मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रेबीज से हेपेटाइटिस तक: वयस्कों के लिए जरूरी हैं ये वैक्सीन

रेबीज से हेपेटाइटिस तक: वयस्कों के लिए जरूरी हैं ये वैक्सीन

अगर आपको यहां बताई गई वैक्सीन्स नहीं लगी हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

डॉ माला कनेरिया
फिट
Updated:
कुछ वैक्सीन्स वयस्कों के लिए आवश्यक हैं.
i
कुछ वैक्सीन्स वयस्कों के लिए आवश्यक हैं.
(फोटो: iStockphoto)

advertisement

सामान्य रूप से जब हम वैक्सीन्स के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में नवजात और बच्चों की छवि आती है. लेकिन टीके वयस्कों (Adults) और बच्चों के लिए समान रूप से बहुत जरूरी हैं. व्यस्कों के लिए वैक्सीनेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि कई बीमारियों के दुष्प्रभावों को वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है. किसी व्यस्क को कौन से वैक्सीन की जरूरत है, ये उसकी उम्र, पहले के टीकाकरण, हेल्थ कंडिशन, लाइफस्टाइल, काम और उसके द्वारा की जाने वाली यात्रा के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं.

एक वयस्क का वैक्सीनेशन या टीकाकरण बचपन में प्राप्त पिछले वैक्सीनेशन पर निर्भर करता है. बचपन में दिए गए कुछ वैक्सीन्स को यह सुनिश्चित करने के लिए बूस्टर की आवश्यकता होती है कि वे अभी भी सुरक्षा प्रदान करें.

अगर आपको यहां बताई जा रही वैक्सीन्स नहीं लगी हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

व्यस्कों को ये टीके लगवाने की सलाह दी जाती है:

Tdap वैक्सीन

(टेटनस टॉक्सॉयड, डिप्थीरिया टॉक्सॉयड और एसेल्युलर पर्टुसिस)

वैक्सीन टेटनस (लॉकजॉ) के लिए दी जाती है, जिससे मांसपेशियों में कसाव होता है और दर्द होता है. डिप्थीरिया से बचाव के लिए वैक्सीन भी दी जाती है, जहां गले के पीछे एक मोटी कोटिंग बनती है. पर्टुसिस (काली खांसी) को रोकने के लिए जिससे गंभीर खांसी होती है. इससे उल्टी और नींद खराब होती है. आमतौर पर वैक्सीन की 3 खुराक निर्धारित की जाती हैं. हर 10 साल के बाद बूस्टर की आवश्यकता होती है. यह टीका आमतौर पर गंभीर रूप से कटने और जलने की स्थिति में दिया जाता है.

इन्फ्लूएंजा वैक्सीन

यह वैक्सीन फ्लू के खिलाफ सुरक्षा के लिए निर्धारित है. यह वयस्कों के मामलों में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को दिया जाता है. इसकी 1 खुराक हर साल दी जानी होती है. चूंकि इन्फ्लूएंजा वायरस लगातार म्यूटेट होता है, हर साल एक नया बैच तैयार किया जाता है. इन्फ्लूएंजा के पीक सीजन की शुरुआत में अक्टूबर-नवंबर में एनुअल वैक्सीनेशन की सिफारिश की जाती है.

न्यूमोकोकल वैक्सीन

इस वैक्सीन का उपयोग बैक्टीरिया वाली बीमारी के खिलाफ रोकथाम के लिए किया जाता है, जो न्यूमोनिया और दूसरे ब्लड इंफेक्शन का कारण बनता है. वैक्सीन की 1 या 3 खुराक 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को दी जाती है. इसका इस्तेमाल वैक्सीन के प्रकार और लक्षण (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन और न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड वैक्सीन) के आधार पर निर्धारित किया जाता है.

जिन वयस्कों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत नहीं है, उन्हें MMR वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिलनी चाहिए.(फोटो: iStockphoto)

मीजल्स (खसरा), मंप्स और रूबेला (MMR)

ये वैक्सीन खसरा, गलसुआ और रूबेला बीमारी से बचाव के लिए है. इसकी 1 या 2 खुराक दी जाती है.

वैरिसेला जोस्टर वैक्सीन

ये टीका चिकन पॉक्स से बचाव के लिए दिया जाता है. जिन वयस्कों को बचपन में चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, उन्हें वैक्सीन की 2 खुराक 4 हफ्ते के गैप में लेनी चाहिए. ये वैक्सीन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चों की तुलना में वयस्कों में कॉम्पलिकेशन की दर बहुत अधिक होती है.

