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COVID-19 का आंत के स्वास्थ्य पर पड़ता प्रभाव

आपके पेट के स्वास्थ्य पर COVID-19 का गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

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<div class="paragraphs"><p>Covid 19 हमारे आंत के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता&nbsp;</p></div>
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Covid 19 हमारे आंत के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता 

(फोटो:iStock)

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COVID-19 मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, नए रिसर्च से पता चलता है कि आंत के स्वास्थ्य सहित अन्य अंगों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है.

किंग्स कॉलेज लंदन के एक अध्ययन के अनुसार COVID-19 के कारण स्मॉल इंटेस्टाइन में गंभीर परेशानियां देखी गई हैं.

माइक्रोबियल कम्युनिटीज की बनावट को नियंत्रित करने वाला सिस्टम - जिसे पीयर्स पैच कहते हैं - COVID-19 से पीड़ित रोगियों में गंभीर रूप से बाधित था.

पीयर्स पैच छोटी आंत में लिम्फोइड फॉलिकल्स के समूह होते हैं. ये छोटी आंत के म्यूकस मेम्ब्रेन में मौजूद होते हैं. इनमें डिसरेग्युलेशन देखा गया, चाहे वायरस का प्रवेश आंत में हुआ हो या नहीं.

आंत और COVID-19 इम्यूनिटी

COVID-19 और ऑल्टर्ड गट-फंक्शन के बीच के लिंक का अध्ययन पहले भी किया गया है.

ज्यादातर गंभीर COVID-19 में सांस लेने में समस्या और तेज बुखार हो सकता है, लेकिन कुछ रोगियों को दस्त, मतली और उल्टी का अनुभव भी हो सकता है, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में डिसरप्शन की ओर इशारा करता है.

"गंभीर COVID-19 में, आंत का स्वास्थ्य बाधित होता है, चाहे आंत स्वयं वायरस से संक्रमित हो या नहीं, और इससे आंतों की माइक्रोबियल आबादी में भी गड़बड़ी होती है."
जो स्पेंसर, प्रोफेसर, किंग्स कॉलेज लंदन

‘फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलॉजी’ में प्रकाशित एक अध्ययन में महामारी की पहली लहर में COVID-19 से मरने वाले रोगियों के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के सैम्पल्स का विश्लेषण किया गया.

अध्ययन के अनुसार पीयर्स पैच के स्ट्रक्चर और सेल्यूलैरिटी में बदलाव पाया गया और यह वायरस की स्थानीय एकाग्रता पर निर्भर नहीं था.

COVID-19 का आंत के स्वास्थ्य पर लॉन्ग-टर्म प्रभाव 

आंत पर वायरस के लॉन्ग-टर्म प्रभाव में जर्मिनल केंद्रों की कमी शामिल है, जो आमतौर पर एंटीबॉडी उत्पादक कोशिकाओं का प्रसार करते हैं.

आंत में लिम्फोइड टिशू सामान्य रूप से स्वस्थ आंतों की माइक्रोबियल आबादी को बनाए रखता है, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है.

परिणामस्वरूप खराब लोकल-इम्यूनिटी आंत में माइक्रोबियल डाइवर्सिटी में कमी ला सकती है, जिसे डिसबाइओसिस के रूप में जाना जाता है.

शोधकर्ताओं ने यह भी नोट किया कि यदि रोगी पहले से ही बीमार है, तो मौखिक टीकाकरण प्रभावी नहीं हो सकता है, क्योंकि आंत प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही संक्रमित हो चुकी है.

"भविष्य में गंभीर इन्फ्लेमेटरी रेस्पॉन्स में लिम्फोइड टिशू डिसरेग्युलेशन को बढ़ावा देने वाले कारकों को समझना महत्वपूर्ण होगा," स्पेंसर ने कहा.

(आईएएनएस से इनपुट्स के साथ)

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