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भारत को अगर एक डायबीटिक देश कहा जाए तो गलत नहीं होगा, यहां करीब 6.5 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. इसके बावजूद 10 में से 9 लोगों का मानना है कि उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है.
डायबिटीज आमतौर पर दो तरह के होते हैं. हालांकि दोनों तरह के डायबिटीज में शुगर और ग्लूकोज को प्रॉसेस करने में हमारी बॉडी को दिक्कत होती है, लेकिन फिर भो दोनों एक-दूसरे से काफी अलग हैं.
टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का शरीर इंसुलिन पैदा नहीं कर पाता है. केवल 10 प्रतिशत डायबिटीज के मामले टाइप 1 के होते हैं, जो आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था के दौरान पहचान में आ जाता है और हर दिन इंसुलिन देकर इसे मैनेज किया जाता है.
दूसरी तरफ टाइप 2 डायबिटीज, एक खामोश खतरा है. इसमें शरीर इंसुलिन पैदा तो करता है, लेकिन ठीक से प्रॉसेस नहीं कर पाता है. इसे हमने खामोश खतरा इसलिये कहा क्योंकि शुरुआती संकेत से इस बीमारी का पता लगाना मुश्किल है और कभी-कभी लोग इसे तनाव और थकान समझ कर काफी दिनों तक नजरअंदाज करते हैं, जब तक कि ये गंभीर स्टेज में नहीं पहुंच जाता है.
हम यहां ऐसे 5 संकेत बता रहे हैं, जो अगर आपको खुद में दिखे तो जल्द से जल्द टेस्ट करा लें.
अगर आप बहुत ज्यादा पानी पीते हैं तो स्वाभाविक है कि आपको दूसरों की तुलना में ज्यादा टॉयलेट लगेगी.
डायबिटीज में, आपका शरीर फूड को शुगर में बदल देता है और इसलिए, शुगर ब्लड में जमा होना शुरू हो जाता है. शरीर टॉयलेट के जरिये इसे निकाल कर अतिरिक्त शुगर से छुटकारा पाता है.
और इसी वजह से बार-बार टॉयलेट की ओर रुख करना पड़ता है. तो, अगर टॉयलेट लगने की वजह से रात में आपकी नींद बार-बार टूटती है, यानी एक या दो बार से ज्यादा तो आपको ब्लड शुगर की जांच करवा लेनी चाहिए.
मोटापा डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है. जो लोग मोटे होते है, उनमें डायबिटीज टाइप 2 होने की ज्यादा आशंका होती है और जो बेली फैट से परेशान हैं, उनमें ये खतरा और बढ़ जाता है.
अगर आपका वजन ज्यादा है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आपके शरीर का मेटाबॉलिक और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम अस्थिर हो जाता है और ऐसा फैट के जरिए निकलने वाले कैमिकल की वजह से होता है.
ओवर ईटिंग की वजह से कोशिकाओं पर स्ट्रेस पड़ता है और वो पूरी तरह से फूड को प्रॉसेस नहीं कर पाते हैं क्योंकि ज्यादा खाने की वजह से ग्लूकोज भी शरीर में ज्यादा बनता है लेकिन कोशिकाएं सभी ग्लूकोज को ग्लाइकोजेन में नहीं बदल पातीं और कोशिका की सतह पर मौजूद इंसुलिन रिसेप्टर कमजोर होता है.
जिसकी वजह से धीरे-धीरे बॉडी इंसुलिन रेसिस्टेंट बन जाती है और ग्लूकोज ब्लड में जमा होने लगता है, जिससे डायबिटीज की बीमारी होती है.
माइग्रेन के दौरान ऐसा महसूस होता है कि जैसे सिर पर कोई हथौड़े से हमला कर रहा हो, ये अलग बात है. लेकिन अगर सिरदर्द की परेशानी अक्सर होती है और उसके साथ ही धुंधली नजर की शिकायत भी होती है, तो संभावना है कि सब कुछ ठीक नहीं है.
आपके ब्लड शुगर का लेवल गड़बड़ हो सकता है या आपकी नजर कमजोर हो सकती है. लेकिन जरूरी है कि आप जल्द से जल्द जांच करवा लें और इसकी सही वजह जानें.
स्वीट सोडा समेत शुगर ड्रिंक्स, दुनिया भर में 1.85 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेता है और यह सिर्फ शुगर ही नहीं है जो किलर की भूमिका निभा रहा है.
यूरोपीय वैज्ञानिकों द्वारा आयोजित मेडिकल जर्नल Diabetologia में 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन में 12,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था. इस अध्ययन में डायबिटीज और सोडा के बीच डायरेक्ट लिंक पाया गया, बताया गया कि 6 महीने रोजाना सोडा का एक कैन पीने से, टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 25 प्रतिशत बढ़ जाता है (अगर आप प्रतिदिन एक से अधिक सोडा कैन पीते हैं तो आपका भगवान ही मालिक है.)
कोक और फ्राइज के साथ एक चीज बर्गर का स्वाद अक्सर लेने के बाद भी वजन नहीं बढ़ना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी परेशानी है, शायद कभी भी किसी लड़की ने ऐसा नहीं कहा. अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो हो सकता है कि ये जेनेटिक हो, लेकिन अगर ऐसा नहीं है यानी आपके जीन में फैटी फूड खाने के बाद भी वजन ना बढ़ने का गुण नहीं है, तो आपको परेशानी हो सकती है.
बहुत अधिक खाना खाने के बावजूद भी अगर आपकी पुरानी जींस फिट आती है, तो यह इस बात का संकेत है कि आपका इंसुलिन काम नहीं कर रहा है. इस वजह से, पैनक्रियाज इंसुलिन ज्यादा प्रोड्यूस करती है और आपको हर समय भूख लगती है.
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Published: 14 Jun 2018,07:07 PM IST