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी)

यह सबसे कॉमन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड वायरस है और जेनिटल वार्ट्स और इंफेक्शन का कारण बनता है. वैक्सीन की 3 खुराक 11 से 26 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं को और 11 से 21 वर्ष की आयु के बीच के पुरुषों को दी जाती है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हर्प्स जोस्टर

वैक्सीन को चिकनपॉक्स वायरस (वैरिसेला जोस्टर) के फिर से होने के केस में दिया किया जाता है. वायरस शरीर में एक दर्दनाक दाने का कारण बनता है. इसे आमतौर पर शिंगल्स के नाम से जाना जाता है. 60 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों को 1 खुराक दी जाती है.

हेपेटाइटिस B

वैक्सीन गंभीर लिवर इंफेक्शन को रोकने के लिए निर्धारित किया जाता है. ये लिवर को नुकसान पहुंचाने के साथ ही लिवर फेल होने का कारण बन सकता है. इस वैक्सीन की 3 खुराक दी जाती है.

हेपेटाइटिस A

यह एक अन्य प्रकार का वायरस है, जो गंभीर लिवर इंफेक्शन का कारण बनता है और ज्यादा इंफेक्शन वाला है. वैक्सीन के प्रकार के आधार पर वैक्सीन की 2 या 3 खुराक दी जाती है.

मेनिंगोकोकल वैक्सीन

यह वैक्सीन एक बैक्टिरियल इंफेक्शन को रोकने के लिए दी जाती है, जो मेनिंगजाइटिस और मेनिंगोकोकल रोग के अन्य रूपों का कारण बन सकता है. वैक्सीन की 1 खुराक की सलाह दी जाती है.

हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप B (HiB)

यह एक बैक्टीरियल बीमारी है, जो ब्रेन के डेडली इंफेक्शन का कारण बन सकती है और मेनिंगजाइटिस का प्रमुख कारण भी है. आमतौर पर इसकी 1 खुराक दी जाती है.

टाइफाइड

टाइफाइड की वैक्सीन ओरल और इंजेक्श दोनों रूप में उपलब्ध है. ओरल वैक्सीन की 3 खुराक एक-एक दिन छोड़कर दी जाती है और इंजेक्शन के जरिए सिर्फ 1 खुराक दी जाती है. हर 3 साल में इस टीके के लिए एक बूस्टर की सिफारिश की जाती है.

रेबीज

भारत में रेबीज से होने वाली मौतों का आंकड़ा हर साल 25 हजार से अधिक है. यह विश्व स्तर पर रेबीज की सबसे अधिक घटना है.(फोटो: iStockphoto)

पशुओं के काटने के कारण होने वाली रैबीज की रोकथाम वैक्सीन द्वारा की जा सकती है. वैक्सीन की 2 से 5 खुराक पिछले वैक्सीनेशन के आधार पर दी जाती है.

हैजा और जापानी इंसेफेलाइटिस के टीके की सिफारिश रूटीन बेसिस पर नहीं की जाती है.

वैक्सीनेशन के बाद, इससे पहले की प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी तैयार हो, दो से तीन सप्ताह की आवश्यकता होती है. इसलिए इस अवधि के दौरान एक्सपोजर, प्रोटेक्शन नहीं कर सकता है.

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि टीकाकरण 100% सुरक्षा प्रदान नहीं करता है. समय के साथ प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी का लेवल कम होने लगता है. इसलिए, अंतिम खुराक के बाद बीते समय के आधार पर, कुछ स्थितियों में बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है.

वैक्सीनेशन से इंजेक्शन लगने वाली जगह पर लालिमा, कोमलता या सूजन जैसे मामूली प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं. साथ ही हल्का बुखार भी हो सकता है, जो केवल एक या दो दिन तक रहना चाहिए.

लाइव एटेन्युएटेड इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (LAIV) जो एक नाक का स्प्रे है, एमएमआर वैक्सीन, वैरिसेला (चिकनपॉक्स) वैक्सीन और वैरीसेला जोस्टर वैक्सीन को प्रेगनेंसी के दौरान रोक दिया जाता है. डोज, वैक्सीन के टाइप और इनकी सलाह हाई रिस्क वाले व्यक्तियों में अलग-अलग होती हैं. जैसे कि क्रोनिक किडनी रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, क्रॉनिक लिवर डिजीज, स्प्लेनेक्टोमीकृत मरीज.

कुछ वैक्सीन्स की सिफारिश कुछ देशों में हज, उमराह और कुंभ मेले की यात्रा के दौरान की जाती है. इसके लिए एक डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए. वर्तमान में डेंगू, मलेरिया और एचआईवी का टीका उपलब्ध नहीं है.

संक्रामक रोगों से बचाव में वैक्सीन एक महत्वपूर्ण हथियार हैं. ये बीमारी और मृत्यु दर को रोकते हैं. वैक्सीनेशन के संबंध में सिफारिशों के लिए एक इंफेक्टियस डिजीज स्पेशलिस्ट से सलाह ली जानी चाहिए.

(डॉ माला कनेरिया जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कंसल्टेंट और संक्रामक बीमारियों की स्पेशलिस्ट हैं.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 30 Apr 2019,12:33 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT