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मिर्गी दुनिया भर में सबसे आम न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में से एक है. मिर्गी से जुड़े कई भ्रम आम लोगों के बीच प्रचलित हैं, जिसके कारण मिर्गी के करीब तीन चौथाई मरीज इलाज से दूर रह जाते हैं.
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) में अचानक असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं, जिससे उसे दौरा पड़ता है और मरीज बेहोश हो जाता है. ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है और हर उम्र के मरीजों को अलग-अलग परेशानी हो सकती है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक दुनिया भर में करीब 5 करोड़ लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, जिनमें से 80% मरीज विकासशील देशों के हैं. भारत में मिर्गी के करीब 1 करोड़ मरीज हैं.
इंडियन एपिलेप्सी एसोसिएशन ने मिर्गी से जुड़े कई भ्रम और उनकी हकीकत के बारे में बताया है.
मिथ : मिर्गी बुरी शक्तियों के कारण होती है, इसलिए इसके इलाज में झाड़-फूंक की जरूरत होती है.
मिथ: मिर्गी एक पागलपन है और इसका इलाज पागलखाने में होना चाहिए.
मिथ: मिर्गी संक्रामक है, मिर्गी का दौरा पड़ते वक्त मरीज को छूने वाले व्यक्ति को भी दौरे पड़ने लगते हैं.
मिथ: मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज को हाथ में चाबी देने या प्याज सुंघाने से झटका रुक जाता है.
मिथ: मिर्गी की बीमारी ठीक नहीं होती.
मिथ: मिर्गी के अटैक के दौरान मरीज के मुंह में चम्मच डालना चाहिए.
मिथ: मिर्गी सिर्फ बच्चों को होती है.
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