: डॉ सुरुचि अग्रवाल)

TP53, CHEK2, STK11, BARD1, ATM, BRIP1, CDH1, PALB2, RAD51C, RAD51D, RAD50D, RAD50, NBS1, PTEN जैसे अन्य जीनों में हानिकारक जर्मलाइन (रोगाणु) म्यूटेशन लगभग 10 प्रतिशत पारिवारिक स्तन और ओवेरियन कैंसर के मामलों के कारण हैं.

नेक्स्ट जेनेरेशन सिक्वेंस आधारित जेनेटिक टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, जो एक ही जांच में जीनोमिक डीएनए के विश्लेषण के जरिए मल्टीपल जीन में म्यूटेशन का पता लगा लेता है. ये एक अधिक संवेदनशील और ठोस सिक्वेंस वाला तरीका है, जो विश्वसनीय परिणाम देता है. यह एक व्यापक जांच है, जिसमें सिंगल न्यूक्लियोटाइड वेरिएशन (SNVs) और लघु सम्मिलन और विलोपन (InDels) शामिल है. ये दूसरे उपलब्ध विकल्पों में से कम समय व कम खर्च वाला प्रभावी विकल्प है.

BRCA1 और BRCA2 जेनेटिक टेस्ट, वंशानुगत जोखिम (व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास की मौजूदगी) की सही पहचान करने में मदद करता है. ये स्तन कैंसर के रोगियों के ओवरऑल सर्वाइवल रेट का प्रभाव जानने में भी मददगार है. यह सबसे बेहतर दवा से इलाज करने की राह खोलता है. इस टेस्ट की सबसे महत्वपूर्ण उपयोगिताओं में से 1.5 से 2.5 गुना जल्दी बीमारी की शुरुआती पहचान करना, सर्वाइवल रेट बढ़ाना और इलाज का खर्च कम करना है.

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किसे ये जांच करानी चाहिए?

जीन वंशानुगत होते हैं, इसलिए, स्तन कैंसर के जोखिमों का निर्धारण करते समय अपने परिवार के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण है.(फोटो: iStockphoto)

जीन वंशानुगत होते हैं, इसलिए, स्तन कैंसर के जोखिमों का निर्धारण करते समय अपने परिवार के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण है. अगर आपके माता-पिता में से किसी एक में BRCA1 और BRCA2 म्यूटेशन है, तो आपमें म्यूटेटिड जीन के विरासत में मिलने की 50 प्रतिशत आशंका है.

अगर निम्न में से कोई भी एक स्थिति प्रमुखता से हो, तो आपको जेनेटिक टेस्ट पर विचार करना चाहिए:

  • कम उम्र में (मेनोपॉज से पहले) स्तन या ओवेरियन कैंसर का व्यक्तिगत इतिहास, दोनों स्तनों में कैंसर या ओवेरियन और स्तन कैंसर दोनों होना.
  • परिवार में पहले किसी को स्तन, ओवरी, फैलोपियन ट्यूब, पेरिटोनियल, प्रोस्टेट या पैंक्रिएटिक कैंसर हुआ हो
  • परिवार के किसी पुरुष सदस्य को स्तन कैंसर हो चुका हो
  • ऐसा कोई रिश्तेदार जिसे BRCA1 या BRCA2 जीन म्यूटेशन हुआ हो
  • परिवार में 45 साल से कम उम्र वाले किसी को स्तन कैंसर हुआ हो
  • परिवार का कोई सदस्य, जिसे 50 की उम्र से पहले दोनों स्तनों का कैंसर हुआ हो
  • 60 वर्ष से कम आयु के ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर वाला व्यक्ति
  • दो या दो से अधिक रिश्तेदारों को ओवेरियन कैंसर
  • स्तन और ओवेरियन कैंसर एक ही महिला या एक ही परिवार में हुआ हो
  • अश्केनाजी यहूदी नस्ल वाले

बिना लक्षण वाले व्यक्तियों और जिनमें हाल ही में कैंसर का पता लगा है, उन पर BRCA1 और BRCA2 जीन परीक्षण का अलग-अलग प्रभाव होता है.

