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Women's Day 2022 के अवसर पर फिट हिंदी ने ज्यादातर महिलाओं में होने वाली समस्या इम्पोस्टर सिंड्रोम (Impostor Syndrome) के बारे में गुरुग्राम स्थित फोर्टिस हेल्थकेयर के मेंटल हेल्थ की हेड, डॉ कामना छिब्बर से बातचीत की.
अपने मनपसंद जॉब के मिल जाने पर खुश होने की जगह अपनी सफलता पर शक करना या ये सोचना कि किस्मत ने साथ दे दिया, कॉलेज में अच्छे नंबर से पास करने पर, अपनी बुद्धिमत्ता पर शक करना, लोगों के सामने बोलने में संकोच करना, कोई तारीफ करे, तो खुद पर ही सवाल उठाने लग जाना.
खुद को बेकार या फ्रॉड समझना, हर समय मन में फेल हो जाने का डर सताना, हर काम को पर्फेक्शन में करने की चिंता में रहना, लोगों से मिलने जुलने में घबराहट महसूस करना जैसी अन्य भावनाएं अगर आप बार-बार महसूस करती हैं, तो हो सकता है कि आप इम्पोस्टर सिंड्रोम से जूझ रही हैं और यकीन मानें इस परिस्थिति से लड़ती हुई आप अकेली नहीं हैं.
“इम्पोस्टर सिंड्रोम को बीमारी नहीं कहा जा सकता है. एक टर्मिनॉलॉजी है ताकि इसके बारे में बात किया जा सके. यह पर्सनालिटी का एक हिस्सा हो सकता है, जिसमें अपने आपको ले कर डाउट्स हो सकते हैं. इसमें हो सकता है खुद को ले कर संकोच हो, ऐसा भी लग सकता है कि जितना लोग आपसे उम्मीद कर रहे हैं आप उतना अच्छा नहीं कर सकती हैं” ये कहना है डॉ कामना छिब्बर का.
व्यापक रूप से सफल होने के बावजूद, ये लोग खुद को धोखेबाज मानते हैं. यह कंडीशन पारिवारिक या व्यवहारिक हो सकती है. बचपन में हमेशा अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे उतरने का प्रेशर. हमेशा भाई-बहनों और दोस्तों से की गई तुलना का दुःख. लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए दूसरों से कम्पीट करने की भावना. इन सब बातों और दवाब के कारण मस्तिष्क में इम्पोस्टर सिंड्रोम पनप सकता है.
ये कुछ लक्षण हैं, जो इम्पोस्टर सिंड्रोम में देखे जा सकते हैं:
आत्मविश्वास में कमी
अपनी योग्यता औऱ क्षमता पर संदेह करना
ज्यादातर किसी सोच में डूबे रहना
सफल होने पर भी खुश नहीं होना
मन में हारने का डर रहना
हर काम को पर्फेक्ट करने में लगे रहना
लोगों के सामने बोलने में घबराहट महसूस करना
किसी एक नकारात्मक घटना की वजह से ये नहीं होता है बल्कि कई नकारात्मक घटनाओं की वजह से सेल्फ डाउट वाली परिस्थिति आती है. ये घटनाएं घर पर, दोस्तों के बीच में, ऑफ़िस में या कहीं भी हो सकती है.
इसकी कुछ वजहें ये सभी हो सकती हैं:
जिनका बचपन परिवार की पसंद-नापसंद के बीच या यूं कहें कि घर के लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरने की कोशिश में बीता है, वो इससे ग्रसित हो सकते हैं
नकारात्मक प्रतिक्रियाओं के कारण भी ये हो सकता है
इम्पोस्टर सिंड्रोम उन महिलाओं में अधिक आम है, जो पर्फेक्शनिस्ट होती हैं. वे पर्फेक्शन के लिए प्रयास करती हैं और जरा सी भी कमी को विफलता के रूप में देखती हैं. 'मैं गुड-इनफ नहीं हूँ' की भावना इनके अंदर घर कर गई होती है.
वे अकेली काम करने वाली होती हैं. 'यह मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता'. वे बहुत कुछ अपने ऊपर ले लेती हैं और उस पर खरे उतरने में आयी असमर्थता उन्हें हीन भावना के साथ छोड़ देती है.
खुद के लिए, खुद पर विश्वास लाने के लिए कुछ उपाय:
अपनी क्षमताओं को समझने की कोशिश करें
अपने आपको एक्सपोजर दें और उन अनुभवों को याद रखें, जिनसे आपके अंदर सकारात्मकता की भावना जागे
जब कभी भी आप सफल नहीं हो पाती हैं, तो याद रखें इंसान प्रयास कर के ही सीखता है
परफेक्शन की कोशिश न करें. इसके बजाय छोटे कदम उठाने और कार्यों को ठीक से पूरा करने में विश्वास रखें
बातों को मन में न रखें, खुल कर बातें करें, इससे जो सेल्फ डाउट वाली भावनाएं हैं, वो ठीक होने लग जाएंगी.
अपनी तुलना दूसरों से कर खुद को बेकार समझना बंद करें
इन कोशिशों के बावजूद भी अगर मनोदशा में कोई सुधार न हो, तो क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें.
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