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बीते साल में, कई अनाज जिनके बारे में बहुत चर्चा नहीं होती है, उनकी न सिर्फ पैदावार हुई बल्कि वो लोगों की थालियों तक भी पहुंचे हैं. अधिक से अधिक लोगों ने गेहूं से अलग हटकर पुराने अनाजों और वैकल्पिक आटा जिनमें फलियों से तैयार ग्लूटेन फ्री आटा, अफ्रीकी दाल टेफ और चौलाई से तैयार आटा भी शामिल रहा है, को अपनाया है.
मुझे लगता है कि ये शानदार ट्रेंड है. अनाजों को बदलते रहना (जैसे प्रोटीन, सब्जियां, फल और फैट) न केवल वैरायटी बल्कि एक संपूर्ण और संतुलित आहार सुनिश्चित करने का एक अच्छा तरीका है.
जब ऐसा डाइट में वैरायटी लाने जैसे सही कारण के लिए किया जाता है, तो अच्छा विचार है. कुछ नियमित पोषक तत्वों को असामान्य पोषक तत्वों के साथ बदलना. लेकिन चीजें उस समय गलत होने लगती हैं, जब ग्लूटेन फ्री डाइटिंग विचारधारा बनने लग जाती है. साथ ही इसे जब मनमाने ढंग से और गलत कारणों से किया जाता है.
ग्लूटेन इस दशक के लिए वैसा ही है, जैसा कार्बोहाइड्रेट पिछले दशक में था, वसा 80 और 90 के दशक में था. एक बुरी चीज जिसे हर हाल में खत्म करना होगा. हम सभी जानते हैं कि फैट और कार्बोहाइड्रेट्स ने उन थ्योरीज और फैक्ट्स की टेबल को किस तरह से बदल दिया.
ग्लूटेन डाइट इतना बुरा नहीं है, जितना इसे दिखाया जा रहा है.
मेडिकल इश्यू और सनक के बीच के अंतर को समझना महत्वपूर्ण है. पेट संबंधी रोग या ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों के लिए, ग्लूटेन से बचना जरूरी है. ऐसे लोगों के लिए ग्लूटेन की थोड़ी मात्रा भी गंभीर परेशानी पैदा कर सकती है.
इसी तरह ऐसे लोग जिनमें पेट संबंधी रोगों का पता नहीं चला है, उनमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं, जो ऑटिज्म या गंभीर एडीएचडी से जुड़ा हो सकता है. इसलिए ग्लूटेन-फ्री डाइट (और अक्सर कैसिइन (दूध प्रोटीन) फ्री) उनके लिए मददगार हो सकती हैं. कुछ एविडेंस भी हैं, जो बताते हैं कि एक ग्लूटेन फ्री डाइट आंत से जुड़ी और दूसरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकती है. ये फाइब्रोमायल्गिया से जुड़े शरीर के दर्द को कम करने में सहायक होती है.
लेकिन इतना ही!
पहली वजह ये है कि हाई प्रोसेस्ड ग्लूटेन फ्री फूड आइटम (जिसे ज्यादातर लोग खाते हैं) से भरपूर डाइट ना तो शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए आर्दश है और न ही हेल्दी वजन पाने में मददगार है. ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि ग्लूटेन फ्री डाइट वजन कम करने में प्रभावी हो.
इसलिए जब आप अपने रेगुलर हाई फाइबर साबुत अनाज की जगह इन अत्यधिक प्रोसेस्ड, कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों को खाना शुरू करते हैं, तो आप अपने शरीर के लिए अच्छा नहीं कर रहे होते हैं. इससे संभवतः वजन भी बढ़ सकता है. वास्तव में ग्लूटेन फ्री सनक को फॉलो करने से लोगों की हेल्थ पर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि अब बाजार में कई जंक फूड की ग्लूटेन फ्री वैरायटी मौजूद हैं. आपका बर्गर बन ग्लूटेन फ्री हो या न हो, लेकिन इसके बावजूद यह बन है.
ऐसा कुछ भी जिसे ग्लूटेन फ्री कहा जाता है, जरूरी नहीं है कि इसका मतलब ये हो कि वो चीज अधिक नैचुरल और हेल्दी हो, उसमें कैलोरी कम हो या वह ऑटोमेटिक ही वजन घटाने के लिए एक अच्छा विकल्प हो.
दूसरे, एक आम गलत धारणा ये है कि ग्लूटेन मुख्य रूप से ब्रेड में पाया जाता है. वास्तव में, ग्लूटेन कई फूड प्रोडक्ट्स में है. इसलिए ग्लूटेन फ्री डाइट फॉलो करना बहुत मुश्किल हो सकता है. यह अक्सर महंगा भी होता है. इसके अलावा, जो लोग ग्लूटेन सेंसिटिव हैं, वे ही बेहतर महसूस कर सकते हैं. लेकिन अधिकतर लोगों को ग्लूटेन फ्री डाइट से कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं होगा. वे बस अपना पैसा बर्बाद करेंगे.
ये जान लीजिए कि ग्लूटेन फ्री डाइट बहुत मुश्किल है. भले ही ये हाल ही में कुछ आसान लग रही है, लेकिन इसमें अभी भी असुविधा होगी और ये खर्चीली भी है.
तीसरा, ज्यादातर लोगों के लिए साबुत गेहूं आमतौर पर फाइबर डाइट का एक प्रमुख स्रोत है. आंतों को ठीक से काम करने के लिए इसकी जरूरत होती है. एक आहार जिसमें पर्याप्त फाइबर नहीं होता, हानिकारक हो सकता है.
कम या ग्लूटेन फ्री डाइट लेने वाले लोगों में भी आयरन, नियासिन, जिंक, फोलिक एसिड की कमी होती है. सजगता से इनका सप्लिमेंटरी नहीं मिलने से किसी के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच सकता है.
अगर आप ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों को कुछ समय के लिए पूरी तरह से खाना बंद कर देते हैं, तो अंततः आपका पेट वास्तव में ग्लूटेन को पचाने का तरीका भूल सकता है. जब आप उन्हें दोबारा खाना शुरू करते हैं, तो मैंने देखा है कि बहुत सारे लोगों को पेट संबंधी और शरीर में दूसरी परेशानी होती है.
ये फैक्ट है कि जब हम हार्ड-टू-डाइजेस्ट चीजों को डाइट से बाहर कर देते हैं, तो वास्तव में समय के साथ हमारा पाचन कमजोर हो जाता हैं. ऐसे में हमारी बॉडी को इसे वापस एडजस्ट करने में कुछ समय (अक्सर बहुत समय) लगता है.
आप जो भी करें, ये ग्लूटेन का डर बेचने वालों को रोकने का समय है. ये भोजन के साथ हमारे संबंध को नष्ट कर रहा है. मेरा विश्वास कीजिए, जैसा कि हमेशा होता है, जल्द ही हम (और बाजार वाले) अपने भोजन से बाहर निकलने के लिए किसी अन्य खाद्य सामग्री या कंपोनेंट की तलाश करेंगे और ग्लूटेन हर किसी का पसंदीदा खलनायक बनना बंद हो जाएगा.
(इस आर्टिकल को अंग्रेजी में यहां पढ़ें.)
(दिल्ली की कविता देवगन एक न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने दो बुक ‘Don't Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico)’ और ‘Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) लिखी है.)
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Published: 14 Feb 2019,05:12 PM IST