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आज करोड़ों लोग कैंसर से पीड़ित हैं और अगले 10 साल में करीबन डेढ़ करोड़ लोगों को कैंसर हो सकता है, जिनमें से आधे मरीजों का इलाज मुश्किल होगा. इसकी वजह है समय पर जांच ना कराना, लेकिन ये आंकड़े बदले जा सकते हैं, अगर लोग जागरूक रहें और शंका होने पर स्क्रीनिंग कराने से ना घबराएं.
पिछले कुछ समय में कैंसर की रोकथाम और इसे मात देने के लिए काफी जागरुकता फैलाने का प्रयास किया गया है, बावजूद इसके यह लगातार पांव पसार रहा है, जिसका एक कारण ये भी है कि अमूमन बहुत छोटे-छोटे पहलुओं पर हम अक्सर ध्यान नहीं देते, जो धीरे-धीरे घातक रूप ले लेता है.
कैंसर केवल स्मोकिंग या शराब पीने से ही नहीं बल्कि खराब लाइफस्टाइल से भी होता है. कैंसर ठीक हो सकता है, अगर सही समय पर इसका पता चल जाए.
कैंसर रिस्क के बारे में डॉक्टर से परामर्श लेना और उनकी सलाह अनुसार स्क्रीनिंग आपको कैंसर से दूर रहने में मदद करेगी. ओरल (मुंह-गला), ब्रेस्ट (स्तन), सर्वाइकल (गर्भाशय ग्रीवा), फेफड़े (लंग) कैंसर की शंका होने पर ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है.
हर 25 में से 1 महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है. इससे स्क्रीनिंग के जरिए आसानी से बचा जा सकता है. डॉक्री जांच (क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन) या सेल्फ एग्जामिनेशन. 45 साल से बड़ी महिलाओं को इसकी शंका होने पर उन्हें एक खास ब्रेस्ट एक्सरे (मैमोग्राफी) करावानी चाहिए.
अपने देश में तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट, खैनी-गुटखा और पाने मसाले का बहुत इस्तेमाल होता है, ज्यादा शराब पीना भी ओरल कैंसर का कारण है.
गर्दन में गांठ भी इस कैंसर का एक लक्षण है, यह लक्षण कैंसर में परिवर्तित न हो इसके लिए डॉक्टरी जांच बेहद जरूरी होती है.
सर्वाइकल कैंसर (गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर) महिलाओं में दूसरा प्रमुख कैंसर है. समय पर स्क्रीनिंग से इस कैंसर को रोका जा सकता है, सरल स्क्रीनिंग के तीन विभिन्न तरीके डॉक्टरी सलाह व परामर्श से पता चल सकते हैं.
कोलोरक्टल कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर सहित कई अन्य कैंसर भी स्क्रीनिंग के माध्यम से पकड़े जा सकते हैं और समय रहते इनकी जांच व इलाज संभव है.
राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के मेडिकल ओंकोलॉजी डायरेक्टर डॉ विनीत तलवार बताते हैं कि अगर आप किसी भी समस्या का 3-4 हफ्ते से इलाज करा रहे हों और स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है, तो गंभीरता से जांच करानी चाहिए.
मस्कूलोस्केलेटल ओंकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ मनीष प्रूथी कहते हैं, "लोगों के जीवन को सुरक्षित करने और युवाओं के अंगों की सुरक्षा के लिए हड्डियों और सॉफ्ट टिश्यू के कैंसर सारकोमा के बारे में जागरुकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है. हालांकि इसके मामले बहुत कम सामने आते हैं, लेकिन हड्डियों और सॉफ्ट टिश्यू का यह कैंसर बहुत कम उम्र में शिकार बनाता है.”
डॉ प्रूथी कहते हैं कि इसलिए अगर हाथ-पैरों में लगातार दर्द या सूजन लगे, तो सारकोमा विशेषज्ञ से कंसल्ट कर लेना चाहिए.
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Published: 06 Apr 2019,07:23 PM IST