advertisement
अगर आप अपने खाने में चीनी, नमक या फैट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो आप जैसे लोगों से फिल्म अभिनेता राजकुमार राव कहने वाले हैं, ‘आज से थोड़ा कम’.
चौंकिए नहीं ये भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) और स्वास्थ्य मंत्रालय के जरिए शुरू किए गए अभियान ‘ईट राइट मूवमेंट’ की टैगलाइन है और राजकुमार राव इसके ब्रैंड एंबेसडर हैं.
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है अगले तीन सालों में पैकेज्ड फूड में चीनी, नमक और फैट में तीस फीसदी की कटौती. FSSAI के प्रमुख पवन अग्रवाल के मुताबिक इसका मकसद आम लोगों में इस बहस को छेड़ना है कि चीनी, नमक और फैट सेहत के लिए ठीक नहीं हैं और इसका कम से कम सेवन किया जाना चाहिए.
दिल्ली स्थित फोर्टिस सेंटर फॉर डायबटीज, ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल के डॉक्टर अनूप मिश्रा के मुताबिक
एफएसएसएआई अगले एक साल में पैकेज्ड फूड पर लेबलिंग के बारे में दिशा निर्देश जारी करेगी. इस दौरान एफएसएसएआई ने पैकेज्ड फूड बनाने वाली कंपनियों से अपील की है कि वो अपनी मर्जी से अपने प्रोडक्ट्स में चीनी, नमक और फैट की मात्रा में कटौती करें.
एफएसएसएआई के इस अभियान में साथ देने के लिए अभी पैकेज्ड फूड बनाने वाली 15 कंपनियां सामने आई हैं. इनमें पतंजलि, नेस्ले, आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं.
दरअसल आंकड़े बताते हैं कि भारतीयों के खाने की मेज पर चीनी, नमक और फैट का बढ़ता इस्तेमाल गंभीर चिंता का विषय है.
इंडियन जर्नल ऑफ कम्यूनिटी मेडिसीन में 2015 में छपी एक रिसर्च के मुताबिक एनसीडी से होने वाली मौतों में से 80 फीसदी मौतें दिल की बीमारी, कैंसर, सांस की दिक्कत या डायबटीज से होती हैं.
भारतीयों में ज्यादा चीनी, नमक और फैट के सेवन का एक बड़ा कारण फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का बढ़ता व्यापार है.
सरकार ने भी इस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इंडस्ट्री को टैक्स में छूट, उनके एक्सपोर्ट में रियायत, इंपोर्ट ड्यूटी में छूट वगैरह. लेकिन इन सबका नतीजा ये हुआ कि भारत के लोग दिल की बीमारी, मोटापे और डायबटीज के तेजी से शिकार होते जा रहे हैं. पर अब ऐसा लगता है कि सरकार जागी है, लेकिन ‘ईट राइट मूवमेंट’ क्या वास्तव में जमीनी हालात को बदलेंगे और भारतीयों को सेफ और हेल्दी खाना मिलेगा.
क्विंट फिट से बातचीत के दौरान डॉक्टर अनूप मिश्रा का कहना था-
डायटीशियन रुपाली दत्ता भी इस कैंपेन का समर्थन करती हैं. लेकिन इसको लेकर वो थोड़ी चिंता भी जताती हैं.
क्विंट फिट से बात करते हुए डायटीशियन रुपाली दत्ता कहती हैं-
पैकेज्ड फूड पर लेबलिंग के बारे में अगले एक साल में गाइडलाइंस बनाने की बात कही गई है. इस बारे में डॉक्टर दत्ता का कहना है कि कंपनियों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लेबलिंग अच्छे से करना चाहिए और फूड प्रोडक्ट्स पर इनग्रेडिएंट्स की मात्रा के साथ-साथ सर्विंग साइज भी लिखना चाहिए.
उनके अनुसार सरकार और एफएसएसएआई(fssai) की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी है कि वो गाइडलाइंस बना दें और कंपनियां खुद उनका पालन करें. वो उपभोगताओं को जागरुक बनाने का समर्थन करते हुए कहती हैं कि अगर खाद्य पदार्थों के खरीदार दबाव बनाना शुरू करेंगे तो कंपनियों को भी मजबूर होना होगा कि वो शुगर, नमक और फैट की मात्रा कम करें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 14 Jul 2018,12:04 PM IST