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सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखे फोड़ने की समय सीमा बताई, ट्रकों की एंट्री पर बैन बढ़ाया गया, कंस्ट्रक्शन और कई उद्योंगो पर रोक लगाई गई और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर प्रतिबंध के बावजूद लगातार दूसरे साल दिल्ली में एयर पॉल्यूशन का लेवल काफी हाई है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट कहती है कि गैर संक्रामक बीमारियों के खतरे की मुख्य वजह वायु प्रदूषण है.
सीओपीडी फेफड़ों के रोगों का समूह है, जैसे एम्फीसेमा, क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस और रीफ्रैक्टरी (नॉन-रिवर्सिबल) अस्थमा, जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है और सांस गहरी हो जाती है.
नई दिल्ली में बीएलके सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के छाती और श्वसन रोग केंद्र के डायरेक्टर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ संदीप नायर ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के नागरिक एक बार फिर वायु प्रदूषण और स्मॉग से जूझ रहे हैं.
डॉ नायर कहा, " COPD का विकास धीमी गति से होता है, लेकिन यह रोग ठीक नहीं होता है और इसके कारण होने वाली मौत की दर उच्च है.”
रोगियों को इन लक्षणों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, जैसे:
डॉ नायर ने बताया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को सीओपीडी का अधिक खतरा होता है. COPD से पीड़ित महिलाओं को अधिक क्षति भी होती है और वह अधिक स्वास्थ्य रक्षा संसाधनों का इस्तेमाल करती हैं. सीओपीडी की महिला रोगियों में इससे जुड़ी दूसरी बीमारियां होने की आशंका भी ज्यादा होती है, जैसे एंग्जाइटी और डिप्रेशन.
हिंदुजा हॉस्पिटल, मुंबई के चेस्ट फीजिशियन कंसल्टेंट डॉ अशोक महासुर ने कहा:
डॉ अशोक महासुर ने कहा, "सीओपीडी के रोगियों की लंबे समय तक देखभाल के लिए गहरी सांस की रोकथाम जरूरी है. यह रोग जीवन की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है और रोग बढ़ने से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है. इसके गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और रोगी की मौत भी हो सकती है."
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Published: 21 Nov 2018,11:45 AM IST