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सोशल मीडिया पर हेल्थ से जुड़ा एक और मैसेज शेयर किया जा रहा है. इस बार कैंसर का इलाज बेकिंग सोडा से करने का दावा किया गया है.
जी हां, मैसेज में यहां तक कहा गया है कि किचन में रखे बेकिंग सोडा के आगे कीमोथेरेपी और कैंसर के इलाज की तमाम दवाएं भी कुछ नहीं है. इनसे भी तेज बेकिंग सोडा कैंसर को ठीक कर सकता है.
हवाला दिया जा रहा है एक स्टडी का, जिसे अमेरिकी रिसर्चर्स की टीम ने अंजाम दिया. इस दावे की सच्चाई जानने के लिए ‘फिट हिंदी’ ने बात की फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ जसकरण सेठी से.
पहले पढ़िए, क्या कहता है ये मैसेज:
डॉ सेठी के मुताबिक किसी भी तरह के कैंसर के इलाज के कई तरीके होते हैं. जैसे ब्लड कैंसर के मामले में दवाइयां ज्यादा प्रभावी होती हैं. डॉ शेट्टी बताते हैं कि रेडिएशन, सर्जरी और दवा के जरिए कैंसर को जड़ से खत्म भी किया जा सकता है.
बेकिंग सोडा को कैंसर की रामबाण औषधि बता दिए जाने पर डॉ शेट्टी कहते हैं कि ऐसी कोई स्टडी नहीं हुई है, जिसमें बेकिंग सोडा को कैंसर की दवा बताया गया हो.
डॉ सेठी के मुताबिक एल्कालाइन मीडियम में कुछ ट्यूमर की ग्रोथ धीमी पड़ जाती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि बेकिंग सोडा को कैंसर का इलाज मान लिया जाए.
‘कैंसर रिसर्च’ में साल 2009 में पब्लिश इस स्टडी में पाया गया था कि चूहों में बाइकार्बोनेट इंजेक्ट करने से ट्यूमर का पीएच लेवल घटा और मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ना धीमा पड़ा.
डॉ सेठी बताते हैं, बहुत बार कीमोथेरेपी के साथ ही Proton pump inhibitors (PPIs) दवाइयां आती हैं, ऐसे ट्रायल्स हैं जिनमें पाया गया कि इनके इस्तेमाल से कीमोथेरेपी का प्रभाव बढ़ जाता है. लेकिन ये कैंसर की दवा को रिप्लेस नहीं कर सकता है. ऐसा नहीं है कि इससे कैंसर सेल्स मर जाएंगे.
अब बात करते हैं उस स्टडी की, जिसका इस मैसेज में हवाला दिया जा रहा है, लेकिन तोड़-मरोड़कर. जी हां, एक प्रयोग जरूर किया गया, चूहों पर, उन्हें पानी में बेकिंग सोडा मिलाकर जरूर दिया गया. लेकिन इसमें भी बेकिंग सोडा को कैंसर की दवा नहीं कहा गया है, बल्कि ये कहा गया है कि बेकिंग सोडा कैंसर ट्रीटमेंट में इस्तेमाल थेरेपी में मददगार हो सकता है, इस पर आगे और प्रयोग करने की जरूरत है.
कैंसर कोशिकाओं में कुछ कोशिकाएं ऐसी होती हैं, जो क्विएसन्ट (quiescent) स्टेट में पहुंच जाती हैं. क्विएसन्ट स्टेट का मतलब है कि ये कोशिकाएं ग्रोथ नहीं करती हैं, किसी ड्रग को रेस्पॉन्ड नहीं करती हैं, डिवाइड नहीं करती हैं और वैसे के वैसे ही रह जाती हैं.
ऐसे सेल्स को ड्रग्स से खत्म करना मुश्किल होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैंसर की जो दवाएं होती हैं, वो उन कोशिकाओं को टारगेट करती हैं, जो विभाजित होती हैं.
इस स्टडी में कहा गया कि कोशिकाओं का विभाजन जिस प्रक्रिया के तहत होता है, वो प्रक्रिया एसिडिक कंडिशन से प्रभावित हो जाती है. इसलिए रिसर्चर्स की इस टीम ने बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट) का प्रयोग किया.
इस स्टडी में कहा गया है कि बेकिंग सोडा कैंसर ट्रीटमेंट में मददगार हो सकता है, लेकिन बेकिंग सोडा से कैंसर का ट्रीटमेंट हो सकता है, ऐसा बिल्कुल भी नहीं कहा गया है.
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Published: 06 Feb 2019,04:19 PM IST