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हाथ उठाइए, अगर आपको सांस लेने में परेशानी होती है. अगर आप दिल्ली या एनसीआर में रहते हैं, तो काफी आसार हैं कि आपने भी मन ही मन हाथ उठाया हो.
पिछले साल मई में ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपे एक आर्टिकल में राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और एक 8 साल के बच्चे की सांस लेने की जद्दोजहद के बारे में लिखा गया था. तब इस बारे में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे. चाहे प्रदूषण की आलोचना जरूरत से ज्यादा ही हो गई थी, पर इसके बाद महंगे एयर प्यूरीफायर के बाजार में जबरदस्त उछाल आया था.
घर के अंदर की हवा, बाहर की हवा से 3 से 5 गुना ज्यादा जहरीली हो सकती है (सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायर्नमेंट). ऐसे में एयर प्यूरीफायर के बाजार का शून्य से उठकर 150 करोड़ तक चले जाना (स्रोत: फिलिप्स इंडिया) कोई बड़ी बात नहीं.
कुल 3000 रुपए से ले कर महंगे 90,000 रुपए तक के मॉडल्स से बाजार पटा पड़ा है. पर क्या ये वाकई काम करते हैं? अपने बजट के अलावा और क्या है, जिसे किसी प्रॉडक्ट को खरीदने से पहले आपको याद रखना चाहिए.
एयर प्यूरीफायर बिलकुल एक वाटर प्यूरीफायर की तरह काम करता है. सब कुछ मशीन के फिल्टर पर निर्भर करता है. हवा में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर और पोलन आदि को खत्म कर यह मशीन हवा को साफ करती है. सभी प्यूरीफायर्स एक पहले से मौजूद फिल्टर के साथ आते हैं और हवा में मौजूद धूल और बाल जैसी चीजों को साफ करते हैं.
कणों को फिल्टर करने वाले अंतरराष्ट्रीय मानक एक्टिवेटिड कार्बन फिल्टर और HEPA-फिल्टर इन मशीनों में इस्तेमाल किए जाते हैं, जो न सिर्फ कणों को, बल्कि गंध को भी खत्म करते हैं.
इस सवाल का जवाब कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि मशीन का फिल्टर क्या सिर्फ बड़े कणों को साफ कर सकता है या छोटे कणों को भी, या फिर घर का हर कोना प्यूरीफायर की रेंज में है या नहीं, और फिर आप फिल्टर कितनी बार बदलते हैं.
तो अगर आप अपने घर के हर कमरे के लिए एक प्यूरीफायर खरीद सकते हैं, तब तो ठीक है. दिल्ली के कई महंगे स्कूलों ने सेंट्रलाइज्ड प्यूरीफायर लगवा लिए हैं.
पर प्यूरीफायर का इस्तेमाल काफी खर्चीला है. आप के शहर के प्रदूषण के हिसाब से आपको बार-बार फिल्टर बदलना होगा, वरना प्रदूषण की वजह से मशीन खराब होने का डर भी बना रहता है.
ये प्यूरीफायर घर की हवा को साफ करते हैं, पर अभी ऐसा कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं है कि वे अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों में कमी ला रहे हैं.
आयोनिक प्यूरीफायर्स कई प्रदूषकों को प्रभावहीन करने के लिए वातावरण में ओजोन गैस छोड़ते हैं. अभी वैज्ञानिकों ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि यह एक अच्छी बात है या बुरी.
ओजोन फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली एक जानी-पहचानी गैस है. हालांकि प्यूरीफायर बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि ओजोन सिर्फ धूल से मिलने के बाद ही नुकसान पहुंचाती है, न कि साफ हवा में मिलने पर. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर आपके पूरे घर में प्यूरीफायर नहीं लगे हैं तो फिर इन से निकली ओजोन धूल से मिलकर नुकसान जरूर पहुंचाएगी-- तब क्या होगा.
3500 की कीमत का जुगाड़ प्यूरीफायर देखने में बहुत आकर्षक नहीं है, पर प्रभावी है.
इस सिस्टम में बस एक HEPA-फिल्टर है और एक पंखा. एक एयरफिल्टर के लिए यही दो चीजें सबसे बुनियादी हैं. इसे बनाने वाली कंपनी भारत सहित 16 देशों में पिछले 2 सालों में ऐसे 60,000 फिल्टर बेच चुकी है.
15 से 25 हजार तक की कीमत वाले फिल्टर देखने में बेहतर हैं व उनमें कई मोड और कंट्रोल दिए गए हैं.
30 से 40 हजार की कीमत वाले प्यूरीफायर हवा को सबसे अधिक साफ कर सकते हैं. फिलिप्स से लेकर शार्प तक कई कंपनियां इस रेंज के प्यूरीफायर बाजार में उतार चुकी हैं. अगर आप प्री-फिल्टर वाला प्यूरीफायर खरीदते हैं तो आपके HEPA-फिल्टर की उम्र कुछ और बढ़ जाती है.
90,000 की कीमत का कैमफिल प्यूरीफायर भारतीय बाजार में सबसे महंगा प्यूरीफायर है. सबसे अच्छी मॉलिक्यूलर फिल्ट्रेशन तकनीक वाला यह प्यूरीफायर कुछ मिनटों में ही 99 फीसदी तक प्रदूषण खत्म करने का दावा करता है.
तो कुछ भी खरीदने से पहले आप महीने के मेंटिनेंस और बिजली के बिल में होने वाली बढ़ोतरी का हिसाब जरूर लगा लें. दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति सचमुच खराब है, पर ध्यान रहे, अभी तक ऐसी कोई मेडिकल स्टडी नहीं आई है, जो यह बताती हो कि एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल से आपकी जिंदगी लंबी हो सकती है.
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Published: 08 Jan 2016,10:30 PM IST