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आज के दौर में भारतीय लोग अपने दिमाग को स्वस्थ और शांत रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार 2015 में 5.5 करोड़ भारतीय अवसाद (डिप्रेशन) से ग्रस्त थे.
ये तादाद मौजूदा समय में मनोवैज्ञानिक मदद की जरूरत पर जोर देती है. ऐसे में महत्वपूर्ण है कि आपके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल का निवेश सुरक्षित हाथों में हो. लेकिन पेशेवर परामर्शदाता, थेरेपी या मनोवैज्ञानिक मदद हासिल करना कोई आसान काम नहीं है. इसलिए जब आपको मदद की जरूरत हो, तो कैसे और कहां से शुरुआत करें?
सबसे पहले परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक के बीच अंतर जानना जरूरी है. रोगी की स्थिति से यह निर्धारित होता है कि उसे इनमें से किसकी जरूरत है. ऐसी कुछ बातें हैं, जिससे तीनों के बीच अंतर किया जा सकता है.
काउंसलरः भारत में सभी काउंसलर या परामर्शदाता को कम से कम साइकोलॉजी में मास्टर्स या बीए की डिग्री लेना अनिवार्य है. यह परामर्श और इलाज बता सकते हैं, लेकिन दवा नहीं लिख सकते हैं .
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट (मनोवैज्ञानिक): नई दिल्ली के एक प्रमुख मनोचिकित्सक डॉ. समीर मल्होत्रा बताते हैं कि एक मनोवैज्ञानिक के पास मनोविज्ञान में बीए, मास्टर्स और रिसर्च की डिग्री होनी चाहिए, जैसे एम.फिल. एक मनोवैज्ञानिक प्रायः रोगियों में घबराहट, उदासीनता, भय, दमन व अन्य चीजों का इलाज करता है. लेकिन सिर्फ साइकोथेरेपी के जरिये. वो कभी दवा नहीं लिख सकता है.
साइकाइट्रिस्ट (मनोचिकित्सक): मेडिकल डॉक्टर के रूप में एक मनोचिकित्सक आंतरिक शारीरिक प्रक्रिया और मनोविज्ञान से मानसिक विकारों का अध्ययन करता है. यह मनोवैज्ञानिकों के व्यवहार विश्लेषण से अलग होता है. जैसा डॉ. राणा पारेख इस लेख में कहते हैः
डॉ मल्होत्रा कहते हैं कि एक मनोचिकित्सक के पास एमडी या इसके समकक्ष पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के साथ एमबीबीएस की डिग्री होनी चाहिए. ये इलाज में साइकोथेरेपी के साथ ही दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही मस्तिष्क का अध्ययन और क्लीनिकल सिंड्रोम का पूरा इलाज करते हैं.
इन तीनों में से सिर्फ मनोचिकित्सक ही दवा लिख सकता है. हालांकि, परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक तीनों ही मिल कर काम करते हैं. विशेषकर भारत जैसे देश में जहां देश की आबादी और जरूरत के अनुपात में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की संख्या पर्याप्त नहीं है.
निश्चित रूप से तीनों के पास नहीं जाया जा सकता है. लेकिन किसके पास से शुरुआत की जाए यह मानसिक समस्या के चरण और उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है. इसके परिणामस्वरूप जब मदद की जरूरत हो, तब काउंसलर से शुरुआत करना ठीक होगा.
रजनीलता (बदला हुआ नाम), जो पिछले तीन साल में तीन मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट (दो भारत और एक यूके में) से इलाज करा चुकी हैं, कहती हैं:
जब अंततः आप मनोचिकित्सक के पास पहुंच जाएं, तो कई बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना होता है.
ये सभी नियम और सलाह आपको मुश्किल लग सकते हैं, लेकिन यह न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए यह महत्वपूर्ण है बल्कि इसके लिए पूरी तरह से तैयार होना जरूरी है. एक बार यह हो जाने पर बाकी सब ठीक ही होगा.
(इनपुट- Psychology Today)
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Published: 11 Sep 2018,12:54 PM IST