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इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका परिवार शाकाहारी है या मांसाहारी या फिर आप भारत में रहते हैं या मैक्सिको में - आपके रसोईघर में धनिया निश्चित रूप से मिलेगा!
धनिया, जिसे सीलेंट्रो या चाइनीज पार्सले (अजमोद) के नाम से भी जाना जाता है, को वानस्पतिक रूप से कोरिएंडरम साटियम कहा जाता है. यह कोई साधारण पौधा नहीं है- यह लगभग 5000 ईसा पूर्व में था. वास्तव में यह उन पौधों में से एक है, जो बेबीलोन के पौराणिक हैंगिंग गार्डन में उगते थे. धनिया एक ऐसा पौधा है, जिसका सब कुछ इस्तेमाल किया जाता है; पत्तियों से लेकर बीज तक.
धनिये के बीज वास्तव में सूखी धनिया के फल हैं, जो छोटे से बीज की तरह होते हैं. इसकी गोल्डन ब्राउन रंग की बाहरी सतह पर छोटी लकीरें होती हैं और अंदर का हिस्सा खोखला होता है; इस खाली हिस्से में औषधीय गुणों वाला तेल होता है जो इसे खास सुगंध और स्वाद देता है.
धनिये के बीज का मुख्य इस्तेमाल खाना पकाने में होता है, जिसमें दुनिया के सभी प्रमुख व्यंजन शामिल हैं. खाने के अलावा धनिये का इस्तेमाल आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है- यह काश्यम नाम के आयुर्वेदिक औषधीय पेय के मुख्य अवयवों में से एक है.
धनिये के बीज में विटामिन कम होता है, लेकिन इसमें फाइबर, कैल्शियम, मैंगनीज, विटामिन-सी और आयरन भरपूर होते हैं. इसमें भरपूर एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं, जो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं.
यहां धनिये के बीज के कुछ स्वास्थ्य लाभ दिए गए हैं.
भारी मात्रा में डाइटरी फाइबर के कारण, धनिया आंत की क्रियाओं को नियमित करके भोजन को पाचन तंत्र से गुजरने में आसानी पैदा करता है. बीज का एंटी-ऑक्सिडेंट गुण पाचन के तरल पदार्थ के स्राव को आसान बनाता है. इससे से भी बढ़कर यह कि, धनिये के बीज पाचन तंत्र की मांसपेशियों को आराम देते हैं और दर्द व गैस से राहत देते हैं.
धनिये के बीज के सबसे पुराने उपयोगों में से एक है फूड प्वॉइजिंग को रोकना. इसमें पाया जाने वाला यौगिक डोडेसेनल खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों, विशेष रूप से साल्मोनेला के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं की तुलना मेंअधिक प्रभावी पाया गया है.
धनिये के बीज में कैल्शियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे हड्डियों के लिए फायदेमंद खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं. ये हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं, बीमारी के बाद रिकवरी में मदद करते हैं और साथ ही हड्डियों से जुड़ी बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस को रोकते हैं.
धनिया के एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की हालत में सुधार के लिए बहुत मददगार होते हैं. ये चकत्ते, एक्जिमा, रूखापन और खुजली जैसी आम त्वचा की समस्याओं का सामना करने में मदद करते हैं. बीज में मौजूद लाइनोलिक एसिड त्वचा की किसी भी तरह की खुजली को शांत करने में मदद करता है. एंटी-ऑक्सिडेंट बारीक लाइनों और झुर्रियों जैसे समय से पहले उम्र बढ़ने की निशानियों से रोकने में मदद करते हैं.
पुराने जमाने में धनिये के बीज मुंह की दुर्गंध रोकने और सांसों में ताजगी पैदा करने के लिए चबाए जाते थे. लेकिन इसके अलावा भी इसके फायदे कहीं ज्यादा हैं क्योंकि बीज में मौजूद सिट्रोनेलोल मुंह के घावों और छालों को ठीक करने में मदद करता है. कई प्राकृतिक टूथपेस्ट ब्रांडों में धनिये के बीज के एंटीसेप्टिक गुणों के कारण इसे मिलाया जाता है.
आयुर्वेद में धनिये के बीजों का इस्तेमाल ब्लड शुगर में अचानक बढ़ोतरी को रोकने के लिए किया जाता है, जिससे यह डायबिटीज का मुकाबला करने या रोकने में उपयोगी है. बीज में ऐसे यौगिक होते हैं, जो रक्त में इंसुलिन का एहसास पैदाकरते हैं, जिससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रण में रहता है.
