advertisement
डॉ सुमित रे नई दिल्ली की होली फैमिली हॉस्पिटल में मेडिकल सुप्रिटेंडेंट हैं.
क्विंट की टीम ने 12 मई को होली फैमिली हॉस्पिटल आईसीयू का दौरा किया, उस दिन दिल्ली में कोरोना वायरस के 12,000 से कम नए मामले आए थे. 6 हफ्तों में पहली बार, आमतौर पर बहुत व्यस्त रहने वाला हॉस्पिटल का इमरजेंसी रूम लगभग खाली था. अचानक आने वाले मरीजों को बेड और तत्काल देखभाल मिल रही थी.
जिन लोगों को आईसीयू बेड की जरूरत थी, उन्हें पास के अन्य अस्पतालों में ले जाया जा रहा था. होली फैमिली में 56 आईसीयू बेड की क्षमता है लेकिन 66 मरीज भर्ती थे. बेड के बीच में बेड लगाए गए थे ताकि मरीजों के लिए जगह बनाई जा सके.
फिलहाल, दिल्ली में नए मामलों की संख्या में कमी आई है. लेकिन आईसीयू के डॉक्टरों और नर्सों को चैन की सांस लेने में अभी और वक्त लगेगा, जो उन्होंने देखा है उससे जूझने के लिए लंबा समय चाहिए.
जैसे-जैसे सर्ज कमजोर होगा मामले नीचे आ सकते हैं लेकिन डॉ रे इस बात को लेकर चिंतित हैं जो इस महामारी ने युवा डॉक्टरों और नर्सों के साथ किया है.
वो कहते हैं- सभी बेहाल हैं क्योंकि मेडिसिन में लोग अपनी पर्सनैलिटी के हिसाब से स्पेशिएलिटी चुनते हैं. लेकिन इस वक्त सभी एक ही स्थिति का सामना कर रहे हैं. एक दूसरा चैलेंज है कि हमें इन बुरे हालात में लगातार मनोबल बढ़ाए रखना है.
10 सालों से काम कर रहीं नर्स तेंजिंग कहती हैं कि कोरोनावायरस की पहली लहर में बुजुर्गों की जान जा रही थी, हम उन्हें नहीं बचा पा रहे थे. लेकिन इस लहर की डरावनी बात ये है कि हम अपने उम्र के मरीजों को दम तोड़ते देख रहे हैं.
हम जब तक ICU में थे, हमने देखा कि तेंजिंग कैसे गंभीर मरीजों की देखभाल कर रही हैं. मरीजों को आखिरी बार अपने परिवार से बात कराने में मदद कर रही हैं.
होली फैमिली हॉस्पिटल के डायरेक्टर फादर जॉर्ज अस्पताल कर्मियों को 'फरिश्ता' कहते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined