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पिछले साल में, भारत सरकार के कॉफी बोर्ड के अनुसार, देश में कॉफी उत्पादन के लिए मॉनसून पूर्व पैदावार का अनुमान 3,19,500 मीट्रिक टन रखा गया था. इसमें दोनों अरेबिका के साथ-साथ रोबस्टा प्रकार की कॉफी भी शामिल थी. अब, हम किससे मजाक कर रहे हैं? यह बहुत ज्यादा कॉफी है. जबकि टीयर- II और III शहरों में चाय की अच्छी मांग है, शहरी भारत में कॉफी का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है.
जब हम एक के बाद एक कई कप कॉफी पी जाते हैं, तो क्या कभी ये सोचते हैं कि असल में शरीर पर इसका क्या प्रभाव होता है?
कैफीन एक प्राकृतिक पदार्थ है, जो चाय और कॉफी दोनों में पाया जाता है. इसे पौधों से निकाला जाता है. डाइट में न्यूट्रिशन के रूप में इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है. एक औसत वयस्क हर दिन लगभग 8 औंस या 240 मिलीलीटर या लगभग तीन कप कॉफी पी सकता है. इसे मीडियम मात्रा में कैफीन माना जाएगा. एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके ऊपर कुछ भी रेकमेंडेड नहीं है.
एक स्टडी इस तरफ इशारा करती है कि कैफीन भी एक प्रकार की दवा है, जो अलर्टनेस को बढ़ाती है और स्टिमुलेंट्स की कैटेगरी में आती है.
मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली में कंसल्टेंट न्यूट्रिशनिस्ट मंजरी चंद्रा कहती हैं:
आपने बस कॉफी का एक कप गटका, आगे क्या, आपको आश्चर्य होगा? इस रिपोर्ट के अनुसार, इसमें मौजूद कैफीन पहले 15 मिनट के भीतर काम करना शुरू करेगा और फिर 30-60 मिनट के बीच अपने चरम पर पहुंच कर कुछ भी करने में सक्षम होगा.
कैफीन पेट और छोटी आंत के जरिए ब्लडस्ट्रीम में प्रवेश करती है और फिर लगभग कुछ घंटों के लिए शरीर में घूमती रहती है. यह बॉडी में एडेनोसिन (नींद लाने वाला पदार्थ) रिसेप्टर को ब्लॉक करके नींद को रोक देती है.
स्टडीज में आगे बताया गया है कि जब आप आमतौर पर नींद महसूस करते हैं, ऐसे में कॉफी आपकी नींद और बॉडी क्लॉक को महत्वपूर्ण तरीके से बाधित कर सकती है. ऐसा गहरी नींद के घंटों में कटौती या बस बेचैनी वाली नींद के कारण होता है. एक अन्य स्टडी ने इसका समर्थन किया और कहा कि सोने से 6 घंटे पहले भी कैफीन का सेवन करने से लगभग एक घंटे की नींद में कटौती हो सकती है.
हालांकि कैफीन के प्रति आपकी बॉडी कैसे रिएक्ट करती है, यह अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होगा. जबकि कुछ लोग एक कप कॉफी के बाद कुछ घंटों के लिए रुकते हैं, वही कुछ लोग बिना किसी चिंता के तुरंत दूसरी बार भी कॉफी पी लेते हैं.
उदाहरण के लिए, इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में कॉलेज के 50 छात्रों को कैफीन की खपत और इसने उनकी नींद को कैसे प्रभावित किया, इसका रिकॉर्ड रखने के लिए कहा गया. ऑब्जर्वेशन से यह निष्कर्ष निकला कि वे पहले से ही इतने थके हुए और नींद से वंचित थे कि वे सो जाते थे, कॉफी पीने का उन पर कोई असर नहीं देखा गया.
हालांकि, नींद की कमी के अलावा, कई अन्य कारक हैं जो एक व्यक्ति पर कॉफी के प्रभाव को निर्धारित करते हैं.
जेंडर अपना रोल प्ले करता है. आंकड़े बताते हैं कि जो लोग खुद को कॉफी पर निर्भर मानते हैं, इनमें महिलाओं में नींद पर इसके प्रभावों से निपटने में समय लगता है. इसके अतिरिक्त, कॉफी पीने पर एक दिन भी संयम रखने से नींद को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. भले ही लोगों ने कॉफी को डिकैफिनेट किया हो, लेकिन आगे भी यह देखा गया है.
जेंडर फैक्टर के साथ, आपकी बॉडी पर कैफीन के प्रभाव को निर्धारित करने वाले अन्य कारकों में उम्र, संवेदनशीलता, जेनेटिक मेकअप और कॉफी पीने का समय शामिल है.
इस स्टडी के अनुसार, आपकी नींद पर कैफीन का प्रभाव इससे भी निर्धारित होता है कि आपने पूरे दिन के दौरान और सोने से पहले कितना कैफीन लिया है. जबकि उपर्युक्त स्टडीज में नींद के घंटों के संदर्भ में संख्याओं का उल्लेख है, जो कैफीन बाधित करता है. लेकिन इसका किस हद तक प्रभाव पड़ता है, इस पर जानकार पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहते हैं.
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Published: 13 May 2019,03:12 PM IST