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यह सच है कि उम्र के साथ पुरुषों और महिलाओं में बच्चे पैदा करने कि क्षमता कम हो जाती है. 35 साल तक की उम्र वाली महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता अधिक होती है और अधिक उम्र वाले पुरुष की तुलना में 40 साल से कम उम्र वाले पुरुषों में प्रजनन क्षमता अधिक होती है. इस तरह माता पिता दोनों के उम्र के हिसाब से गर्भावस्था की संभावना तय की जाती है.
बढ़ती उम्र का यह सच प्रजनन प्रक्रियाओं में बिन बुलाए मेहमान जैसी बाधा डालता है फिर वह प्रक्रिया प्राकृतिक हो या विशेषज्ञ द्वारा की जाने वाली आईवीएफ जैसी हो.
प्रजनन क्षमता (fertility) के हर पहलू पर उम्र का प्रभाव कैसे होता है, इसके कारण नीचे दिए गए है.
सभी महिलाओं के पास पैदाइशी 1 मिलियन एग्स होते हैं. जिसमें से 300,000 एग्स उनके युवावस्था तक कम हो सकते हैं. इस तरह वे 70% एग्स अपने युवावस्था मे ही खो देती हैं और बाकी बचे उनके प्रजनन जीवन के लिए इस्तेमाल होते हैं. इस तरह 50 साल तक 300,000 एग्स धीरे-धीरे कम होकर अंत में खत्म हो जाते हैं.
इसलिए अगर कोई महिला 37 साल की है, तो वह 37 साल कोशिका को ओव्यूलेट करने की कोशिश कर रही है. जैसे ये एग्स बड़े हो जाते हैं वे ओव्यूलेशन से ठीक 36 घंटे पहले क्रोमोसोमल डिवीजन से गुजरते हैं. यह प्रक्रिया बढ़ती उम्र की महिलाओं में असामान्य हो जाती है. जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे वैसे गर्भावस्था और प्रसव मे भी जटिलता बढ़ जाती है. संक्षेप में समझें, आपकी उम्र जितनी अधिक है, उतने पुराने आपके एग्स हो जाते हैं. इस वजह से उनमें क्रोमोसोमल कमियां होती हैं और उनकी गुणवत्ता में भी उतनी कमी आ जाती है.
अधिक उम्र वाले पुरुषों के स्पर्म आनुवंशिक स्तर पर कमजोर हो जाते हैं. कुछ मामलों में वह बच्चे के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं. उनके स्पर्म, अंडे फर्टिलाइज करने और गर्भावस्था सफल होने की क्षमता रखते हैं या नहीं इस के ऊपर सब निर्धारित होता है.
जो महिलाएं अधिक उम्र वाले पुरुष द्वारा गर्भवती होती हैं, उन में गर्भपात की आशंका कम उम्र वाले पुरुषों से गर्भाधान हुई महिलाओं से अधिक होती है. प्रौढ पुरुषों में स्पर्म उत्पादन का कार्य उम्र के कारण कम हो जाने से गर्भपात की समस्या बढ़ जाती है.
40 साल और उससे अधिक उम्र वाली महिलाओं का गर्भधारण प्रयास कम सफल होता है. क्योंकि उनके उम्र में, अंडकोष छोटे और नरम हो जाते है.
एग्स और स्पर्म में बढ़ती उम्र के साथ कई बदलाव होते हैं. जिससे हेरिडिटरी क्रोमोसोम में भी नुकसान हो सकता है. अधिक उम्र वाले माता-पिता के बच्चों में जन्म दोष और आनुवंशिक असामान्यताओं का खतरा अधिक होता है. 40 साल की उम्र से अधिक पिताओं के बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का थोड़ा अधिक जोखिम होता है.
इस विषय पर किए गए स्टडी के अनुसार 30 की उम्र की महिला के लिए क्रोमोसोमल/आनुवंशिक असामान्यता वाले बच्चे होने का जोखिम 400 में से लगभग 1 है और 40 की उम्र वाली महिला के लिए 100 में से 1 है.
यदि मां और पिता दोनों की उम्र 40 से अधिक है, तो गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है. गर्भावस्था और प्रसव में कम उम्र की महिलाओं की तुलना में बड़ी उम्र की महिलाओं में अधिक जटिलताएं होती हैं.
अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह, प्लेसेंटा प्रिविया, प्लेसेंटल एब्डॉमिनल, स्टिलबर्थ होने का खतरा ज्यादा होता है.
पुरुष और महिला के प्रजनन क्षमता में उम्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलीए जल्दी गर्भधारण से सफल गर्भावस्था और स्वस्थ बच्चे की संभावना अधिक होती है.
34-35 वर्ष आयु की महिलाओं के लिए, 10% कम संभावना है.
36-37 वर्ष आयु की महिलाओं के लिए, 11% कम संभावना है.
38-39 वर्ष आयु की महिलाओं के लिए, 30% कम सांभावना है.
40-41वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए यह संभावना 53% कम है.
जो जोड़े अपनी जिंदगी की बढ़ती उम्र वाले दौर मे बच्चा चाहते है, वे नीचे दिए गए विकल्प चुन सकते है:
एग या स्पर्म प्रीजरव्हेशन
एग और स्पर्म दाताओं से आईवीएफ
सरोगसी
अधिक उम्र के जोड़ों में स्पर्म और अंडे के उपयोग से आईवीएफ तथा आईआईटी जैसी प्रजनन प्रक्रिया भी जटिल हो जाती है.
(यह लेख डॉ हृषिकेश पाई, कंस्लटेंट गायनकॉलिजस्ट एंड इन्फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, लीलावती हॉस्पिटल-मुंबई, डी वाई पाटिल हॉस्पिटल-नवी मुंबई, फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली-गुड़गांव ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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