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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ई-सिगरेट पर पूरी तरह से बैन लगाने का फैसला किया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि मोदी कैबिनेट ने बुधवार 18 सितंबर को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के प्रोडक्शन, इंपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी.
केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने कहा है कि मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट और इसी तरह के प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है क्योंकि ये प्रोडक्ट लोगों, खास तौर पर युवाओं की सेहत के लिए खतरनाक हैं.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव प्रीति सूदन ने बताया कि ई-सिगरेट या ई-हुक्का को पूरी तरह बैन किया गया है. ई-सिगरेट और ई हुक्का का प्रोडक्शन, इंपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन और बिक्री गैरकानूनी है.
आइए आपको बताते हैं कि ई-सिगरेट पर बैन लगाने के फैसले पर क्या है हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय.
हेल्थ एक्सपर्ट्स केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना कर रहे हैं. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) में हेल्थ प्रमोशन डिवीजन की डायरेक्टर डॉ मोनिका अरोड़ा कहती हैं, 'सरकार का ये कदम स्वागतयोग्य है क्योंकि इससे सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि काफी हद तक लोगों की हेल्थ प्रोटेक्ट हो सकती है.'
पारस हेल्थकेयर के एमडी डॉ धरमिंदर नागर के मुताबिक हेल्दी इंडिया के लिए हमें सभी तरह की स्मोकिंग और तंबाकू को खत्म करना चाहिए.
डॉ अरोड़ा बताती हैं कि जिन देशों में भी ई-सिगरेट के इस्तेमाल को मंजूरी मिली, वहां बच्चों में इसका यूज बढ़ता देखा गया है.
डॉ अरोड़ा ने बताया कि इंडिया में देखा जा रहा है कि ई-सिगरेट की जानकारी कॉलेज और स्कूल जाने वाले बच्चों को ज्यादा है जबकि रेगुलर तंबाकू यूजर्स इसका उतना इस्तेमाल नहीं कर रहे या उन्हें इसकी उतनी जानकारी नहीं है. बच्चों में ई-सिगरेट पॉपुलर करने के लिए काफी वेबसाइट्स हैं और बहुत से सोशल मीडिया चैनल्स हैं.
हिंदुस्तान में इसके असर को देखते हुए पहले हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से एडवाइजरी जारी की गई थी. स्टेट गवर्नमेंट्स ने इस पर बैन लगाया.
डॉ अरोड़ा कहती हैं कि ई-सिगरेट में निकोटिन होता है, जो एक साइकोएक्टिव ड्रग है. 25 साल से कम उम्र के लोगों के दिमाग पर निकोटिन का सीधा बुरा असर पड़ता है क्योंकि ब्रेन 25 साल तक डेवलप होता है. निकोटिन का दिमाग की क्षमताओं (रीजनिंग और कॉग्निटिव स्किल्स) पर प्रभाव पड़ता है.
डॉ नागर बताते हैं कि सेहत पर ई-सिगरेट के लॉन्ग टर्म असर को लेकर हमारे पास पर्याप्त रिसर्च नहीं है, हालांकि गुड स्मोक जैसी कोई चीज नहीं है, हर तरह का स्मोक बुरा होता है.
ऐसी कई स्टडीज जारी की गई हैं कि ई-सिगरेट तंबाकू की लत से छुटकारा दिलाने में मददगार होती है, हालांकि डॉ अरोड़ा और डॉ नागर इस बात से सहमत नहीं हैं.
डॉ नागर कहते हैं कि निकोटिन की मौजूदगी ई-सिगरेट को भी उतना ही नशीला बनाती है और कई युवा, जिन्होंने कभी स्मोकिंग नहीं की होती है, इसकी लत के शिकार हो सकते हैं.
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Published: 18 Sep 2019,07:37 PM IST