advertisement
कैल्शियम को आमतौर पर सिर्फ बोन हेल्थ से जोड़ा जाता है. कैल्शियम मतलब दूध और उसके प्रोडक्ट्स. लेकिन क्या कैल्शियम की जरूरत सिर्फ आपकी हड्डियों के लिए ही होती है?
ये सही है कि हमारे शरीर में करीब 90 % कैल्शियम हड्डियों और दांतों में पाया जाता है. पर कैल्शियम हमारी एक-एक कोशिका के लिए जरूरी है, खासकर हमारे नर्व्स, ब्लड, मसल्स और हार्ट के लिए ये बेहद जरूरी है.
न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन के मुताबिक इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कैल्शियम हमारी हार्ट बीट को भी रेग्युलेट करता है.
ऐसे में अगर किसी को कैल्शियम की कमी हो जाए, तो सोचिए इसका क्या असर होगा?
इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन (IOF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आमतौर पर लोग कैल्शियम की उतनी खुराक नहीं लेते हैं, जितनी शरीर की हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है.
शरीर में अगर लंबे समय तक कैल्शियम की बनी रहे, तो इसका दांतों और दिमाग पर असर पड़ सकता है, मोतियाबिंद और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है. अगर इसका इलाज नहीं कराया गया, तो ये हालत जानलेवा भी हो सकती है.
इसलिए जरूरी है कि आप कुछ चीजों पर ध्यान दें. यूं तो शुरुआती स्तर पर ही कैल्शियम की कमी के कोई लक्षण सामने नहीं आते. हालांकि हालत बुरी होने के साथ लक्षण भी विकसित होने लगते हैं.
अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी कहते हैं:
मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और मरोड़ कैल्शियम की कमी के शुरुआती संकेत हैं. लोगों को चलते वक्त या किसी भी तरह के मूवमेंट के दौरान जांघों और हाथ में दर्द का अनुभव हो सकता है.
इसकी कमी के कारण हाथ, पैर और मुंह के आसपास सुन्न और सिहरन सा भी महसूस हो सकता है.
ये लक्षण आते-जाते रह सकते हैं.
लोगों को बहुत ज्यादा थकान, सुस्ती, आलस और ऐसा लग सकता है कि एनर्जी की कमी है. कैल्शियम की कमी नींद न आने की वजह हो सकती है.
कैल्शियम की कमी से जुड़ी थकान भी चक्कर आना और ब्रेन फॉग का कारण बन सकती है, जिसमें फोकस करने में परेशानी, भूलना और कन्फ्यूजन शामिल है.
कैल्शियम की कमी आपकी त्वचा और नाखूनों को भी प्रभावित करती है.
स्किन रूखी और लाल हो सकती है और उसमें खुजली हो सकती है. वहीं इसकी कमी से नाखून ड्राइ और इतने कमजोर हो सकते हैं कि खुद ब खुद टूटने लगें.
जब कैल्शियम की कमी होती है, तब शरीर इसकी पूर्ति दांतों और हड्डियों से कर सकता है. इस वजह से दांतों की दिक्कतें शुरू होती हैं, जैसे कमजोर दांत, मसूड़ों में समस्या, दांतों में सड़न.
शिशुओं में कैल्शियम की कमी से दांतों का निर्माण देर से हो सकता है.
कैल्शियम की कमी का गंभीर पीएमएस से भी संबंध पाया गया है.
2017 की एक स्टडी में दो महीने तक रोजाना 500 मिलीग्राम कैल्शियम लेने से मूड में इंप्रूवमेंट देखा गया. कई और स्टडीज में कैल्शियम इनटेक का PMS लक्षणों पर असर देखा जा चुका है. अध्ययन में शामिल वालों में डिप्रेशन, थकान और भूख में सुधार पाया गया था.
कैल्शियम की कमी के कारण ऑस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है.
ऑस्टियोपेनिया, जिसमें बोन्स की मिनरल डेंसिटी कम हो जाती है और इस वजह से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है.
ऑस्टियोपोरोसिस एक बीमारी है, जिसमें हड्डियों का घनत्व (डेंसिटी) कम हो जाता है. हड्डियां इतनी कमजोर और भंगुर हो जाती हैं कि गिरने से, झुकने या छींकने-खांसने पर भी हड्डियों में फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है.
हड्डियों की डेंसिटी कम होने में सालों लगते हैं और कैल्शियम की कमी से कोई गंभीर खतरा होने में समय लगता है.
इसलिए उम्र के सभी पड़ाव पर कैल्शियम के सेवन का ध्यान रखना जरूरी होता है.
मसल्स कॉन्ट्रेक्शन्स और न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज में कैल्शियम की अहम भूमिका होती है. अगर आप में न्यूरोलॉजिकल लक्षण नजर आ रहे हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलिए.
न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन कहती हैं, ‘कैल्शियम के बेस्ट सोर्स डेयरी प्रोडक्ट्स हैं, इसलिए जो लोग दूध और दूध से बनीं चीजें ले सकते हैं, उन्हें रोजाना 2 से 3 बार कोई डेयरी उत्पाद लेना चाहिए.
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली, पत्ता गोभी और यहां तक कि भिंडी भी कैल्शियम का पावरहाउस है.
सूखे हर्ब्स सिर्फ स्वाद ही नहीं देते बल्कि इनमें कैल्शियम भी काफी होता है. अजवायन के फूल और पत्ती, तुलसी और ओरिगैनो...रोजाना इनमें से किसी का भी एक चम्मच कैल्शियम की जरूरत को पूरा कर सकता है. इन्हें चाहे सलाद पर सजाएं या सूप में मिलाएं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 02 Nov 2018,05:16 PM IST