इन छोटे बीजों को मासिक धर्म की समस्याओं ठीक करने में इनके योगदान के लिए जाना जाता है. बीज में ऐसे यौगिक होते हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों को सक्रिय करते हैं, जिससे उन्हें हार्मोन का उचित संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है. इसके नतीजे में यह सूजन, मासिक धर्म के दौरान ऐंठन, अत्यधिक प्रवाह और अनियमित चक्र को कम करता है.
धनिये के बीज त्वचा के साथ ही बालों के भी अच्छे दोस्त हैं. वे दो तरीकों से काम करते हैं- बालों के रोम छिद्रों को मजबूत कर और बालों को झड़ने से रोक कर और इसके साथ ही बालों के उगने के लिए स्कैल्प को स्टिमुलेट करके.
धनिये के बीज साबुत या पिसे हुए खरीदे जा सकते हैं, वैसे चूंकि पाउडर का स्वाद जल्द खत्म हो जाता है, इस वजह से साबुत को ही ज्यादा पसंद किया जाता है. ऊंची गुणवत्ता वाले धनिये के बीज की अंगुलियों से मसल कर पहचान की जा सकती है- इसका स्वाद हल्का तीखा होना चाहिए. हल्के हरे रंग के बीज खरीदने से बचें- ये काफी कड़वे हो सकते हैं.
अगर आप अपनी जड़ी बूटियों को खुद उगाना पसंद करते हैं, तो इसे भी आजमा लें. धनिया को अपने ही घर में उगाया और तैयार किया जा सकता है, बशर्ते कि पर्याप्त धूप हो. पौधे को नमी और पानी की अच्छी निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है, जिसके चारों ओर लगभग 6-8 इंच का अंतर होना चाहिए. बुवाई के लगभग 45 दिनों बाद, जब बीज हरे होते हैं और उनसे छोटी सी डंठल जुड़ी होती है, तो इन्हें हासिल किया जा सकता है. कटे हुए बीजों को बांस पेपर के लिफाफे में गोल्डेन ब्राउन रंग का होने तक रखा जा सकता है, जिसके बाद उन्हें एक एयरटाइट कंटेनर में भरा जा सकता है.
धनिया के बीज को अगर ठंडी, धूप ना आने वाली जगह में जमा किया जाता है, तो ये कई महीनों तक सही रह सकते हैं. पिसी हुई धनिया को रेफ्रिजरेटर में रखना बेहतर होता है और जल्द से जल्द ताजा रहते हुए इस्तेमाल कर लिया जाता है.
यह चाय गैस, आईबीएस ऐंठन और आम अपच जैसी पाचन समस्याओं के लिए बहुत अच्छी है. चाय को गर्म करके पीएं और अच्छे नतीजे के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले बीजों का ही इस्तेमाल करें.
धनिये के पानी के कई फायदे हैं. यह वजन घटाने और त्वचा व बालों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ डायबिटीज को भी काबू में रखने में मदद करता है.
धनिया के बीज एंटी इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द को दूर करने में मदद करता हैं और उन्हें फिर से सक्रिय महसूस कराता है.
यह हेयर ऑयल स्कैल्प को पोषण देने में मदद करता है और ज्यादा बालों के विकास के लिए बालों के रोम छिद्रों को सक्रिय करता है.
यह मास्क त्वचा को मुलायम और मॉइस्चराइज करने के साथ ही कील-मुंहासों से निपटने में मदद करता है जबकि हल्दी चेहरे की चमक बढ़ाती है.
नोट:
(प्रतिभा पाल ने अपना बचपन ऐसी शानदार जगहों पर बिताया है, जिनके बारे में सिर्फ फौजियों के बच्चों ने ही सुना होगा. वह तरह-तरह की किताबों को पढ़ते हुए बड़ी हुई हैं. प्रतिभा जब अपने पाठकों के साथ शेयर करने के लिए कोई DIY रेसिपी तैयार करने का काम नहीं कर रही होती हैं, तब वह सोशल मीडिया पर अपनी लेखन कला का जादू बिखेर रही होती हैं. आप उनके ब्लॉग www.pratsmusings.com पर पढ़ सकते हैं या उनसे @myepica पर ट्विटर पर संपर्क करसकते हैं.)
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Published: 29 Apr 2019,12:29 PM IST