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अगर आप राह चलते 100 लोगों को रोकें और उनके पेट की अल्ट्रासाउंड जांच कराएं तो आप पाएंगे कि उनमें से कम से कम 10 को गॉलस्टोंस (पित्ताशय में पथरी) है और जिसके बारे में उनको जानकारी तक नहीं है.
गॉलब्लैडर (पित्ताशय) एक छोटा थैलीनुमा अंग है, जो लिवर के ठीक नीचे होता है.
बाइल यानी पित्त एल्कलाइन (क्षारीय) होता है और ये फूड में घुले एसिड को न्यूट्रिलाइज करता है, जिससे पेट में फूड को आंशिक रूप से पचाने में मदद मिलती है. आसान शब्दों में कहें तो, पित्त आंशिक रूप से पचे भोजन को पैंक्रियाटिक एंजाइम द्वारा ठीक से पचाने में मदद करता है.
हालांकि, ऐसे भी मौके होते हैं जब पित्त प्रणाली सुचारू रूप से काम नहीं करती और गॉलब्लैडर में पथरी बन जाती है. ऐसा तब होता है, जब कोलेस्ट्रॉल और दूसरे पिगमेंट के कंसनट्रेशन में असंतुलन के कारण पित्त हेल्दी नहीं रह जाता है.
पित्त की थैली में एक बड़ा पत्थर या कई छोटे पत्थर हो सकते हैं. इन पत्थरों का आमतौर पर पता नहीं चलता और संयोग से ही इनका पता चल पाता है. हालांकि, कुछ मामलों में दर्द हो सकता है, कई बार तो पेट के ऊपरी हिस्से में असहनीय दर्द भी होता है.
कई रिस्क फैक्टर हैं, जो पित्त की थैली में पथरी की वजह बन सकते हैं. मेडिकल छात्रों को इसके लिए एक लाइन का फार्मूला बताया जाता है- चालीस की फैटी फर्टाइल फीमेल, जिसके पित्ते के पथरी की फैमिली हिस्ट्री है. लेकिन, ये सामान्य आबादी के मुकाबले इस समूह में सिर्फ थोड़े बढ़े हुए जोखिम को ही रेखांकित करता है.
आप ऊपर बताए रिस्क फैक्टर्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप निश्चित रूप से इसके हिसाब से अपनी डाइट में बदलाव कर सकते हैं.
गॉलब्लैडर की सेहत के लिए निश्चित रूप से फायदेमंद फूड्स हैं:
कुछ फूड आइटम्स पर अध्ययन में ये बात सामने आई है कि उनमें गॉलब्लैडर स्टोन को रोकने की क्षमता हो सकती है, लेकिन इसे बिना किसी ठोस सबूत के शुरुआती रिपोर्ट भर कहा जा सकता है.
ये कहा जाता है कि कॉफी पीने से स्त्री-पुरुष दोनों में पित्त की थैली में पथरी का खतरा घटता है. सीमित मात्रा में शराब पीने को भी पथरी की आशंका कम होने से लिंक किया गया है.
पथरी वाले लोग और जिन्हें पथरी का पता नहीं चला है, उन्हें तले हुए फूड पदार्थों और अत्यधिक प्रोसेस्ड रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, ज्यादा फैट वाले डेयरी उत्पाद और फैटी रेड मीट से परहेज करना चाहिए.
गॉलब्लैडर की सफाई के बारे में हर संस्कृति में कुछ ना कुछ कहा गया है. यह इस सोच पर आधारित है कि गॉलब्लैडर ‘सफाई’ का काम करने के बाद अपनी सामग्री, जिसमें मल और छोटे पत्थर भी होते हैं, को बाहर निकालने के लिए तेजी से सिकुड़ता है.
जैतून का तेल क्लींज के घटकों में से एक है, जो गॉलब्लैडर के संकुचन के लिए सबसे अच्छा ज्ञात स्टीमुलेंट है. गॉलब्लैडर की सफाई के दावे का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक सबूत नाममात्र के हैं. इसके उलट, पथरी के छोटे टुकड़े बहा कर बाहर निकालने की प्रक्रिया में वे कॉमन बाइल नली में फंस सकते हैं और फंसे हुए पत्थर के कारण पीलिया और तेज दर्द हो सकता है.
गॉलब्लैडर की बीमारी का इलाज करने के दूसरे वैकल्पिक तरीके हैं डैंडेलियन (सिंहपर्णी), मिल्क थिसल (एक जड़ी बूटी) और हमारा अपना जाना-पहचाना इसबगोल. चूहों पर किए अध्ययन में पाया गया कि इसबगोल कोलेस्ट्रॉल पथरी बनने से रोकता है.
यह आमतौर पर सिर्फ तब किया जाता है, जब रोगी में इसके लक्षण दिखते हैं, खासकर पथरी के कारण तेज दर्द होने पर. याद रखें कि लिवर द्वारा स्रावित पित्त छोटी आंत में बहता रहता है, जिससे गॉलब्लैडर निकाल दिए जाने पर भी पाचन की प्रक्रिया चलती है, हालांकि यह कम कुशलता से काम करती है क्योंकि पित्त अब उतना कंसनट्रेटेड नहीं है, जितना पाचन के लिए जरूरी है.
ऑपरेशन के फौरन बाद की अवधि में डाइट में जहां तक मुमकिन हो, ज्यादा फैट वाली चीजें और चॉकलेट आदि से बचना चाहिए.
(डॉ अश्विनी सेतिया दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशएलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. उनकी कोशिश लोगों को बिना दवा के स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना है. उनसे ashwini.setya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
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Published: 19 Sep 2019,05:59 PM IST