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कभी-कभी आपके सीने में अचानक जलन होने लगती है, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. और आपके दिमाग में न जाने क्या-क्या आने लगते हैं. और आए भी क्यों ना. क्योंकि आपको सारी तकलीफ दिल के मर्ज से जुड़ी लगने लगती है. लेकिन जनाब आपको दिल की बीमारी के अलावा गैस्ट्रोएसोफेगल रीफ्लक्स डिजीज यानी की गर्ड (GERD) होने की आशंका हो सकती है.
गर्ड यानी गैस्ट्रोएसोफेगल रीफ्लक्स डिजीज (GERD) . ये एक तरह का पाचन रोग है. इसमें पित्त (खाना पचाने में मदद करने वाला लिक्विड) खाने की नली (इसोफेगस यानी मुंह और पेट को जोड़ने वाली नली) की तरफ आने लगता है. जिसकी वजह से आप बहुत परेशान हो सकते हैं. एसिड रिफ्लक्स जब आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में खलल डालने लगता है और हफ्ते में कई मर्तबा आप एसिड रिफ्लक्स से परेशान हो जाएं तो समझ लीजिए कि आपको गैस्ट्रोएसोफेगल रीफ्लक्स डिजीज (GERD) की शिकायत शुरू हो चुकी है.
मैक्स हेल्थकेयर के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अश्विनि सेत्या कहते हैं की जब भी हम खाना खाते हैं तो उस वक्त हमारे खाने के पाइप का निचला हिस्सा खुलता है. लेकिन इसमें खराबी आने लगती है तो वो हिस्सा खुला रह जाता है और पेट के अन्दर का एसिड मुंह की तरफ आने लगता है. हमारे पेट के अन्दर की त्वचा की बनावट ऐसी होती है कि वो इस एसिड को बर्दाशत कर सकता है.
ये बीमारी जानलेवा भी हो सकती है. फूड पाइप तक एसिड पहुंच के फूड पाइप को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे कैंसर तक होने की आशंका रहती है या अल्सर होने का भी खतरा रहता है.
डॉक्टर अश्विनि सेत्या के अनुसार गैस्ट्रोएसोफेगल रीफ्लक्स डिजीज के दौरान
दिन के वक्त एसिड रिफ्लक्स का असर कम हो जाता है क्योंकि इस दौरान हम खड़े होते हैं, चलते-फिरते हैं. लेकिन रात के वक्त लेट जाने की वजह से इसका असर अधिक हो सकता है और हो सकता है आपको ऐसा लगे कि आपका गला चोक हो रहा है. कभी-कभी एसिड के कुछ हिस्से हमारी सांस की नली के अंदर चले जाते हैं जिसकी वजह से बहुत जलन होने का एहसास होने लगता है. इसकी वजह से खांसी आने लगती है जो आपके लिए बहुत खतरनाक भी हो सकता है.
डॉक्टर सेतिया के अनुसार इस बीमारी की कई अहम वजहें हैं.
हेल्थ न्यूट्रिशनिस्ट रीतिका समादार कहती हैं की अगर किसी को एसिड रिफ्लक्स की बीमारी का पता चल जाता है तो उस इंसान को स्मोकिंग और शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए.
इस बीमारी के इलाज के बारे में पूछने पर डॉक्टर सेत्या कहते हैं कि सबसे पहले लाइफस्टाइल में बदलाव कर के इसे ठीक करने की कोशिश की जाती है. अगर फिर भी परेशानी रहती है तब दवाओं से इलाज शुरू होता है. क्योंकि दवाओं का असर तब तक रहता है तब तक इनका इस्तेमाल करते हैं. दवाओं के अलावा व्यायाम करके भी एसिड रिफ्लक्स से बचा जा सकता है. और अगर इन सब चीजों से भी आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर सर्जरी करके इसे ठीक करने का सलाह देते हैं.
डॉक्टर सेत्या कहते हैं कि अपनी लाइफस्टाइल पर थोड़ा सा ध्यान दे कर इन सब चीजों से बच सकते हैं.
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Published: 18 Jul 2018,08:32 PM IST