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9 राज्यों में कोरोना का ज्यादा खतरा, टॉप 5 जिलों में 4 बिहार के

लैंसेट की रिपोर्ट में कोरोना के कारण इन जिलों के कमजोर पड़ने की आशंका

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भारत के 640 जिलों में से 627 (98%) जिलों में कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं
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भारत के 640 जिलों में से 627 (98%) जिलों में कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं
(फोटो: iStock/फिट)

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भारत ने आधिकारिक तौर पर शुक्रवार, 17 जुलाई 2020 को कोरोना के मामलों में 10 लाख का आंकड़ा पार कर लिया. दुनिया भर में सबसे ज्यादा COVID-19 वाले देशों की बात करें, तो भारत तीसरे नंबर पर है.

भारत में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं.

मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट बताती है कि भारत के 640 जिलों में से 627 (98%) जिलों में कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं.

इनमें कौन से जिले हैं, जो कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं या ज्यादा असुरक्षित हैं? लैंसेट की रिपोर्ट इस सिलसिले में वल्नरबिलिटी इंडेक्स पेश करती है यानी देश के कौन से जिले इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं न सिर्फ संक्रमण के मामलों में बल्कि कोरोना के कारण हर तरह के असर से.

इस रिपोर्ट के मुताबिक नौ बड़े राज्यों- बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और गुजरात में कई जिलों - पूर्वोत्तर को छोड़कर देश के लगभग हर क्षेत्र में वल्नरबिलिटी हाई (इंडेक्स वैल्यू 0.75 से अधिक) पाई गई.

लैंसेट का यह भी कहना है कि वो प्रभावित होने वाले अगले राज्यों पर भविष्यवाणी नहीं कर रहा बल्कि भारत के जिलों में हालात का आकलन किया गया है, यह देखने के लिए कि वे COVID-19 मामलों में वृद्धि के कारण सामने आने वाले हालात संभालने के लिए कितने तैयार हैं.

जैसा कि भारत अनलॉक की राह पर है, हम हर रोज सबसे अधिक नए मामलों का सामना कर रहे हैं. वहीं देश में कोरोना के प्रकोप का खतरा कई वजहों से ज्यादा है:

  • ज्यादा आबादी

  • सोशल डिस्टेन्सिंग की चुनौती

  • शहरी क्षेत्रों घनी आबादी

  • हाथ धोने के लिए पानी और साबुन की कमी

  • क्रोनिक मॉर्बिटीज वाले लोगों की ज्यादा तादाद

  • गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली आबादी

  • रोजी-रोटी के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले माइग्रेंट वर्कर्स

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अभी के लिए, प्रसार बड़े, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हो रहा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि COVID-19 मामलों के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैलने की आशंका है.

रिपोर्ट में पांच डोमेन के माध्यम से जिलों की वल्नरबिलिटी की गणना की गई है: सामाजिक आर्थिक, जनसांख्यिकीय, आवास और स्वच्छता, महामारी विज्ञान और स्वास्थ्य प्रणाली यानी हेल्थकेयर सिस्टम.

कौन से जिले कोरोना महामारी को झेलने में सबसे कमजोर?

  1. दरभंगा (बिहार)

  2. सीतापुर (यूपी)

  3. समस्तीपुर (बिहार)

  4. सारण (बिहार)

  5. सीहोर (बिहार)

  6. झाबुआ (मध्य प्रदेश)

  7. वैशाली (बिहार)

  8. सहरसा (बिहार)

  9. बलरामपुर (यूपी)

  10. देवघर (झारखंड)

  11. सागर (मध्य प्रदेश)

  12. अलीराजपुर (मध्य प्रदेश)

  13. बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)

  14. हरदोई (उत्तर प्रदेश)

  15. मुंगेर (बिहार)

  16. चित्रकूट (उत्तर प्रदेश)

  17. संतकबीर नगर (उत्तर प्रदेश)

  18. करौली (राजस्थान)

  19. खगड़िया (बिहार)

  20. सतना (मध्य प्रदेश)

इन जिलों में फिलहाल कोरोना के बहुत ज्यादा मामले नहीं हैं, लेकिन यहां इस महमारी का काफी गहरा असर पड़ सकता है.

0.75 से अधिक वल्नरबिलिटी इंडेक्स वाले 9 राज्यों में पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र है.

उत्तर-पूर्व के क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तर में पहाड़ी क्षेत्रों में वल्नरबिलिटी कम बताई गई है.

आंकड़ों के अनुसार, 17 जून, 2020 तक, “भारत में आठ राज्य हैं जिन्होंने देश में पुष्टि किए गए COVID-19 के मामलों में 80% से अधिक योगदान दिया है - महाराष्ट्र (115650 [33%]), दिल्ली (50278 [14%]), तमिलनाडु (47366 [13%]), गुजरात (25577 [5%]), राजस्थान (16799 [7%]), उत्तर प्रदेश (14229 [4%]) पश्चिम बंगाल (12127 [3%]), और मध्य प्रदेश (10751 [3%]). इन आठ राज्यों में से, पांच राज्यों में ओवरऑल वल्नरबिलिटी इंडेक्स वैल्यू (0·771 से 1·000 तक) और बाकी तीन राज्यों में मीडियम वल्नरबिलिटी (0·514 से 0·686 तक) थी.

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Published: 17 Jul 2020,08:06 PM IST

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