एक पॉजिटिव टेस्ट रिजल्ट बताता है कि किसी व्यक्ति को या तो BRCA1 या BRCA2 जीन में एक हानिकारक म्यूटेशन विरासत में मिला है. इसलिए, सामान्य आबादी की तुलना में ऐसे लोगों में स्तन या ओवेरियन कैंसर के बढ़ने का खतरा अधिक है. हालांकि, पॉजिटिव रिजल्ट का मतलब ये नहीं है कि उस व्यक्ति को कैंसर हो ही जाएगा.

i) बिना लक्षण वाले व्यक्ति का पॉजिटिव रिजल्ट कीमोप्रिवेंशन और सर्जिकल उपायों से बीमारी से बचाव, शुरुआत में पता लगने, निगरानी के जरिए बेहतर देखभाल में मदद करता है. बाइलेटरल टोटल मैस्टेक्टोमी और ओफोरेक्टोमी म्यूटेशन कैरियर में स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं.

ii) एक नेगेटिव टेस्ट रिजल्ट का मतलब है कि BRCA1 और BRCA2 जीन में कोई म्यूटेशन नहीं है. नेगेटिव टेस्ट रिजल्ट वाले व्यक्ति को स्तन कैंसर होने का उतना ही जोखिम रहता है जितना कि सामान्य व्यक्ति को.

iii) एक अस्पष्ट रिजल्ट उस समय आता है, जब BRCA1 और BRCA2 में बदलाव पाया जाता है. अभी तक इसका स्तन कैंसर से सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं है. इस प्रकार के टेस्ट रिजल्ट को ‘अनिश्चित महत्व का एक आनुवंशिक रूप’ कहा जा सकता है क्योंकि ये पता नहीं है कि यह विशिष्ट आनुवंशिक परिवर्तन हानिकारक है या नहीं. एशियाई महिलाओं पर की गई एक स्टडी में पाया गया है कि BRCA1 और BRCA2 म्यूटेशन टेस्ट से गुजरने वाली 7.8 प्रतिशत महिलाओं में इस प्रकार का अस्पष्ट रिजल्ट था.

ऐसे रोगी जिनमें हाल ही में स्तन कैंसर या ओवेरियन कैंसर का पता लगा है, जीन टेस्ट रिजल्ट रोग प्रबंधन और इलाज संबंधी दवा के बारे में निर्णय लेने में मार्गदर्शन करते हैं.(फोटो: iStockphoto)

ऐसे रोगी जिनमें हाल ही में स्तन कैंसर या ओवेरियन कैंसर का पता लगा है, जीन टेस्ट रिजल्ट रोग प्रबंधन और इलाज संबंधी दवा के बारे में निर्णय लेने में मार्गदर्शन करते हैं.

जेनेटिक टेस्ट (प्री-टेस्ट काउंसलिंग) कराने से पहले और टेस्ट का रिजल्ट आने के बाद जेनेटिक काउंसलिंग की सलाह दी जाती है. जेनेटिक काउंसलर ये तय करने में मदद कर सकते हैं कि क्या व्यक्तिगत और पारिवारिक इतिहास और विभिन्न अन्य जोखिम कारकों के आधार पर जेनेटिक टेस्ट की आवश्यकता है. अगर टेस्ट में इस बात के संकेत मिल जाते हैं, तो यह कैंसर की दिशा में जल्दी होना चाहिए जिससे कि म्यूटेशन वाले रोगियों को अधिक तेजी से इलाज मिल सके.

(लेखक मेडजीनोम लैब्स में सीनियर जीनोम एनालिस्ट (ऑन्कोलॉजी) हैं.)

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Published: 23 Feb 2019,02:42 PM IST

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